
जर्मन सरकार अपने नागरिकों को सलाह देने जा रही है कि वो राष्ट्रीय आपात स्थिति के लिए खाना और पानी जमा कर लें.
शीत युद्ध के बाद पहली बार ऐसी सलाह सरकार की तरफ से जर्मन नागरिकों को दी जाएगी.
नागरिक सुरक्षा के नए प्रस्तावों के तहत ऐसा किया जाएगा. वर्ष 1995 के बाद पहली बार इन प्रस्तावों में संशोधन किया जा रहा है.
हालांकि कुछ विपक्षी सांसदों का कहना है कि नागरिक सुरक्षा का नया विचार लोगों में ‘आतंक’ फैला सकता है.
जर्मन लोगों से कहा जाएगा है कि 10 दिनों के लिए पर्याप्त भोजन जमा रखें.
सरकार के मुताबिक आपदा की स्थिति राष्ट्रीय आपात सेवाओं को शुरुआती दौर में लोगों की पहुंच से बाहर कर देगी.
हर व्यक्ति के लिए प्रतिदिन दो लीटर के हिसाब से पानी भी रखने की भी सलाह दी जाएगी.
जर्मनी की न्यूज़ वेबसाइट फ्रांकफुर्टर अलगेमाइने का कहना है कि गृह मंत्रालय ने 69 पन्नों के दस्तावेज में नया प्रस्ताव दिया है.
इसी बुधवार को ये प्रस्ताव जर्मनी की संसद में पेश किए जाएंगे.

इन दस्तावेज़ों में कहा गया है, “जर्मन इलाकों पर हमले में पारंपरिक सुरक्षा तंत्र की जरूरत होगी, लेकिन ऐसा होने की उम्मीद नहीं है.”
इसके साथ ही कहा गया है, ”लेकिन भविष्य में देश की सुरक्षा के लिए बड़े खतरे की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता. यही वजह है कि नागरिक सुरक्षा के उपाय जरूरी हैं.”
गृह मंत्री थोमास डे मेजियरे ने स्कूली बच्चों के एक दल से कहा कि जर्मनी को इस स्थिति के लिए बिल्कुल तैयार रहना चाहिए जिसमें कि खाना या पानी के भंडार ज़हरीले हो जाएं या फिर तेल और गैस की सप्लाई में बाधा पड़ जाए.
वामपंथी राजनीतिक दल डी लिंके के संसदीय प्रमुख डिमार बार्श ने इन उपायों की आलोचना की है.
ग्रीन पार्टी के उप प्रमुख कोन्स्टांटिन फॉन नोट्ज़ ने इसे उचित माना है. हालांकि उन्होंने इसे सैन्य या चरमपंथी हमलों की आशंका से जोड़ने के खिलाफ़ चेतावनी दी है.
शीत युद्ध के जमाने में पश्चिम जर्मनी में सरकारी खर्चे से करीब 2000 बंकर बनाए गए थे.
जर्मनी में अब भी ये क़ानून है कि इन बंकरों को नए ज़माने के घरों में तब्दील ना किया जाए.
जर्मनी में गुप्त स्थानों पर भोजन और पानी का विशाल भंडार भी है जो आपात स्थिति में उपयोग के लिए रखे गए हैं.
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