रांची के जगन्नाथपुर थाना क्षेत्र की एक महिला जेल में बंद है. उसका गुनाह सिर्फ इतना है कि उसकी पांच साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म करनेवाले पड़ोसी को उसने गुस्से में रड से मारा, जिससे वह बेहोश हो गया. बाद में उसकी मौत हो गयी. उक्त महिला बाहर में काम कर अपना परिवार चला रही थी. घटना के दिन भी वह बच्ची को छोड़ कर काम करने गयी थी. इसी बीच पड़ोस का युवक आया और बच्ची को बहला कर ले गया. फिर उसने बच्ची के साथ दुष्कर्म किया.
जब महिला लौटी, तो बच्ची की हालत देख कर आपा खो बैठी. पहुंच गयी पड़ोसी के घर. बहस हुई. इसी क्रम में महिला ने गुस्से में हमला किया. सच तो यह है कि उस महिला की जगह कोई भी महिला होती तो धैर्य खो देती और दुष्कर्मी को सबक सिखाती. उसने भी तो यही किया. अब अगर इसी क्रम में दुष्कर्मी की मौत हो गयी, तो महिला कितना दोषी है, यह सवाल तो उठेगा ही. एक बच्ची के साथ अगर दुष्कर्म हो तो मां चुप कैसे रह सकती है. अन्याय के खिलाफ क्यों नहीं कदम उठायेगी. अगर कदम उठाती है, तो कानून के दायरे में आ जाती है और जेल जाना पड़ता है.
सवाल यह उठता है कि किसी भी मां या महिला को यह कदम क्यों उठाना पड़ता है? इसलिए कि प्रशासन, पुलिस पंगु है. दुष्कर्मियों को दंड मिलेगा, इसकी गारंटी नहीं है. पुलिस और शासन पर से महिलाओं का भरोसा उठ गया है. इस घटना में भी महिला को अगर भरोसा होता कि बच्ची के साथ दुष्कर्म करनेवाले को फांसी/आजीवन कारावास की सजा होगी ही, तो शायद उस महिला को यह कदम नहीं उठाना पड़ता. अगर पुलिस सक्रिय होती, न्याय प्रणाली बेहतर और तेज तरीके से काम कर रही होती तो किसी भी महिला का भरोसा बढ़ता. आज दुष्कर्म करने के बाद दुष्कर्मी खुलेआम घूमते हैं.
पुलिस साक्ष्य जमा नहीं कर पाती, ढंग से अनुसंधान नहीं होते. अप्रत्यक्ष रूप से दुष्कर्मियों की सहायता की जाती है. उनके मन से भय खत्म हो गया है. ऐसे दुष्कर्म की शिकार महिलाओं-बच्चियों को न्याय नहीं मिल पाता. उनकी जिंदगी तबाह हो जाती है. हर महिला/छात्रा/बच्चियों के दिमाग में यह बात घुसने लगी है कि वह सुरक्षित नहीं है. प्रशासन से उसे सहायता नहीं मिल सकती. अविश्वास का माहौल बन चुका है. समाज में भी चुप्पी है. इसी घटना को लीजिए. 20-25 दिन हो गये. समाज में कोई चर्चा नहीं होती. कोई आवाज नहीं उठाता. जिस बच्ची के साथ दुष्कर्म हुआ, उसे कब और कितना न्याय मिलेगा, यह तो बाद की बात है.लेकिन जिस वक्त उसे अपनी मां की सबसे ज्यादा जरूरत है, उस समय उसकी मां जेल में है. ऐसे में बच्ची के साथ अभी ही अन्याय हो रहा है.
आप भी बहस में हिस्सा लें
ठीक है कानून अपना काम कर रहा है और वह महिला जेल में बंद है, लेकिन समाज इस पर मंथन तो कर सकता है कि वह महिला कितना दोषी है? बच्ची के साथ दुष्कर्म होने के बाद अगर उक्त महिला ने यह कदम उठाया तो उसका अपराध कितना है? जिस पुलिस पर सुरक्षा की जिम्मेवारी है, अगर वह सुरक्षा नहीं दे सकी, तो दोष किसका है? ऐसे सवालों के जवाब के लिए समाज को आगे आना होगा. आप भी आगे आयें. बहस में हिस्सा लें.
बहस का विषय
क्या इस महिला को आप दोषी मानते हैं? आप अपने विचार अधिकतम 300 शब्दों में हमें ई-मेल या डाक से भेज सकते हैं
ई-मेल : kamal.kishor@prabhatkhabar.in
हमारा पता है : प्रभात खबर, 15 पी कोकर इंडस्ट्रियल एरिया, कोकर, रांची-1