इस्लामाबाद: पाकिस्तान में आगामी 11 मई को होने वाले आम चुनाव में किसी भी दल को बहुमत मिलने की संभावना नहीं है.
गत 66 वर्षों में ऐसा पहली बार होगा जब पाकिस्तान में सत्ता का हस्तांतरण लोकतांत्रिक तरीके से सुचारु रुप से सम्पन्न होगा लेकिन इसमें किसी भी पार्टी को बहुमत मिलने की संभावना नहीं है. नेशनल एसेंबली की 342 सीटों के लिए होने वाले चुनाव में अब दो सप्ताह से भी कम का समय बचा है. पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पीएमएल-एन सबसे बड़ी पार्टी के रुप में सामने आ सकती है. हालांकि पीएमएल..एन को उसके गढ़ पंजाब में इमरान खान की पार्टी से चुनौती मिल रही है.
विश्लेषकों का कहना है कि ऐसे संकेत हैं कि पाकिस्तान एक बार फिर गठबंधन सरकार गठन की ओर बढ़ रहा है. पिछले चुनाव से कुछ सप्ताह पहले हुई बेनजीर भुट्टो की हत्या को लेकर सहानूभूति की लहर के बीच पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) को 125 सीटें मिली थीं. परंतु इस बार उसे उतनी सीटें मिलने की संभावना नहीं है. 125 सीटें मिलने से वह वर्ष 2008 में सत्ता में पहुंची थी.
पीपीपी और उसके सहयोगी दल खराब प्रशासन और भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं. इस बार न्यायपालिका ने राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के चुनाव प्रचार में हिस्सा लेने पर रोक लगा रखी है. पीपीपी को अपने मजबूत गढ़ सिंध में भी मतदाताओं को लुभाने में संघर्ष करना पड़ रहा है.