
बांग्लादेश पुलिस ने शुक्रवार रात को ढाका के एक क़ैफे पर हमला करने वाले हमलावरों में से पांच के नाम जारी किए हैं.
अधिकारियों का कहना है कि पुलिस के पास उनके बारे में पहले से जानकारी थी.
इस हमले की ज़िम्मेदारी तथाकथित इस्लामिक स्टेट समूह ने ली थी लेकिन सरकार ने संगठन के दावे को ख़ारिज कर दिया है.
( ‘हमलावर आईएस के नहीं, स्थानीय चरमपंथी थे’ )

क़ैफे पर हुए हमले में 20 बंधकों की मौत हो गई थी जिनमें से 17 विदेशी थे. क़रीब 12 घंटे तक चले बंधक संकट के दौरान दो पुलिस अधिकारी और छह हमलावर भी मारे गए. इस हमले में 30 लोग घायल हो गए थे. कमांडो कार्रवाई के बाद 13 बंधकों को छुड़ा लिया गया था.
बांग्लादेश के गृह मंत्री गृह मंत्री असदुज़्ज़मान ख़ान ने रविवार को कहा कि हमला करने वाले एक स्थानीय चरमपंथी समूह से जुड़े थे जिस पर एक दशक से ज़्यादा वक़्त से पाबंदी लगी है.
उन्होंने कहा, "वो जमीअतुल मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) के सदस्य हैं. उनका इस्लामिक स्टेट से कोई संबंध नहीं था."
गृह मंत्री ने ये भी कहा कि हमलावरों ने कोई मांग नहीं रखी थी.

उन्होंने बताया कि हमलावरों में से तीन की उम्र 22 साल से कम थी और वो छह महीने से लापता थे.
कार्रवाई के दौरान छह हमलावर मारे गए थे जबकि सातवें को गिरफ़्तार कर लिया गया था. उससे अब भी पूछताछ की जा रही है.
पुलिस प्रमुख शाहिदुल हक ने पांच हमलावरों के नाम जारी किए हैं. उनके मुताबिक़ हमलावरों के नाम आकाश, बिकाश, डॉन, बंधोन और रिपोन थे.

इसके पहले इस्लामिक स्टेट ने कथित हमलावरों की तस्वीरें जारी की थीं जिसमें वो आईएस के झंडे के सामने नज़र आ रहे थे.
रिपोर्टों के मुताबिक़ हमलावर संपन्न परिवारों से थे और उन्होंने निजी स्कूलों और विश्वविद्यालयों में पढाई की है.
बांग्लादेश में बीते कुछ सालों के दौरान धर्मनिरपेक्षक ब्लॉगरों, नास्तिकों और समलैंगिक अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने वालों की हत्याओं के लिए जेएमबी को ज़िम्मेदार ठहराया जाता है.
प्रधानमंत्री शेख़ हसीना लगातार इस बात से इनकार करती रही हैं कि बांग्लादेश में इस्लामिक स्टेट ने पैठ बना ली है.
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