23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

हिरोशिमा की ख़ामोश चीख़ों को सुनिए: ओबामा

बराक ओबामा पहले अमरीकी राष्ट्रपति हैं जिन्होंने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अमरीका के परमाणु हमलों के शिकार बने जापान के हिरोशिमा शहर का दौरा किया है. इस मौक़े पर दिया गया उनका पूरा भाषण पढ़िए 71 साल पहले की बात है. एक चमकती सुबह थी, बादलों का नामोनिशान नहीं था, कि आसमान से मौत […]

Undefined
हिरोशिमा की ख़ामोश चीख़ों को सुनिए: ओबामा 9

बराक ओबामा पहले अमरीकी राष्ट्रपति हैं जिन्होंने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अमरीका के परमाणु हमलों के शिकार बने जापान के हिरोशिमा शहर का दौरा किया है.

इस मौक़े पर दिया गया उनका पूरा भाषण पढ़िए

71 साल पहले की बात है. एक चमकती सुबह थी, बादलों का नामोनिशान नहीं था, कि आसमान से मौत बरसने लगी और दुनिया बदल गई. चुंधियानी वाली रोशनी और आग ने एक शहर को ध्वस्त कर दिया और दुनिया को बता दिया कि इंसानियत के पास ऐसी चीज़ें हैं जो ख़ुद उसे ही बर्बाद कर सकती हैं.

हम इस जगह क्यों आए हैं, हिरोशिमा में क्यों आए हैं. हम विचार करने आए हैं भयानक ताक़त के इस्तेमाल पर, जो यहां किया गया और ये बात बहुत ज़्यादा पुरानी नहीं है. हम यहां मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने आए हैं, जिनमें एक लाख जापानी पुरूष, महिलाएं और बच्चे थे जबकि हज़ारों कोरियाई और कई सारे अमरीकी युद्ध बंदी भी थे.

उनकी आत्माएं हमसे बात करती हैं. वो हमसे कहती हैं कि अपने अंदर झांको, समझो कि हम कौन हैं और हम क्या बन सकते हैं.

Undefined
हिरोशिमा की ख़ामोश चीख़ों को सुनिए: ओबामा 10

परमाणु हमले के पीड़ितों से बात करते राष्ट्रपति ओबामा

बात सिर्फ़ लड़ाई की नहीं है, जो हिरोशिमा को औरों से अलग करती है. सभ्यताओं के निशान हमें बताते हैं कि एक हिंसक द्वंद्व तो हर समय इंसान के भीतर रहा है.

हमारे शुरुआती पूर्वजों ने नुकीली पत्थरों से धारदार हथियार बनाए और लकड़ी से तीर बनाए. इन सब चीज़ों का इस्तेमाल उन्होंने सिर्फ़ शिकार के लिए नहीं किया बल्कि एक दूसरे के ख़िलाफ़ भी किया.

हर महाद्वीप पर सभ्यता का इतिहास युद्ध से भरा है. अब युद्ध चाहे अनाज की कमी और सोने की भूख के लिए हुआ हो या फिर उसकी वजह राष्ट्रवादी जुनून हो या फिर धार्मिक आवेश.

सम्राटों का उत्थान हुआ और पतन हुआ. लोगों को ग़ुलाम बनाया गया और आज़ाद कराया गया. और हर जगह, निर्दोष लोगों ने पीड़ा झेली, न जाने कितने लोग मारे गए और समय के साथ उनके नाम भी भुला दिए गए.

Undefined
हिरोशिमा की ख़ामोश चीख़ों को सुनिए: ओबामा 11

अमरीका ने 1945 में जापान के हिरोशिमा और नाकासाकी में परमाणु बम गिराए थे

जिस विश्व युद्ध का हिरोशिमा और नागासाकी में बर्बर अंत हुआ वो सबसे अमीर और ताक़तवर देशों के बीच लड़ा गया.

उनकी सभ्यताओं ने दुनिया को महान शहर और अद्भुत कला दी. उनके विचारकों ने न्याय, सौहार्द्र और सत्य के विचार को आगे बढ़ाया.

लेकिन फिर भी उन्हीं जगहों से लड़ाई का जन्म हुआ जिसका मक़सद दबदबा क़ायम करना था या फिर फ़तह करना. संघर्ष वैसा ही था जैसे कभी बेहद साधारण तरीक़े से रहने वाले क़बीलों में होता था. बस लड़ाई के पुराने तौर तरीक़े की जगह नई क्षमताओं ने ले ली, लेकिन इनकी हदों का कोई अता पता नहीं था.

कुछ वर्षों की अवधि में लगभग छह करोड़ लोग मारे गए. मरने वाले पुरूष, महिला और बच्चे हम जैसे ही थे. गोलियां दाग़ी गईं, पीटा गया, बम गिराए गए, जेल में रखे गए, भूखे रखे गए और मौत के हवाले कर दिए गए.

दुनिया में ऐसी कई जगहें हैं जो इस लड़ाई की याद दिलाती हैं, कई स्मारक हैं जो साहस और वीरता की कहानियां बयान करते हैं, क़ब्रें और ख़ाली शिविर हैं जिनमें लोगों पर ढाए ज़ुल्मों की गूंज सुनाई देती हैं.

फिर भी इन आकाशों में उठने वाले मशरूम जैसे बादलों की छवि में, हमें बड़ी शिद्दत से इंसानियत के मौलिक विरोधाभासों का अहसास कराया जाता है.

Undefined
हिरोशिमा की ख़ामोश चीख़ों को सुनिए: ओबामा 12

परमाणु हमले के बाद हिरोशीमा का मंजर

एक चिनगारी हमारी प्रजाति को अलग करती है, हमारे विचार तय करती है, हमारी कल्पना को आकार देती है, हमारी भाषा को गढ़ती है, औज़ार बनाने की दक्षता देती है और हमें प्रकृति से अलग करने की क्षमता तैयार करती है और फिर हम प्रकृति को अपनी इच्छा के अनुरूप इस्तेमाल करने लगते हैं. यही सब चीज़ें हमारे अपार विध्वंस की क्षमता भी पैदा करती है.

सामग्री को उन्नत बनाने और सामाजिक आविष्कार के चक्कर में हम कितनी बार इस सच को देख पाते हैं? कितनी आसानी से हम किसी बड़े कारण के नाम पर हिंसा को जायज़ ठहराना सीख जाते हैं.

हर महान धर्म प्यार, शांति और न्याय का रास्ता दिखाने का वादा करता है, लेकिन फिर भी कोई धर्म ऐसे लोगों से अछूता नहीं है जो ये समझते हैं कि उनका धर्म उन्हें लोगों को मारने का लाइसेंस देता है.

राष्ट्र एक ऐसी कहानी बताते हुए खड़े होते हैं जो लोगों को त्याग और सहयोग के सूत्र में बांधती है, अद्भुत वीरता दिखाने के लिए उत्साहित किया जाता है. लेकिन यही कहानी उन लोगों को कुचलने और ख़त्म करने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं जो अलग हैं.

विज्ञान की बदौलत आज हम महासागरों के आरपार बात कर सकते हैं, बादलों में उड़ सकते हैं, बीमारियों का इलाज कर सकते हैं और ब्रह्मांड को समझ सकते हैं, लेकिन यही खोजें बड़ी दक्षता से इंसानों को मारने की मशीनों में तब्दील हो सकती हैं.

Undefined
हिरोशिमा की ख़ामोश चीख़ों को सुनिए: ओबामा 13

हिरोशिमा स्मारक

आधुनिक दौर के युद्ध हमें यही सच बताते हैं. हिरोशिमा हमें यही सच पढ़ाता है. मानवीय संस्थानों में प्रगति किए बिना सिर्फ़ तकनीकी प्रगति करना हमें तबाही और बर्बाद की ही तरफ़ ले जा सकता है. अणुओं की बौछार करने में सक्षम बनाने वाली वैज्ञानिक क्रांति के साथ एक नैतिक क्रांति की भी ज़रूरत है.

यही वजह है कि हम इस जगह आए हैं. हम इस शहर के बीचोंबीच खड़े हैं और अपने आपको उस पल की कल्पना करने के लिए मजबूर करें जब यहां बम गिरा था. उन बच्चों की दशहत की कल्पना करें जो समझ भी नहीं पा रहे होंगे कि वो क्या देख रहे हैं.

हम इस ख़ामोश चीख़ को सुनें. हम उन सब लोगों को याद करें जो इस भयानक लड़ाई में मारे गए थे, या उससे पहले और बाद की लड़ाइयों में मारे गए.

ये पीड़ा सिर्फ़ शब्दों से बयान नहीं हो सकती है. लेकिन ये हम सबकी साझा ज़िम्मेदारी है कि हम सीधे तौर पर इतिहास की आंखों में देखें और पूछे कि हम ऐसा क्या अलग कर सकते हैं कि ये पीड़ा और त्रासदी दोबारा ना झेलनी पड़े.

एक दिन हिबाकुशा (परमाणु हमले के पीड़ित बचे लोगों के लिए इस्तेमाल होने वाला जापानी शब्द) की आवाज़ें हमारे साथ नहीं होंगी, जो हमें बताएं कि क्या हुआ था.

लेकिन 6 अगस्त 1945 की उस सुबह की याद कभी धुंधली नहीं पड़नी चाहिए. वो याद हमें आत्मसंतोष से लड़ने की इजाज़त देती है. इससे हमारी नैतिक कल्पना दहकती है. ये हमें बदलाव की तरफ़ ले जाती है.

और उस भयानक दिन के बाद, हमने जो फ़ैसले किए वो उम्मीदें जगाते हैं. अमरीका और जापान ने न सिर्फ़ गठबंधन बनाया बल्कि एक ऐसी दोस्ती भी बनाई, जिसने हमारे लोगों को इतना कुछ दिया कि वो युद्ध से हासिल हो सकने वाली चीजों के मुक़ाबले कहीं ज़्यादा है.

Undefined
हिरोशिमा की ख़ामोश चीख़ों को सुनिए: ओबामा 14

यहां लिखा है कि ऐसी गलती फिर नहीं की जाएगी

यूरोपीय राष्ट्रों ने एक संघ बनाया, जिसकी वजह से युद्ध के मैदानों की जगह अब कारोबार और लोकतंत्र ने ले ली. पीड़ित लोग और देशों को आज़ादी मिली. अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने ऐसे संस्थानों और संधियों की नींव रखी जिनका काम युद्ध को टालना है और परमाणु हथियारों को सीमित करना, कम करना और आख़िरकार उनके अस्तित्व को ख़त्म करना है.

अब भी दुनिया के किसी हिस्से में देशों के बीच आक्रमण और आंतक की हर गतिविधि, भ्रष्टाचार, क्रूरता और दमन की हर गतिविधि बताती है कि हमारा काम अधूरा है.

हो सकता है कि हम इंसान के भीतर के शैतान को ख़त्म न कर सकें, लेकिन जो राष्ट्र या गठबंधन हम बनाते हैं वो इतने सक्षम होने चाहिए कि ख़ुद की रक्षा कर सकें.

इन देशों में मेरा अपना भी देश है जिसके पास परमाणु हथियारों का बड़ा भंडार है. लेकिन हमारे भीतर भय के तर्क से बचने और परमाणु हथियार रहित दुनिया के लिए कोशिश करने का साहस होना चाहिए.

हो सकता है कि अपनी ज़िंदगियों में हम ये लक्ष्य पूरा न कर पाएं, लेकिन लगातार कोशिशों से हम किसी त्रासदी की आशंकाओं को टाल सकते हैं. हम ऐसी योजना तैयार कर सकते हैं जिसके तहत इस हथियारों के जखीरे को खत्म किया जाए. हम नए देशों तक इनके फैलाव रोक सकते हैं और कट्टरपंथी लोगों के हाथों में पड़ने से इन्हें बचा सकते हैं.

लेकिन सिर्फ़ इतना भर कर लेना काफी नहीं है. आज की दुनिया में हम देखते हैं कि कामचलाऊ सी कोई राइफ़ल और बैरल बम भी कितने बड़े पैमाने पर तबाही फैला सकते हैं.

हमें लड़ाई को ही लेकर अपनी मानसिकता बदलनी होगी. संकट को कूटनीति के ज़रिए रोकना होगा और अगर वो शुरू हो चुका है तो उसे ख़त्म करने के प्रयास करने होंगे.

एक दूसरे पर हमारी निर्भरता शांतिपूर्ण सहयोग को बढ़ावा देगी, न कि हिंसक प्रतिद्वंद्विता को.

Undefined
हिरोशिमा की ख़ामोश चीख़ों को सुनिए: ओबामा 15

हमारे देशों की पहचान इस बात से न हो कि उनके पास विध्वंस की कितनी क्षमता है, बल्कि ये पहचान निर्माण की क्षमता से होनी चाहिए. और शायद, सबसे जरूरी, हमें फिर से ये सोचने की जरूरत है कि एक ही इंसानी नस्ल का सदस्य होने के नाते एक दूसरे से हमारा नाता है.

यही बात हमारी प्रजाति को सबसे अलग बनाती है. हमारे भीतर कोई ऐसा अनुवांशिक गुण नहीं है कि हम अतीत की ग़लतियों को दोहराएंगे ही.

हम अतीत से सीख सकते है. हम बेहतर को चुन सकते हैं. हम अपने बच्चों को अलग कहानी सुना सकते हैं, ऐसी कहानी जिसमें एक साझा इंसानियत की बात हो, ऐसी कहानी जिसमें युद्ध और क्रूरता की गुंजाइश बहुत ही कम हो. ऐसी कहानी को आसानी से स्वीकार किया जाएगा.

ये कहानियां हमें हिबाकुशा में दिखाई देती हैं. याद कीजिए उस महिला को जिसने परमाणु बम गिराने वाले विमान के पायलट को माफ़ कर दिया क्योंकि उसे तो सिर्फ युद्ध से नफरत थी, किसी पायलट से नहीं. या फिर वो आदमी जिसने परमाणु हमले में मारे गए अमरीकी लोगों के परिवारों की मदद की क्योंकि उसका मानना था कि इन लोगों का दुख और पीड़ा भी हमारे जैसी है.

मेरे अपने राष्ट्र की कहानी भी सादा शब्दों से शुरू होती है: सभी लोगों को बराबर बनाया गया है और बनाने वाले ने सभी को कुछ बराबर अधिकार दिए हैं जैसे जीवन, आज़ादी और ख़ुशी की चाहत रखना. लेकिन ये बात इतनी आसान भी नहीं है, यहां तक कि हमारे अपने देश के भीतर ही, हमारे अपने लोगों के बीच ही. लेकिन इसके लिए ईमानदार कोशिश हरदम होनी चाहिए.

इस आदर्श को पाने के लिए प्रयास करिए, सभी महाद्वीपों में और महासागरों में भी. हर ज़िंदगी क़ीमती है. हम सब एक इंसानी परिवार का हिस्सा हैं- ये कहानी हम सबको बतानी और सुनानी चाहिए.

Undefined
हिरोशिमा की ख़ामोश चीख़ों को सुनिए: ओबामा 16

इसीलिए हम हिरोशिमा में आए हैं. हम उन लोगों के बारे में सोच सकते हैं जिन्हें हम प्यार करते हैं. सवेरे सवेरे हमारे बच्चों की पहली मुस्कान. किचन की मेज पर जीवनसाथी का हल्का सा स्पर्श. प्यार से मां या बाप का गले लगाना. हम उन चीजों के बारे में सोच सकते हैं और हम जानते हैं कि यही बेशकीमती पल यहां भी रहे होंगे, आज से ठीक 71 साल पहले.

जो लोग मारे गए, वो हमारे जैसे ही थे. मैं समझता हूं कि साधारण लोग इस बात को समझते हैं. वो और लड़ाई नहीं चाहते. बल्कि वो चाहते हैं कि विज्ञान के चमत्कारों को जीवन बेहतर करने पर लगाया जाए, इसे ख़त्म करने पर नहीं. जब देश कोई फ़ैसला करते हैं, नेता कोई फ़ैसला करते हैं, तो इसी बात का ध्यान रखें. फिर हम समझेंगे कि हमने हिरोशिमा से कोई सबक़ लिया है.

इसी जगह पर, दुनिया हमेशा के लिए बदल गई थी, लेकिन आज इस शहर के बच्चे शांति से यहां अपना दिन गुजारेंगे. ये कितनी कमाल की बात है. इसको बचा कर रखना होगा और आगे आने वाले हर बच्चे को सौंपना होगा.

यही भविष्य हम चुन सकते हैं, एक ऐसा भविष्य जहां हिरोशिमा और नागासाकी को परमाणु हमलों के लिए नहीं, बल्कि एक नई सुबह की शुरुआत के तौर पर जाना जाए.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें