वाशिंगटन : कंप्यूटर के इस्तेमाल और दिमाग को सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रखने से वृद्धजन में याददाश्त संबंधी समस्याएं विकसित होने का खतरा कम करने में मदद मिल सकती है.यह बात एक नये अध्ययन में सामने आयी है.अमेरिका में मायो क्लीनिक के अनुसंधानकर्ताओं ने 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के 1,929 लोगों पर नजर रखी. अध्ययन शुरु करने से पहले इसमें भाग लेने वाले लोगों की याददाश्त और सोचने की क्षमता सामान्य थी.
इसके बाद इन लोगों पर करीब चार वर्ष तक नजर रखी गई. अनुसंधानकर्ता यह पता लगाना चाहते थे कि क्या अध्ययन में भाग लेने वाले उन लोगों में संज्ञानात्मक क्षमता में मामूली कमी शुरू होने का खतरा अपेक्षाकृत कम है जो सप्ताह में कम से कम एक बार मानसिक गतिविधियों में शामिल रहते हैं. अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों ने प्रति सप्ताह एक दिन या इससे अधिक बार कंप्यूटर का इस्तेमाल किया उनमें ऐसा नहीं करने वाले लोगों की तुलना में याददाश्त एवं सोचने संबंधी समस्याएं विकसित होने की 42 प्रतिशत कम संभावना थी.
इसमें कहा गया है कि सामाजिक गतिविधियों में शामिल रहने वाले लोगों में उन लोगों की अपेक्षा याददाश्त एवं सोचने संबंधी समस्याएं विकसित होने की 23 प्रतिशत कम संभावना थी जो सामाजिक गतिविधियों में शामिल नहीं होते हैं.
पत्रिकाएं पढने वाले लोगों में ऐसी समस्याएं होने की 30 प्रतिशत कम संभावना है. बुनाई जैसी कारीगरी वाली गतिविधियों में शामिल लोगों में स्मरणशक्ति संबंधी समस्याएं विकसित होने की संभावना 16 प्रतिशत कम है.अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि कोई खेल खेलने वालों में ऐसी समस्याएं विकसित होने की संभावना 14 प्रतिशत कम है.मायो क्लीनिक की जेनीना क्रेल रोश ने कहा, ‘‘परिणाम उम्र बढने के साथ दिमाग सक्रिय रखने की महत्ता को दर्शाते हैं.”