बीजिंग : चीन अपने ‘सदाबहार’ दोस्त पाकिस्तान संग बैलिस्टिक मिसाइल, क्रूज मिसाइल और फाइटर प्लेन सहित रक्षा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर सहयोग की योजना बना रहा है. लगता है कि चीन यह कदम भारत की ओर से अग्नि-5 मिसाइल विकसित करने के जवाब के तौर पर उठाने जा रहा है.
अग्नि-5 की मारक क्षमता 5,000 किमी है जिसके दायरे में समूचा चीन आता है. पाकिस्तान से रक्षा योजना संबंधी मीडिया की खबरों पर प्रतिक्रिया देने से हालांकि की चीन के विदेश मंत्रालय ने इनकार किया. कहा बीजिंग दक्षिण एशिया में ‘सामरिक संतुलन’ का पैरोकार है. चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा,‘पाक सेना प्रमुख के चीन दौरे को लेकर पाक सेना ने उनके और उनके चीनी समकक्ष के बीच हुई बैठकों के बारे में सूचना जारी की थी.’
सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में पाकिस्तान के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाने की चीन की योजना के बारे में छपी खबरों के बारे में पूछे जाने पर चुनयिंग ने कहा,‘इस समाचार विज्ञप्ति में हमें बैलेस्टिक मिसाइलों से संबंधित समझौते के बारे में कुछ नहीं मिला. चीन और पाक सामान्य रक्षा आदान-प्रदान तथा वाजिब सहयोग रखते हैं.’ यह पूछे जाने पर कि क्या 1998 के यूएन सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को ध्यान में रखते हुए पाक संग मिसाइलों को लेकर बीजिंग निकटता से काम करने को तैयार है तो हुआ ने कहा कि यूएन के सभी सदस्यों की जिम्मेदारी है कि वे यूएन प्रस्तावों का पालन करें. साल 1998 के प्रस्ताव में भारत और पाकिस्तान से बैलेस्टिक मिसाइलों का परीक्षण रोकने का आह्वान किया गया था. पाक सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने पद संभालने के बाद पहली चीन यात्रा पर हैं. उन्होंने गुरुवार को केंद्रीय सैन्य आयोग के तहत ज्वाइंट स्टाफ डिपार्टमेंट के प्रमुख जनरल फंग फंघेुई से मिले.
सैन्य विशेषज्ञ सांग झांगपिंग ने ग्लोबल टाइम्स से की बात
चीनी सेना में काम कर चुके सैन्य विशेषज्ञ सांग झांगपिंग ने ग्लोबल टाइम्स को बताया कि बातचीत से चीन और पाकिस्तान के बीच सैन्य आदान-प्रदान और बढ़ेगा. उनमें गहरायी आयेगी जबकि इस दौरान सैन्य तकनीक के क्षेत्र में नये सहयोग पर भी चर्चा संभव है. पाकिस्तान में बैलिस्टिक मिसाइलों, क्रूज मिसाइलों, विमान रोधी मिसाइलों, जहाज रोधी मिसाइलों और मुख्य युद्धक टैंकों के निर्माण को चीन की मंजूरी भी इसके एजेंडे में है. चीन और पाकिस्तान के बीच सैन्य सहयोग को भी और बढ़ाया जायेगा खासकर हथियारों और आतंकवाद विरोधी क्षेत्र में.