भारतीय रेलवे की संचालन लागत का अनुपात पिछले कुछ वर्षो से आय के मुकाबले बढ़ता जा रहा है. इस अनुपात को ठीक रखने के लिए पिछले काफी समय से एक निगरानी प्राधिकरण के गठन की कवायद की जा रही है. इसी संदर्भ में हालिया ‘अंतरिम रेल बजट : 2014-15’ के तहत इसके गठन की घोषणा की गयी है. दरअसल, लीक से हटकर किये गये निर्णय के अनुसार सरकार को किराया और मालभाड़ा निर्धारित करने के संबंध में सलाह देने के लिए एक स्वतंत्र रेल टैरिफ प्राधिकरण की स्थापना की जा रही है.
अब यात्री ट्रेनों के किराये और मालभाड़े का निर्धारण करना परदे के पीछे का कार्य नहीं होगा. अब इसके लिए बाकायदा एक प्राधिकरण का गठन किया जा रहा है, ताकि पारदरशी तरीके से किराया और मालभाड़ा निर्धारित किया जा सके. रेल टैरिफ प्राधिकरण रेलवे की जरूरतों पर विचार करने के अलावा पारदरशी प्रक्रिया के माध्यम से सभी हितधारकों को भी शामिल करके एक नयी कीमत निर्धारण व्यवस्था शुरू करेगा.
इससे किराया और मालभाड़ा अनुपात को बेहतर बनाने के लिए किराया और मालभाड़ा संरचनाओं को युक्तिसंगत बनाने का दौर आरंभ होगा और धीरे-धीरे विभिन्न क्षेत्रों के बीच क्रॉस सब्सिडाइजेशन को कम किया जा सकेगा. माना जा रहा है कि इससे रेलवे की वित्तीय स्थिति सुधारने में मदद मिलेगी और राजस्व प्रवाह की अस्थिरता कम करके इसमें स्थिरता लायी जा सकेगी.