मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सभी मंत्रियों, विधायकों, अधिकारियों से उनकी सुरक्षा में तैनात जवानों को कम करने को कहा था. जब समीक्षा की गयी, तो पाया गया कि एक मंत्री की सुरक्षा में औसतन तय सीमा से काफी अधिक सुरक्षाकर्मी तैनात हैं. इसमें राज्य सरकार की बड़ी राशि खर्च हो रही है. राज्य के कई इलाके नक्सल प्रभावित हैं. मंत्रियों की सुरक्षा में तैनात अतिरिक्त जवानों का उपयोग इन इलाकों में करने से बड़ी हद तक दूसरे जवानों को मदद मिलती.
रांची: झारखंड के 11 मंत्रियों की सुरक्षा में कुल 408 सुरक्षाकर्मी तैनात हैं. गृह विभाग की ओर से जारी अधिसूचना (1374/2003) के अनुसार, एक मंत्री की सुरक्षा में अधिकतम 22 पुलिसकर्मी की तैनाती की जा सकती है. इसमें हाउस गार्ड भी शामिल हैं. हाउस गार्ड के रूप में मंत्रियों के रांची स्थित आवास और गृह जिले के मकान में पांच-पांच जवानों की तैनाती की जानी है. इस तरह सभी 11 मंत्रियों की सुरक्षा में कुल 242 जवानों को तैनात किया जा सकता है. पर हकीकत यह है कि एक मंत्री की सुरक्षा में औसतन 37 जवान तैनात हैं. यानी औसतन 15 जवान अतिरिक्त. 11 मंत्रियों की सुरक्षा में तय मापदंड से 166 जवान अतिरिक्त तैनात हैं..
हर माह 30 लाख अतिरिक्त खर्च
मंत्रियों की सुरक्षा पर होनेवाले खर्च की बात की जाये, तो राज्य सरकार को हर माह 73.44 लाख रुपये (एक पुलिसकर्मी का औसत वेतन 18 हजार) का भुगतान करना पड़ रहा है. जबकि नियम के अनुसार 242 पुलिसकर्मी की तैनाती करने पर 43.56 लाख रुपया प्रतिमाह खर्च आयेगा. इस तरह मंत्रियों की सुरक्षा पर हर माह 29.88 लाख रुपये ज्यादा का खर्च हो रहा है.
अतिरिक्त जवानों का यहां हो सकता था बेहतर इस्तेमाल
– खूंटी में करीब 150 पुलिसकर्मियों की कमी है
– रेल थानों में जरूरत से कम पुलिसकर्मी हैं
– शहरों जाम रहता है, ट्रैफिक पुलिस की कमी है
वाइ श्रेणी में भी बुलेट प्रूफ कार
पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय और राज्य के मंत्री राजेंद्र सिंह को वाइ श्रेणी की सुरक्षा उपलब्ध है. पुलिस विभाग ने दोनों को बुलेट प्रूफ वाहन उपलब्ध कराया है. नियमानुसार सिर्फ जेड श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति को ही बुलेट प्रूफ कार उपलब्ध कराना है. मंत्री चंद्रशेखर दुबे ने भी बुलेट प्रूफ कार की मांग की थी.