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आयकर बचाने का एक तरीका हैं एचयूएफ….जानें

बहुत कम लोग जानते हैं कि आयकर कानून में एचयूएफ को एक व्यक्ति की तरह अलग इकाई माना जाता है और उसके लिए आयकर की गणना अलग होती है. अगर गौर करें तो पायेंगे कि इस विकल्प से भी आयकर बचाया जा सकता है. आइए, जानते हैं कि यह क्या होता है, इसके क्या-क्या फायदे […]

बहुत कम लोग जानते हैं कि आयकर कानून में एचयूएफ को एक व्यक्ति की तरह अलग इकाई माना जाता है और उसके लिए आयकर की गणना अलग होती है. अगर गौर करें तो पायेंगे कि इस विकल्प से भी आयकर बचाया जा सकता है. आइए, जानते हैं कि यह क्या होता है, इसके क्या-क्या फायदे हैं.
क्या होता है एचयूएफ
एचयूएफ का पूरा विस्तार हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली होता है यानी हिंदू अविभाजित परिवार. आयकर विभाग एचयूएफ को हमारी-आपकी तरह एक अलग इकाई के तौर पर देखता है और इसकी आयकर गणना परिवार के सदस्यों की आयकर गणना से अलग होती है. 80 सी के तहत मिलने वाली 1.5 लाख की छूट को भी एचयूएफ के अंतर्गत प्राप्त किया जा सकता है. यानी अगर आपने अपनी पत्नी और दो बच्चों को शामिल कर एक एचयूएफ बनाया है तो आप चारों के साथ-साथ एचयूएफ को भी 80 सी के तहत छूट प्राप्त होगी. इसका एक अलग पैन होता है.
एचयूएफ बनाने के लिए सबसे पहले एक कानूनी दस्तावेज यानी डीड बनाया जाता है. स्टांप पेपर में एचयूएफ का नाम, कर्ता का नाम और एचयूएफ के सभी सदस्यों का नाम की घोषणा करनी पड़ती है. इस एचयूएफ को शुरू करने के लिए जरूरी पूंजी की जानकारी देनी होती है. इस प्रकार दस्तावेज बन जाने के बाद एचयूएफ का पैन कार्ड के लिए फार्म 49 ए के माध्यम से आवेदन देना पड़ता है.
पैन कार्ड भी कर्ता के नाम से ही बनता है, लेकिन उसके अंत में एचयूएफ शब्द जुड़ा होता है. जब पैन बन जाये, तो फिर बैंक खाता खोलना होता है. यह खाता कर्ता के नाम होता है, लेकिन उसके नाम के बाद एचयूएफ शब्द जुड़ा होता है. इसके नाम में थोड़ी तब्दीली संभव है. जैसे कर्ता कंचन शाह, कंचन शाह एंड संस एचयूएफ के नाम से बैंक खाता खुलवा सकते हैं.
एचयूएफ का कर्ता
कर्ता के लिए परिवार के साथ एक ही छत के नीचे रहना जरूरी नहीं है बल्कि जरूरी यह है कि वह परिवार के सारे मामलों की देखभाल करता हो.
एचयूएफ के फायदे
कर छूट का दो बार लाभ
एचयूएफ बनाने के बाद अपनी आय पर दो तरह से लाभ ले सकते हैं. एक तो व्यक्तिगत और दूसरा एचयूएफ के सदस्य के नाते. अन्य स्रोतों जैसे कृषि, किराये आदि से होनेवाली आय को एचयूएफ में दिखाते हुए उसपर 2.5 लाख तक की छूट व्यक्तिगत तौर पर एवं एचयूएफ में प्राप्त कर सकते हैं. इस तरह एक व्यक्ति 1.50 लाख रुपये की टैक्स छूट का फायदा व्यक्तिगत तौर पर और दूसरी बार एचयूएफ के रूप में ले सकता है. इस तरह कुल चार लाख तक की कर छूट का लाभ दो बार ले सकते हैं.
पूंजी बनाने का विकल्प
एचयूएफ पूंजी बनाने का सबसे बेहतर तरीका है, वसीयत से मिली परिसंपत्तियों को एचयूएफ में शामिल कर इसका लाभ लिया जा सकता है. अगर कोई पुश्तैनी जायदाद बेची जाती है तो उससे मिली रकम को भी एचयूएफ को ट्रांसफर किया जा सकता है.
सदस्यों के लिए बीमा
एचयूएफ अपने सदस्यों के लिए बीमा पॉलिसी के प्रीमियम का भुगतान कर सकता है.
वेतन भोगी के लिए
वेतन पाने वाले लोगों को अगर पैतृक संपत्ति जैसे प्रॉपर्टी आदि से आय होती है तो उस आय पर टैक्स बचत के लिए एचयूएफ का सहारा ले सकते हैं.
पैतृक संपत्ति वाले को लाभ
वैसे लोग जिनके पास पैतृक संपत्ति है या जिन्हें परिसंपत्तियां वसीयत में या विरासत में मिली हैं, वे एचयूएफ का सबसे ज्यादा फायदा उठा सकते हैं.
सदस्यों को वेतन देना
एचयूएफ अपने सदस्यों को वेतन का भुगतान कर सकता है बशर्तें वे उनके संयुक्त पारिवारिक व्यवसाय में योगदान दे रहे हों. यह वेतन भुगतान एचयूएफ के आय में से कटौती के योग्य होती है.
निवेश की सुविधा
एचयूएफ के होनेवाली आय को विभिन्न तरह के निवेश विकल्प जैसे म्यूचुअल फंड, एफडी, इक्विटी आदि निवेश किया जा सकता है. इन सभी निवेशों से होनेवाली आय एचयूएफ के तहत कर योग्य होता है.
उदाहरण से समझते हैं एचयूएफ की टैक्स की गणना
पिता की मौत के बाद रोहित लाल अपनी पत्नी, एक बेटा व बेटी को सदस्य बनाते हुए एक एचयूएफ बनाने का निर्णय लेता है. इकलौते होने के कारण पिता की सारी जायदाद उसे प्राप्त हो जाती है और वह एचयूएफ के नाम से ट्रांसफर हो जाती है. पैतृक संपत्ति से उसे वार्षिक किराये के रूप में 7.5 लाख की आय होती है. रोहित का वार्षिक वेतन 20 लाख है. देखें एचयूएफ बनाने से रोहित ने कैसे बचाया टैक्स.
आय के स्रोत
कर बचत कैसे
रोहित लाल को व्यक्तिगत और एचयूएफ मिलाकर कुल Rs 399125 (391400+7725) देना होगा. जबकि एचयूएफ नहीं बनाने पर उसे Rs 553625 देना पड़ता.
एचयूएफ बनाने से होने वाली कर बचत : 553625 – 399125 = 154500
इस तरह स्पष्ट है कि एचयूएफ बना कर रोहित लाल ने 154500 रुपये की बचत की.
एचयूएफ के सदस्यों को भी एचयूएफ का लाभ होता है.
जुड़ी हैं कुछ शर्तें भी
जो व्यक्ति एचयूएफ बनाना चाहता है, उसका शादीशुदा होना जरूरी है यानी कुंवारे लोग एचयूएफ नहीं बना सकते.एचयूएफ पर इनकम टैक्स में फायदा लेने के लिए घर में बच्चे का होना जरूरी है. अगर कोई पति पत्नी मिलकर एचयूएफ बनाना चाहते हैं और उनका अभी कोई बच्चा नहीं है, तो वे आने वाले बच्चे का जिक्र कर भी एचयूएफ बना सकते हैं.हिंदू लॉ के तहत हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन एचयूएफ के दायरे में आते हैं.
एचयूएफ की सबसे छोटी इकाई पति-पत्नी हो सकते हैं, यानी इसके लिए परंपरागत अर्थों में संयुक्त परिवार का होना जरूरी नहीं है. बड़ा संयुक्त परिवार भी एचयूएफ हो सकता है.रिश्तेदार या दोस्त से गिफ्ट लेकर एचयूएफ बनाए जा सकते हैं.
दूसरी तरफ कोई शख्स अपनी संपत्ति का कुछ हिस्सा व्यक्तिगत करदाता के नाम के बजाय एचयूएफ को दे सकता है. इससे टैक्स से छूट का फायदा एचयूएफ को मिलता है.
एक पूर्वज आगे बढ़ती पीढ़ी के सदस्यों, उनकी पत्नियों और अविवाहित बेटियां एचयूएफ में शामिल होती हैं

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