वाराणसी के रहने वाले 30 साल के सुनील कुमार बिंद स्नातक हैं. पढ़ाई पूरी करने के बाद वो अब नौकरी के लिए भटक रहे हैं. लेकिन सफलता अब तक उनके हाथ नहीं लगी है.
सुनील ने राज्य स्तरीय मुक्केबाज़ी प्रतियोगिताओं में भी हिस्सा लिया है और पेंटिंग भी करते हैं. वो पेंटिंग करने के अलावा घर-घर जाकर बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते हैं.
इसी से उनका गुज़ारा चलता है.
उन्हें जब भी किसी सरकारी नौकरी की वेकेंसी के बारे में पता चलता है वो फ़ौरन अप्लाई कर देते हैं.

सुनील कुमार बिंद
इस बार वाराणसी नगर-निगम में जैसे ही कॉन्ट्रैक्ट पर 915 सफ़ाईकर्मियों की वेकेंसी निकली, सुनील ने एक बार फिर आवेदन कर दिया.
इस पोस्ट के लिए योग्यता केवल आठवीं पास ही है. लेकिन बेरोज़गारी की मार झेल रहे सुनील को इससे भी गुरेज़ नहीं. वो केवल यही कहकर ख़ुद को संतुष्ट कर लेते हैं कि कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता.
हैरानी की बात यह है कि सफाईकर्मी के लिए आवेदन करने वाले सुनील अकेले नहीं हैं.
वाराणसी में क़रीब नौ हज़ार से अधिक ऐसे लोग हैं जो उच्च शिक्षा के बावजूद झाड़ू उठाने को तैयार हैं. आवेदन करने वालों में कई महिलाए भी शामिल हैं.

प्रिया सिंह
वाराणसी के सिगरा माधोपुर में रहने वाली तलाकशुदा प्रिया सिंह बताती हैं कि उनके पिता नगर-निगम में ड्राइवर के पद पर तैनात थे.
पिता के गुज़र जाने के बाद उनकी जगह उनके भाई को नौकरी मिली. लेकिन कुछ साल बाद भाई भी नहीं रहे.
अब मृतक आश्रित कोटे में उन्होंने आवेदन किया है. लेकिन पिछले आठ सालों से सिर्फ़ धक्के खा रही हैं.

रविशंकर श्रीवास्तव
वो कहती हैं कि पिता के पेंशन से बमुश्किल गुज़ारा चल पाता है, इसलिए स्वीपर बनने के लिए भी वो तैयार हैं.
टकटकपुर निवासी रविशंकर श्रीवास्तव भी उन्हीं में से हैं जो वाराणसी नगर-निगम में सफ़ाई कर्मचारी तक बनने को तैयार हैं.
रविशंकर भी इसके पीछे बेरोज़गारी को ही वजह बता रहे हैं.

साल 2005 में ग्रेजुएशन करने वाले रविशंकर बताते हैं कि फ़ॉर्म जमा करने के दौरान उनका सामान्य वर्ग के ऐसे-ऐसे अभ्यर्थियों से सामना हुआ जो बीटेक और एमबीए तक कर चुके थे.
सामान्य श्रेणी के आकाश अभी ग्रेजुएशन कर रहे हैं. लेकिन बेरोज़गारी की दिक़्क़त वो पहले ही भाप चुके हैं. उन्होंने भी सफाईकर्मी पद के लिए आवेदन किया है.
वाराणसी नगर निगम के आयुक्त हरि प्रताप शाही ने बीबीसी हिंदी को बताया कि नगर निगम में कॉन्ट्रैक्ट पर 915 सफाईकर्मी की नियुक्ति की प्रकिया शुरू हुई है.

आयुक्त हरि प्रताप शाही
उन्होंने बताया, "कुल एक लाख 41 हज़ार आवेदन मिले हैं. ये पाया गया कि हाई स्कूल या उससे ऊपर की शिक्षा पाने वाले 80 फ़ीसद अभ्यर्थी हैं. कुल आवेदकों में से क़रीब नौ हज़ार से ऊपर ऐसे हैं, जो स्नातक और स्नातकोत्तर हैं."
कुल आवेदकों में से आधे ओबीसी है, क़रीब 40 फ़ीसद अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के और क़रीब 10 फ़ीसद सामान्य श्रेणी के हैं.
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)