आज की दुनिया में लोगों को खुशहाली के साथ जो चीज मुफ्त में मिल रही है, वह है तनाव. बढ़ते तनाव की वजह से तरह-तरह की बीमारियां बढ़ी हैं. उच्च रक्तचाप की खतरनाक आहट से भारत समेत पूरी दुनिया परेशान है. आज ‘वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे’ के मौके पर पढ़िए विशेषज्ञ की राय.
।।डॉ एनके सिंह।।
(कार्डियो-डायबिटोलॉजिस्ट)
अमेरिकन हर्ट जनरल ग्रुप की ओर से प्रकाशित की जानेवाली विशिष्ट पत्रिका ‘हाइपरटेंशन’ के 15 अप्रैल 2013 अंक में डॉ अमृता अहलुवालिया की टीम द्वारा किये गये एक शोध में चुकंदर(बीटरूट) द्वारा ब्लडप्रेशर कम होने की बात कही गयी है. डॉ अहलुवालिया विलियम हार्वे रिसर्च इंस्टीटय़ूट, लंदन (यूके) की शोधकर्ता हैं.
इनकी टीम ने चुकंदर के 250 मिली (एक कप) जूस के इस्तेमाल से बढ़े रक्तचाप में करीब 10 मिमी की गिरावट पायी. इसका प्रमुख कारण है चुकंदर में भरपूर मात्रा में पाया जानेवाला इनऑरगेनिक नाइट्रेट. शरीर में नाइट्रेट के जाने के बाद यह नाइट्रिक ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है जो खून की नली की आंतरिक सतह इंडोथैलियम का फैलाव करता है. यह फैलाव यानी ‘डाइलेटेशन’ ही रक्तचाप को कम कर देता है. इस समय पूरी दुनिया और खास कर भारत रक्तचाप की खतरनाक आहट से तबाह हो रहा है.
भारत में कम से कम 40 करोड़ लोग इससे पीड़ित हैं. तमाम आधुनिक दवाइयों के बावजूद इसमें से मात्र 50} का रक्तचाप नियंत्रित है.
रक्तचाप का अनियंत्रित रहना ब्रेन अटैक (स्ट्रोक/लकवा), हार्ट अटैक और किडनी फेल्योर का मुख्य कारण बना हुआ है. ऐसे में ‘चुकंदर’ जैसे जनसुलभ प्राकृतिक तत्व द्वारा महत्वपूर्ण ढंग से रक्तचाप को कम करने की बात और अहम हो जाती है.
क्या था यह रिसर्च
शोध के दौरान आठ महिलाओं और सात पुरुषों, जिनका रक्तचाप 140/90 से ज्यादा था और वे कोई दवा नहीं ले रहे थे, उनको चुना गया. उन्हें प्रतिदिन 250 मिली जूस (दो चुकंदर से प्राप्त) पीने को दिया गया और फिर छह घंटे बाद और 24 घंटे बाद तक उनके रक्तचाप की जांच की गयी. यह केस-कंट्रोल अध्ययन था और 15 वैसे लोगों के रक्तचाप को परखा गया जो बीट-जूस नहीं ले रहे थे. शोध में पाया गया कि बीट-जूस लेनेवाले ग्रुप में रक्तचाप करीब 10 मिमी तक कम हुआ, जो 24 घंटे तक बना रहा. इनकी पीक वेव वेलोसिटी में भी कमी पायी गयी. इन लोगों के रक्त में ‘नाइट्रेट’ की मात्र भी नापी गयी और चुकंदर जूस द्वारा ‘नाइट्रेट’ की मात्र से ही रक्तचाप कम करने का कारण परखा गया. एक अन्य शोध में अहलुवालिया की टीम ने चूहों पर किये प्रयोग द्वारा यह पाया कि जैंथीन ऑक्सीडोरिडक्टेज पाथवे द्वारा रेड ब्लड सेल्स में नाइट्रिप्ट का नाइट्रिक ऑक्साइड द्वारा पारिवर्तित होना रक्तचाप को कम कर देता है.
नाइट्रिक ऑक्साइड है ‘मोलिक्यूल ऑफ डिकेड’ डायबिटीज, रक्तचाप, एथरेस्केलेरोसिस किडनी फेल्योर, अलजाइमर हार्टअटैक जैसी खतरनाक बीमारियों में नाइट्रिक ऑक्साइड की महत्ता का रहस्य धीरे-धीरे खुलता जा रहा है. अमेरिका के डॉ राबर्ट फार्सगट, डॉ लुइस एवं डॉ मुराद को सन 1998 का नोबेल प्राइज ‘नाइट्रिक ऑक्साइड’ के रहस्य को उजागर करने के लिए दिया गया था. उसी समय इसे ‘मोलिक्यूल ऑफ डिकेड’ कहा गया. तब हमें पता नहीं था कि हमारे खून की नली की आंतरिक परत ‘इंडोथेलियम’ एक सक्रिय इंडोक्राइन सिस्टम का अंग है और हमारे स्वास्थ्य का सबसे बड़ा रक्षक है. यदि हमारा इंडोथेलियम स्वस्थ रहे तो हमें कोई बीमारी ही न हो. अब हमें पता है कि किस तरह एक बार का खाया हुआ ‘जंक फूड’ इंडोथेलियम की कोशिकाओं में नाइट्रिक ऑक्साइड की मात्र कम कर उसे सुस्त और चोटिल कर देता है. इंडोथेलियम की सतह रुखी हो जाती है, उसमें सिकुड़न पैदा होने लगती है और कोलेस्ट्रॉल का जमाव शुरू हो जाता है.
यूनिवर्सिटी ऑफ मिशीगन में हुए नये रिसर्च ने हाल में दिखाया है कि कार द्वारा हुए वायु प्रदूषण के असर में भी इंडोथेलियम की प्राकृतिक क्षमता का नाश होने लगता है और इस तरह प्रदूषित वायु के प्रभाव में सभी मेटाबोलिक बीमारियों की शुरुआत होने लगती है. इस समय फलों में पाये जानेवाले ‘कारबाइड’ रसायन, मिनरल वाटर की प्लास्टिक से रिसनेवाले इंडोक्राइन जिसरप्टर केमिकल बिसफिनोल द्वारा उच्च रक्तचाप और डायबिटीज होने की बात जो हो रही है वह भी इंडोथेलियम के नाइट्रिक ऑक्साइड के कमने से होती है. यह बात अब स्पष्ट है कि यदि हमारा इंडोथेलियम स्वस्थ रहे और पर्याप्त मात्र में नाइट्रिक एसिड स्नवित करता रहे तो हम सौ साल आराम से जी सकते हैं. योग, प्राणायाम, एरोबिक एक्सरसाइज द्वारा जो फायदे होते हैं वह ‘नाइट्रिक एसिड’ के स्नवित होने से ही जुड़ा है.
चुकंदर का क्या करें!
भारत में चुकंदर पर्याप्त मात्रा में सभी जगह मिलता है और बहुत महंगा भी नहीं है. मात्र दो चुकंदर से 250 मिली रस निकलता है. उसे सलाद में आराम से खाया जा सकता है. चुकुंदर के 100 ग्राम में सुगर मात्र 7.9 ग्राम होता है. इसलिए डायबिटीज में भी इसे लिया जा सकता है. इसमें रक्षात्मक रसायनों खास कर मैग्नीशियम, आयरन, जिंक, कैलशियम, विटामिनों और फाइबर की भरमार है. विटामिन सी एवं ‘बिटाइन’ भी काफी रहने से यह होमोस्टिन की मात्र सही रख कर हार्ट को स्वस्थ रखता है. ‘फैटी लीवर’ की समस्या में भी चुकंदर रामबाण की तरह काम करता है. यदि ब्लडप्रेशर का रेंज 160/100 के नीचे है तो चुकंदर द्वारा इसे पूर्णत: नियंत्रित होने की संभावना है. मगर यह काम आप चिकित्सक की देखरेख में ही करें. यदि आपको किडनी की भी प्रॉब्लम है तो चुकंदर में पाये जानेवाले पोटैशियम पर ध्यान रखनी होगी. इस समय हमें यह याद रखना होगा कि चुकंदर पर किया गया यह रिसर्च पूर्णत: वैज्ञानिक होने के बावजूद और ‘हाइपरटेंशन’ जैसी प्रतिष्ठित जनरल में प्रकाशित होने के बावजूद मात्र 15 लोगों पर किया एक छोटा-सा शोध है. इस पर अभी और शोध की जरूरत है. उच्च रक्तचाप एक घातक बीमारी है और जीवन र्पयत आधुनिक दवाइयों द्वारा इसे नियंत्रित रखना जीवन और मरण का मुद्दा है. ऐसे में मात्र ‘चुकंदर’ द्वारा रक्तचाप को नियंत्रित रखना केवल संभावनाओं की उन्मुक्त खिड़की खोल रहा है, जिसके बाहर हमारी उड़ान शायद हो सकती है.