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क्या नये आइएसआइ चीफ बेहतर बना सकेंगे भारत-पाक के रिश्ते?

नयी दिल्ली : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने घरेलू मोर्चो पर क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान के विरोध की चुनौतियों के बीच पाक की खुफिया एजेंसी आइएसआइ (इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस) का प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल रिजवान अख्तर को बनाने का फैसला लेकर अपनी स्थिति को सुधारने की कोशिश की है. वहां की सरकार के […]

नयी दिल्ली : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने घरेलू मोर्चो पर क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान के विरोध की चुनौतियों के बीच पाक की खुफिया एजेंसी आइएसआइ (इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस) का प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल रिजवान अख्तर को बनाने का फैसला लेकर अपनी स्थिति को सुधारने की कोशिश की है. वहां की सरकार के संचालन व कूटनीति पर सेना के साथ आइएसआइ का काफी प्रभाव होता है. पाकिस्तान के प्रमुख दैनिक डॉन ने अपने वेब संस्करण की खबर में लिखा है कि आइएसआइ के नवनियुक्त प्रमुख रिजवान अख्तर पूर्व में भारत व पाकिस्तान के बीच शांतिपूर्ण संबंधों की वकालत कर चुके हैं.
अखबार ने लिखा है कि 2008 में रिजवान अख्तर ने भारत के शांतिपूर्ण एवं मैत्रीपूर्ण रिश्ते बनाने की पैरोकारी की थी. रिजवान सात नवंबर को आइएसआइ के नये प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाल लेंगे. फिलहाल इस पद पर लेफ्टिनेंट जहरूल इस्लाम हैं. डॉन ने अपनी खबर में इस संबंध में रिजवान अख्तर के उस रिसर्च रिपोर्ट का भी उल्लेख किया है, जो उन्होंने अमेरिकी आर्मी वार कॉलेज से मास्टर डिग्री हासिल करने के लिए तैयार की थी. यूएस आर्मी वार कॉलेज से मास्टर ऑफ स्ट्रेटजिक स्टडीज की डिग्री हासिल करने वाले अख्तर ने इस कोर्स के लिए यूएस-पाकिस्तान ट्रस्ट डिफिसेट एंड द वार एंड ट्रेरर (अमेरिका-पाकिस्तान के बीच विश्वास की कमी व युद्ध एवं आतंकवाद) में लिखा है कि अमेरिका व भारत के बीच रिश्तों की बेहतरी के लिए आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक युद्ध में दोनों देशों को एक साथ आना जरूरी है.
भारत से तनाव खत्म करना जरूरी
अख्तर ने 2008 में तैयार अपनी इस रिपोर्ट में लिखा है पाकिस्तान में अमेरिका का हस्तक्षेप मूलत: आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक युद्ध पर केंद्रित है. इसलिए अमेरिका व पाकिस्तान दोनों देशों के साझा हित के लिए यह जरूरी है कि पाकिस्तान के भारत से तनाव खत्म हो और दोनों देश मिल कर क्षेत्रीय स्थायित्व लायें. अफीम की खेती रोकना, नशीले पदार्थो की तस्करी रोकने, परमाणु हथियारों की सुरक्षा जैसे कदम उठाने जरूरी हैं. इसके लिए दक्षिण एशिया में लोकतंत्र को मजबूत करना व अमेरिका विरोधी एवं अतिवादी ताकतों को पाकिस्तान में रोकना भी जरूरी है. उन्होंने अपनी रिपोर्ट कहा है कि अगर ये उपाय किये जायेंगे तो अमेरिका व पाकिस्तान के रिश्ते प्रगाढ़ होंगे. उन्होंने लिखा है कि दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली के लिए समन्वित पहल करना आवश्यक है.
तालिबान-अल कायदा के खिलाफ हो अधिक सेना की तैनाती
अख्तर ने 30 पेज की इस रिपोर्ट में लिखा है कि भारत व पाकिस्तान के बीच बेहतर रिश्ते के लिए कश्मीर मुद्दे का समाधान आवश्यक है. उन्होंने रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तानी सेना को तालिबान व अलकायदा के प्रभाव वाले इलाके में और अधिक पाकिस्तानी फौज की तैनाती जरूरी है. स्थिर व सुरक्षित पाकिस्तान अपनी अर्थव्यवस्था पर अधिक ध्यान दे सकेगा और पाकिस्तान एक सफल लोकतांत्रिक इस्लामिक राष्ट्र के रूप में इस क्षेत्र व विश्व में पहनी पहचान स्थापित कर सकेगा.
हालांकि डॉन ने अपनी खबर में कहा है कि यह रिपोर्ट अख्तर ने उस समय तैयार कि जब मुंबई कांड नहीं हुआ था और भारत-पाकिस्तान राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के समय एक-दूसरे से बेहतर रिश्ते स्थापित करने की कोशिश में लगे थे. लेकिन 26 नवंबर 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले में 160 लोगों के मारे जाने के बाद भारत ने पाकिस्तान के खुफिया बलों पर मुंबई हमले में मदद का आरोप लगाया.
भारत के लिए क्या हैं मायने
पाकिस्तान की लोकतांत्रिक सरकार पर वहां की सेना, आइएसआइ व अतिवादी ताकतों की छाया हमेशा ही भारत से उसके रिश्तों को प्रभावित करती रही है. जब भी दोनों देश की लोकतांत्रिक सरकारों के बीच बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ता है, तब इन शक्तियों द्वारा किसी न किसी तरह की बाधा उत्पन्न की जाती है. इस कारण समस्याएं नहीं सुलझ पाती. रिजवान अख्तर अगर अपनी रिपोर्ट के अनुरूप ही क्षेत्रीय संतुलन, शांति व विकास के लिए दोनों देशों के बीच बेहतर रिश्ते के लिए आइएसआइ के प्रमुख जैसे अहम पद से प्रयास करते हैं, तो यह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई व दक्षिण एशिया के लिए फायदेमंद होगा.

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