
पुलिस घोड़े पर कथित हमले के आरोप झेल रहे उत्तराखंड के भाजपा विधायक गणेश जोशी को पुलिस ने हिरासत में लिया है.
देहरादून के पुलिस अधीक्षक (शहर) यशवंत सिंह ने बीबीसी को बताया है कि उन्हें इस मामले में पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है.
उत्तराखंड की राजनीति में इन दिनों इस घोड़े की वजह से घमासान मचा है. विधानसभा के पास पिछले दिनों प्रदर्शन के दौरान भाजपा विधायक गणेश जोशी ने कथित रूप से पुलिस के घोड़े पर डंडे बरसाए. उसके बाद घोड़ा वहां लगे लोहे के बैरीकेड के पास गिरा और उसकी टांग टूट गई.
हालांकि इस बारे में कोई स्पष्ट वीडियो साक्ष्य नहीं है. अलबत्ता एक तस्वीर में घोड़े के सामने विधायक, जोशो-खरोश से लाठी उठाए वार की मुद्रा में नज़र आ रहे हैं.
पंतनगर विश्वविद्यालय के अलावा पुणे से विशेषज्ञ डॉक्टरों के दल ने उसके पांव का ऑपरेशन किया और गैंग्रीन फैलने के डर से घोड़े का पांव काटना पड़ा.
बताया जा रहा है कि शक्तिमान अब पुलिस परेड का हिस्सा नहीं बन पाएगा.

इस बीच पुलिस ने इस मामले में भाजपा के एक कार्यकर्ता को गिरफ़्तार किया है. भाजपा विधायक गणेश जोशी पर भी गिरफ़्तारी की तलवार लटक रही है.
इस बीच बीजेपी आलाकमान ने अपने उत्तराखंड प्रभारी श्याम जाजू को ‘डैमेज कंट्रोल’ के लिए देहरादून भेजा है.
बैरीकेडिंग तोड़कर विधानसभा पहुँचने की कोशिश कर रहे भाजपा के प्रदर्शनकारी जत्थे को रोकने के लिए घुड़सवार पुलिस बुलाई गई थी. तभी उत्तराखंड पुलिस की शान माना जाने वाला शक्तिमान घोड़ा, तमतमाए बीजेपी कार्यकर्ताओं के सामने पड़ गया, जिनकी अगुवाई भाजपा विधायक गणेश जोशी कर रहे थे.
आरोप है कि विधायक ने आव देखा न ताव, डंडा लिया और घोड़े की टांग पर बरसाने शुरू कर दिए. पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर ली है.
पुलिस महानिरीक्षक (गढ़वाल) संजय गुंज्याल के मुताबिक़ ”एक टीम बनाई गई है. मामले की संवेदनशीलता देखते हुए जांच जारी है. वीडियो और चश्मदीद साक्ष्यों के आधार पर नैनीताल ज़िले में एक व्यक्ति की गिरफ़्तारी की गई है. उसका नाम प्रमोद वोहरा है.”
हालांकि भाजपा विधायक गणेश जोशी फिलहाल पुलिस कार्रवाई से बेख़ौफ़ नज़र आते हैं.

उनका कहना है, ”हम राजनैतिक कार्यकर्ता हैं. जेलों में रहते हैं. हमारे नेता जेल में रहे हैं. हम आंदोलनकारी हैं. हम जेल जाने से घबराने वाले नहीं हैं. उस घोड़े को मल्टीपल फ्रेक्चर हैं. पैर में रॉड डाली गई है. उसे खड़ा किया गया. क्या ज़रूरत थी एकदम खड़ा करने की. उसे चार-पांच दिन पड़ा रहने देते.”
गणेश जोशी गुरुवार को घोड़े को हाल जानने देहरादून की पुलिस लाइन पहुँचे, जहां उसका इलाज चल रहा है. इसके बाद उनका कहना था, ”मैं अपने साथी विधायकगणों के साथ पुलिस लाइन गया. मुझे खेद है कि बेचारे घोड़े को राजनीति का शिकार होना पड़ रहा है. मैं घोड़े के जल्द स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूँ.”
जोशी ने उल्टा कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया कि राजनीतिक लाभ के लिए वह घोड़े को मरवाना चाहती है लेकिन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भाजपा के आरोपों को अनर्गल प्रलाप कहकर ख़ारिज कर दिया.
उन्होने घोड़े के घायल होने को ड्यूटी के वक़्त एक सिपाही का घायल होना क़रार दिया.

हरीश रावत ने कहा कि उत्तराखंड की जनता भाजपा की संवेदनशीलता और सहिष्णुता देख रही है, जो एक निरीह जानवर को भी सहन नहीं कर पाती.
हरीश रावत ने कहा, ”एक मूक जानवर को मारना एक घृणित काम है. मैंने डीजीपी को बुलाकर कहा है कि इलाज कराएं. ऐसा न लगे कि उत्तराखंड उतना असंवेदनशील हो गया है जितनी भाजपा. भाजपा की संवेदना मर गई है. वे अपना गुण दिखा रहे हैं. बीजेपी ने सहिष्णुता छोड़ दी है.”
अब यह मामला देश-विदेश में सुर्खियों में है और पशुप्रेमी संगठन और लोग घोड़े पर हमले को लेकर अफ़सोस और हैरानी जता रहे हैं. हालांकि अभी यह साफ़ नहीं कि क्या घोड़ा, भीड़ और गहमागहमी से बिदककर नीचे गिरा और वहां पड़े लोहे से चोट खा बैठा या उसे कथित रूप से इतना मारा गया कि उसे अपनी टांग गँवानी पड़ी.
एक सवाल यह भी है कि उग्र प्रदर्शन रोकने के लिए एक सीमित से स्थान में घुड़सवार पुलिस की ड्यूटी लगाना कितना उचित था.
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