फोर्तालेजा, ब्राजील: 2014 के ब्रिक्स सम्मेलन भारत के लिए एक जीत मानी जा रही है. इस सम्मेलन में भारत ने अपने पक्ष को मजबूती से रखा है और ब्रिक्स के अन्य देशों ने इसमें सहमति व्यक्त की है. भारत सहित ब्रिक्स के पांचो प्रमुख विकासशील देशों ने बराबर की हिस्सेदारी के साथ 100 अरब डॉलर की शुरुआती अधिकृत पूंजी के साथ नये विकास बैंक की स्थापना का फैसला किया गया.
ब्राजील के इस समुद्रतटीय शहर में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में कल हुए इस आशय के निर्णय को भारत के लिए एक बडी कामयाबी माना जा रहा है. विकास परियोजनाओं की धन सहायता के लिए प्रस्तावित इस नई बहु पक्षीय विकास संस्था की पूंजी के लिए शुरुआती अंशदान में संस्थापक सदस्यों की बराबर भागीदारी होगी.
भारत शुरु से जोर दे रहा था कि इस पर किसी एक सदस्य देश का वर्चस्व न हो. गौरतलब है कि विश्वबैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और एडीबी जैसे संगठनों में अमेरिका और जापान जैसे देशों के दबदबे के बारे में शिकायतें रहती हैं.
ब्राजील, रस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्राध्यक्षों व शासनाध्यक्षों की बैठक में सदस्य देशों को विदेशी मुद्रा संकट में मदद के लिए प्रारंभ में 100 अरब डॉलर के आकार की एक ‘आपात आरिक्षत विदेशी विनिमय कोष’ (सीआरए) के गठन का भी समझौता समझौता हुआ.
इस बैठक के जरिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वैश्विक नेताओं के साथ अपनी प्रथम बहुपक्षीय वार्ता की शुरुआत की. बैंक की शुरुआती अधिकृत पूंजी 100 अरब डॉलर होगी. शुरुआत में पांचो सदस्य कुल 50 अरब डॉलर की पूंजी का अंशदान करेंगे. इसमें संस्थापक सदस्यों की बराबर बराबर हिस्सेदारी होगी.
हालांकि, बैंक का मुख्यालय चीन में शंघाई में होगा. भारत चाहता है कि यह नई दिल्ली में हो. बैंक का प्रथम अध्यक्ष भारत होगा जबकि संचालन मंडल बोर्ड का प्रथम सभापति रुस से होगा.
नये विकास बैंक का अफ्रीकी क्षेत्रीय केंद्र दक्षिण अफ्रीका में होगा. सम्मेलन में स्वीकार किए गए फोर्तालेजा घोषणा पत्र में नेताओं ने कहा, ‘‘हम अपने वित्त मंत्रियों को निर्देश देते हैं कि वे इसके (बैंक के) संचालन के लिए तौर तरीकों पर काम करें.’’