आज के समय में लंबी अवधि के लिए बैंको व अन्य वित्तीय संस्थानों से लोन लेकर प्रोपर्टी लेने का प्रचलन जोरों पर है. प्रति माह की किस्त की राशि भी कम रखने की सुविधा मिल जाती है. ऐसे में आपको बहुत अधिक ब्याज का भुगतान करना पड़ता है. समय के साथ अगर आप लोन के भुगतान की प्रक्रिया में थोड़ा बदलाव कर लें, तो आप काफी अधिक बचत कर सकते हैं. बढ़ते होम लोन की ब्याज दरों के बीच जानते हैं ब्याज बचाने के तरीके.
जब आप लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं तो पावर ऑफ कंपाउंडिंग आपके लिए सकारात्मक रूप से काम करता है. ठीक उसी तरह जब आप लंबी अवधि के लिए लोन लेते हैं, तब यही पावर आॅफ कंपाउंडिंग उल्टा काम करने लगता है.
इस कारण जितनी लंबी अवधि के लिए लोन लिया जाता है, उस पर उतना ही अधिक ब्याज का भुगतान करना पड़ता है. आइए, एक उदाहरण से समझते हैं.
उदाहरण : मान लिया कि आपने Rs 50 लाख का होम लोन 8.5% की ब्याज दर से 20 साल के लिए लिया है. ऐसे में प्रति माह इएमआइ Rs 43391 होता है. जब आप 20 साल तक इएमआइ देते हैं, तो आप कुल मिलाकर Rs 1,04,13,879 भुगतान करते हैं, जिसमें लोन की मूल राशि को घटा दें, तो Rs 54,13,879 ब्याज के रूप में आप देते हैं. यह मूल रकम का लगभग 108.3% होता है.
अवधि इएमआइ कुल ब्याज ब्याज % में
120 61992 2439040 49%
180 49236 3862480 77%
240 43391 5413840 108%
300 40261 7078300 142%
इस चार्ट पर गौर करें, तो पायेंगे कि लोन की अवधि लंबी होने पर आपको अधिक ब्याज का भुगतान करना पड़ता है. इएमआइ कम रखने के कारण ही अवधि लंबी होती है और अधिकांश इएमआइ उस ब्याज के भुगतान में चला जाता है. ऊपर दिये गये उदाहरण में दस साल तक किस्त देने के बाद लोन की मूल रकम का मात्र 30.01 प्रतिशत ही भुगतान होता है, वहीं 15 साल तक किस्त चुकाने के बाद मात्र 57.70 प्रतिशत का ही भुगतान होता है.
ब्याज की गणना बचे हुए लोन की मूल राशि पर ही होती है. इसलिए जब लोन की अवधि छोटी होती है, तो लोन की मूल रकम का भुगतान जल्द होता है.
ब्याज की राशि को कम करने के लिए भी विकल्प मौजूद हैं. आप इनमें से किसी भी विकल्प का चुनाव कर ब्याज को बचा सकते हैं. यह भी एक तरह का निवेश ही है जिसमें लोन की दर के हिसाब से निवेश होता है और आपका ब्याज बच जाता है. लोन की अवधि भी कम होने से आप जल्द ही चैन की सांस ले सकते हैं.
लोन के ब्याज की राशि को कम करने के कुछ उपाय
न्यूनतम दर सुनिश्चित करें
सबसे पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आपने जो होमलोन लिया है, वह एमसीएलआर से जुड़ा हुआ हो यानी फ्लोटिंग दर पर हो. साथ ही यह भी निश्चित करें कि बाजार में मौजूद सबसे कम दर पर किस्त चुकाने का मौका मिल रहा है. अगर ऐसा नहीं है, तो अपने बैंक से ऐसी सुविधा देने को कहें. और अगर बैंक सहयोग नहीं करे, तो दूसरे बैंक में लोन को शिफ्ट कर सकते हैं.
प्री-पेमेंट की कोशिश करें
अगर आपको किसी तरह का वार्षिक लाभ मिलता है, जैसे बोनस, इनसेंटिव आदि, तो उस राशि का उपयोग होम लोन के कुछ हिस्से को चुकाने में करें. फ्लोटिंग दर पर लोन होने के कारण वक्त से पहले अदायगी यानी प्री-पेमेंट पर किसी तरह का शुल्क नहीं देना पड़ता. प्री-पेमेंट करने पर लोन की मूल रकम में कमी आयेगी जिससे ब्याज भी कम लगेगा.
हर साल एक अतिरिक्त किस्त
हर साल 12 किस्त के बाद एक अतिरिक्त किस्त का भुगतान करते हैं, तो आपके लोन की अवधि कम हो जायेगी. अगर आपने 50 लाख का लोन 8.5% की दर से 20 साल के लिए लिया है, तो इएमआइ 43,391 होता है. अगर हर साल एक इएमआइ का अतिरिक्त भुगतान करते हैं तो 200 माह में पूरा भुगतान हो जाता है. इसमें Rs 10,17,829 की बचत होगी.
इएमआइ में पांच फीसदी की वृद्धि हर साल
हर साल आपके वेतन या आय में 5-10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होती है या प्रोमोशन होने पर वेतन वृद्धि होती है, उसी तरह से अगर आप अपने इएमआइ की राशि भी पांच प्रतिशत प्रति वर्ष बढ़ा देते हैं, तो पूरा लोन मात्र 148 माह (12 साल 4 माह) में खत्म हो जायेगा. इससे आपको Rs 19,51,745 की बचत होती है.
दोनों विकल्प एक साथ
आप चाहें तो दोनों ही तरीके को एक साथ उपयोग कर सकते हैं. यानी इएमआइ में पांच प्रतिशत की वृद्धि एवं एक अतिरिक्त इएमआइ जमा करने पर पूरा लोन मात्र 134 महीने में चुक जायेगा और आपको Rs 23,20,185 की बचत होगी.
पर्सनल लोन पर बचाएं ब्याज
अगर आपने पर्सनल लोन ले रखा है, तो आपको उस पर काफी अधिक ब्याज देना पड़ रहा होगा. सामान्यतया पर्सनल लोन पर 16-20 प्रतिशत तक का ब्याज लगता है. इसलिए बेहतर यही होगा कि अपनी किसी प्रोपर्टी पर लोन ले लें और उससे पर्सनल लोन का भुगतान कर उससे छुटकारा पा लें. प्रोपर्टी लोन पर 8.5 – 13 % दर से ब्याज लगता है, जो पर्सनल लोन की तुलना में काफी कम होता है.