पर्थ : अमेरिका के एक नौसैन्य अधिकारी ने आज कहा कि दक्षिण हिंद महासागर में लापता हुए मलेशियाई विमान की खोजबीन के बीच पिछले सात सप्ताह में जो ध्वनि संकेत मिल रहे थे, वे विमान के ब्लैक बॉक्स से नहीं आ रहे थे.
सीएनएन ने अमेरिकी नौसेना में समुद्री अभियांत्रिकी के उपनिदेशक माइकल डीन के हवाले से कहा, अधिकारियों का अब यह लगभग पूरी तरह से मानना है कि जो ध्वनि संकेत आ रहे थे, वे विमान में मौजूद डाटा या कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर से नहीं आ रहे थे. ये ध्वनि संकेत किसी अन्य मानव-निर्मित स्रोत से आ रहे थे, जिसका संबंध 8 मार्च को लापता हुए जेटलाइनर से नहीं है. उन्होंने कहा, अगर ध्वनि संकेत रिकॉर्डरों से आ रहे होते तो खोजकर्ता उन्हें ढूंढ चुके होते. जब उनसे पूछा गया कि क्या खोज में लगे बाकी देश भी इसी नतीजे पर पहुंचे हैं तो उन्होंने कहा, हां.
माइकल की ये टिप्पणियां ऐसे समय में आयी हैं, जब खोजकर्ता विमान की खोज का पहला चरण पूरा कर चुके हैं. इस चरण के दौरान उन्होंने दक्षिणतम हिंद महासागर के 329 वर्ग मील का क्षेत्र छान मारा लेकिन विमान का कोई मलबा नहीं मिल सका. हालांकि अमेरिकी नौसेना के एक प्रवक्ता ने अपने ही विशेषज्ञों की टिप्पणियों को कयासबाजी और अपरिपक्व बताते हुए खारिज किया है.
नौसैन्य प्रवक्ता क्रिस जॉनसन ने एक बयान में कहा, डीन की टिप्पणियां…कयास युक्त और अपरिपक्व हैं क्योंकि हम ध्वनि तरंगों का पता लगाने वाले टोड पिंगर लोकेटर द्वारा प्राप्त किए गए आंकडों को पूरी तरह से समझने के लिए अपने सहयोगियों के साथ अभी भी काम कर रहे हैं. लापता विमान के रहस्य ने अभी भी उड्डयन और सुरक्षा अधिकारियों को उलझाकर रखा है. उच्च तकनीकी रडार और अन्य उपकरण लगाने के बावजूद उन्हें अभी तक विमान का पता लगाने में कामयाबी हासिल नहीं हुई है.
बीजिंग के लिए जाने वाला मलेशियाई विमान सेवा का विमान एमएच370 कुआलालंपुर से 8 मार्च को उडान भरने के बाद लापता हो गया था. इस विमान में 5 भारतीयों, एक भारतीय-कनाडाई मूल का व्यक्ति और 154 चीनी नागरिकों समेत कुल 239 लोग सवार थे.