इस्लामाबाद : पाकिस्तान ने राष्ट्रद्रोह के मामले की सुनवाई का सामना करने के लिए सैन्य सुरक्षा और दुबई तक सुरक्षित रास्ता मुहैया कराये जाने की पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ की शर्तो को यह कहते हुए ठुकरा दिया कि एक ‘भगोड़ा’ शर्तें नहीं लगा सकता और न ही अदालत को ‘अपनी जरुरतों के बारे में आदेश दे सकता है.’
संघीय अदालत ने कल तीन सदस्यीय विशेष अदालत को बताया कि गंभीर देशद्रोह के मामले का भगोडा अपराधी होने के नाते 73 वर्षीय मुशर्रफ अदालत के समक्ष समर्पण किये जाने तक किसी प्रकार की राहत की मांग नहीं कर सकते. उनके खिलाफ गंभीर देशद्रोह के मामले को लेकर मुकदमा चल रहा है.
सरकार ने अपने जवाब में कहा, ‘एक भगोड़ा अदालत को अपनी जरुरतों के बारे में आदेश नहीं दे सकता और यह तय नहीं कर सकता कि अपनी इच्छा से वह कब और कितनी देर अदालत के समक्ष पेश होगा.’ मुशर्रफ ने पांच मई को विशेष अदालत में आवेदन दाखिल किया था जिसमें उन्होंने इच्छा जतायी थी कि वह सैन्य संरक्षण में मुकदमे का सामना करने के लिए तैयार हैं.
उन्होंने अदालत से यह आश्वासन भी मांगा था कि उन्हें दुबई वापस लौटने के लिए सुरक्षित रास्ता दिया जाएगा. सरकार ने अपने अधिवक्ता मोहम्मद अकरम शेख के जरिए बताया, ‘मामले के नतीजे को लंबा खींचने के लिए आवेदन दाखिल किया गया है.’ डॉन समाचारपत्र ने यह खबर दी है.
उन्होंने कहा, ‘भगोड़े के खिलाफ लंबित अन्य मामलों में पहले भी सुरक्षा और चिकित्सा कारणों का हवाला देते हुए ‘चाकचौबंद’ सुरक्षा मुहैया कराने की अपील की गयी थी लेकिन किसी अन्य अदालत ने इसकी मंजूरी नहीं दी.’ हालांकि सरकार ने कहा कि वह उनके ‘अधिकार’ के अनुसार मुशर्रफ को ‘सुरक्षा’ मुहैया कराने की इच्छुक है.