-नॉलेज डेस्क-
नेपाल में पहली संविधान सभा के कार्यकाल के समाप्त हो जाने के बाद भी वहां संविधान का निर्माण नहीं हो सका. संविधान सभा के लिए दोबारा हुए चुनाव के नतीजों के बाद उम्मीद बंधी है कि नेपाल संविधान निर्माण के कठिन काम को अंजाम दे पायेगा. आखिर क्या होता है संविधान, क्या है संविधान का इतिहास, कैसे बनता है किसी देश का संविधान, क्या है भारत के संविधान के निर्माण की कहानी, इन सवालों का जवाब देने की कोशिश कर रहा है आज का नॉलेज.
आधुनिक लोकतांत्रिक शासन, वास्तव में संविधान का शासन है. लोकतंत्र में शासक स्वेच्छाचारी न हो, मनमर्जी न चलाये, इसके लिए शासन के नियमों और आदर्शो को संहिताबद्ध किया जाता है. यही कारण है कि लोकतंत्र में निजाम भले बदल जाये, शासन के आदर्श नहीं बदलते हैं. संविधानविद् सुभाष कश्यप के मुताबिक, ‘किसी देश का संविधान उसकी राजनीतिक व्यवस्था का वह ढांचा निर्धारित करता है, जिसके अंतर्गत उसकी जनता शासित होती है’. इसमें शासन के प्रमुख अंगों की शक्तियों के साथ उसकी भूमिका तय की जाती है. हालांकि, प्राचीन इतिहास में भी शासन के लिए ऐसी संहिताओं का उल्लेख मिलता है, लेकिन संविधान आधुनिक शासन प्रणाली की ही खास पहचान है.
संविधान, अंगरेजी के कांस्टीट्यूशन शब्द का अनुवाद है. ‘कॉन्स्टीट्यूशन’ शब्द लैटिन भाषा के ‘कॉस्टीट्यूट’ शब्द से लिया गया है. 1877 में जब अर्नेस्ट डि साज्रेक ने इराक में खुदाई की तब उन्हें प्राचीनतम कोड आफ जस्टिस के साक्ष्य मिले थे, जिसे सुमेरियाई राजा उरुकागिना द्वारा संभवत: 2300 ईसा पूर्व में जारी किया गया था. हालांकि, आज तक इसका लिखित स्वरूप बरामद नहीं हुआ है.
इसके बाद कई शासकों के लिखित कानूनों के साक्ष्य दुनिया के विभिन्न हिस्सों में पाये गये हैं. इनमें से बेबिलोनिया के हम्मूराबी की संहिता, हिती कोड और असीरियाई कोड को प्राचीनकालीन संविधानों में प्रमुख माना जाता है. इससे पहले 621 ईसा पूर्व में एथेंस में तत्कालीन शासक ड्रैको ने अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा देने के मकसद से मौखिक कानूनों को संहिताबद्ध किया गया था. मौजूदा समय में अत्यधिक सख्त कानूनों को अकसर ‘ड्रैकोनियन’ के नाम से जाना जाता है.
प्राचीन भारत में ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में ‘अशोक के शिलालेखों’ द्वारा शासन के नियमों को स्थापित किया गया था. हमारे देश में ‘मनुस्मृति’ का इस्तेमाल भी एक विधि संहिता की तरह किया जाता रहा है. इसलाम में पैगम्बर हजरत मोहम्मद ने भी इस संबंध में एक प्रारूप दिया था, जिसे ‘मदीना का संविधान’ के रूप में जाना जाता है.
लिखित इतिहास के दौर में अरस्तू (350 ईसा पूर्व ने सबसे पहले साधारण कानून और संवैधानिक कानून के बीच औपचारिक फर्क को स्पष्ट किया और संविधान के विचारों को स्थापित करते हुए संवैधानिक सरकार के विभिन्न प्रारूपों को वर्गीकृत करने का प्रयास किया था. उन्होंने अपने समय के विभिन्न संविधानों का भी जिक्र किया है. रोमवासियों ने सबसे पहले 450 ईसापूर्व में ‘ट्वेल्व टेबल’ नाम से अपने संविधान को संहिताबद्ध किया था. जापान में 604 ईस्वी में राजकुमार शोतोकु द्वारा लिखा गया ‘सेवेंटीन आर्टिकल कांन्स्टीट्यूटशन’, एशिया के शुरुआती संविधानों में से एक है.
आधुनिक संविधान का इतिहास
दुनिया का सबसे पुराना लिखित दस्तावेज जिसके आधार पर किसी देश का शासन चलाया जा रहा है, वह है, ‘लिगेस स्टैट्यूटे रिपब्लिकाए सैंक्टी मैरिनी’. सैन मैरिनो का शासन आज भी इसके आधार पर चलाया जाता है. इसे 1600 ईस्वी के आसपास लिखा गया था. 1639 में कॉलोनी ऑफ कनेक्टीकट ने ‘फंडामेंटल ऑर्डर्स’ नाम के दस्तावेज को अंगीकार किया था. यह उत्तरी अमेरिका का पहला संविधान माना जा सकता है. अमेरिका में 13 ब्रिटिश उपनिवेशों ने अमेरिकी क्रांति के वक्त 1776 और 1777 में अपना संविधान अंगीकार किया था. ज्ञानोदय के काल में थॉमस हॉब्स, रूसो, जॉन लॉक जैसे दार्शनिकों ने ज्ञानोदय संविधान मॉडल का विकास किया था. इसमें कहा गया था कि संवैधानिक सरकारों को स्थिर, लचीला, जवाबदेह, पारदर्शी और जन-प्रतिनिधिमूलक होना चाहिए. एक तरह से यही आदर्श आधुनिक काल के सभी संविधानों को प्रेरित करते रहे है. आज हम संविधान का जो प्रारूप देखते हैं, वह सदियों से अपने लिए बेहतर शासन व्यवस्था हासिल करने की जनता की इच्छा का परिणाम है. भारत का संविधान भी ऐसा ही एक संविधान है.
भारतीय संविधान
लोकतंत्र, प्रतिनिधि संस्थान, शासकों की स्वेच्छाचारी शक्तियों पर अंकुश और विधि के शासन की संकल्पनाएं प्राचीन भारत में भी दिखाई देती हैं. सुभाष कश्यप के मुताबिक धर्म के शासन की संकल्पना ‘विधि के शासन’ या ‘नियंत्रित सरकार’ की संकल्पना से भिन्न नहीं थी. ऋग्वेद तथा अथर्ववेद में सभा तथा समिति का उल्लेख मिलता है. एतरेय ब्राह्मण, पाणिनी की अष्टाध्यायी, कौटिल्य का अर्थशास्त्र, महाभारत, अशोक स्तंभों पर उत्कीर्ण शिलालेख, उस काल के बौद्ध और जैन ग्रंथ और मनु स्मृति- ये सभी इस बात के साक्ष्य हैं कि भारतीय इतिहास में वैदिकोत्तर काल में अनेक गणतंत्र विद्यमान थे. मनु लिखते हैं कि जिस तरह से पागल कुत्ते को मार दिया जाता है, उसी प्रकार अन्यायी तथा अत्याचारी राजा को उसकी प्रजा द्वारा मार दिया जाना चाहिए. दसवीं शताब्दी में शुक्राचार्य ने नीतिसार की रचना की, जो संविधान पर लिखी गयी पुस्तक है. इसमें केंद्रीय सरकार के संगठन एवं ग्रामीण तथा नगरीय जीवन, राजा की परिषद और सरकार के विभिन्न अंगों का वर्णन है.
आधुनिक भारत में अपना संविधान बनाने की सबसे पहली गंभीर कोशिश नेहरू रिपोर्ट को माना जा सकता है. यह रिपोर्ट 10 अगस्त, 1928 को पेश की गयी थी. इसमें संसद के प्रति उत्तरदायी सरकार, अदालतों द्वारा लागू कराये जा सकनेवाले मूल अधिकारों आदि का प्रावधान किया गया था. भारत में संविधान सभा के गठन का विचार 1934 में पहली बार एमएन राय ने दिया था. आजादी से पहले भारत के संविधान के निर्माण के लिए संविधान सभा का गठन किया गया था. संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर, 1946 को दिल्ली में हुई थी. इसके पहले अस्थायी अध्यक्ष सच्चिदानंद सिन्हा बनाये गये थे. 11 दिसंबर, 1946 को डॉ राजेंद्र प्रसाद को इसका स्थायी अध्यक्ष बनाया गया. संविधान सभा की कार्रवाई 13 दिसंबर, 1946 को जवाहर लाल नेहरू द्वारा पेश किये गये एक उद्देश्य प्रस्ताव के साथ आरंभ हुई थी. आजादी के बाद इस सभा ने अपना कार्य 9 दिसंबर, 1947 से शुरू कर दिया था. भारत के लोगों द्वारा 26 जनवरी, 1949 को देश का संविधान खुद को अर्पित किया गया. संविधान पर 24 जनवरी, 1950 को सदस्यों ने हस्ताक्षर किये. यह 26 जनवरी, 1950 को पूर्णरूप से लागू हो गया. भारत के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि थी. भारत का संविधान जो दुनिया का सबसे बड़ा संविधान भी है, विभिन्न देशों के संविधानों के सर्वश्रेष्ठ को अपने देश की स्थितियों के मुताबिक चुन कर बनाया गया. हालांकि, इसका मूल ढांचा, 1935 के गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट का है. लेकिन, इसके विभिन्न प्रावधानों पर विभिन्न देशों के संविधानों का प्रभाव स्पष्ट दिखता है. यह इस बात का प्रमाण है कि किस तरह दुनिया के संविधानो से मोतियों को चुन कर भारतीय संविधान का निर्माण किया गया. मिसाल के तौर पर हमारी संसदीय प्रणाली ब्रिटेन से ली गयी है. मूलभूत अधिकार और न्यायपालिका की स्वतंत्रता अमेरिका से, नीति निर्देशक तत्व आयरलैंड के संविधान से, सुदृढ़ केंद्र के साथ संघीय व्यवस्था कनाडा से. समवर्ती सूची ऑस्ट्रेलिया से. आपातकालीन प्रावधान जर्मन रीक से.
अमेरिकी संविधान का गठन
कोलंबस ने वर्ष 1492 में अमेरिकी महाद्वीप की खोज की. इसके बाद यूरोपीय देशों से यहां पर लोगों का आना शुरू हो गया. इससे यहां के मूल निवासियों के साथ उनका टकराव होने लगा. ब्रिटिश शासन से मुक्ति के लिए अमेरिकी लोगों ने लंबा संघर्ष किया. आखिरकार चार जुलाई, 1776 को फिलाडेलफिया में संपन्न द्वितीय महाद्वीपीय कांग्रेस में ग्रेट ब्रिटेन से अमेरिका की स्वतंत्रता की घोषणा कर दी गयी.
संवैधानिक कन्वेंशन के सदस्यों ने संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान पर फिलाडेलफिया, पेनसिलवानिया में 17 सितंबर, 1787 को हस्ताक्षर किये थे. संवैधानिक कन्वेंशन में आर्टिकल्स ऑफ कन्फेडरेशन और एक मजबूत केंद्रीय सरकार के लिए बैठक बुलायी गयी. चार महीनों तक गुप्त परिचर्चाओं और अनेक समझौतों के बाद प्रस्तावित संविधान को मंजूरी के लिए प्रस्तुत किया गया. इस प्रकार कुछ राज्यों में इस पर वोटिंग भी करायी गयी और इसकी समग्रता से समीक्षा करने के बाद 1789 में यह एक नयी फेडरल सरकार अस्तित्व में आयी. वर्तमान में अमेरिका में जो सरकार है, वह इसी संविधान पर आधारित है. संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रत्येक राज्य के संविधान में कुछ अंतर है. राज्यों की बागडोर गवर्नर के हाथों में होती है. अमेरिकी सीनेट (उच्च सदन) के सौ सदस्यों का चुनाव जनता छह वर्षो के लिए करती है.
कुछ प्रमुख देशों के संविधान निर्माण की समयावधि
अमेरिकी कन्वेंशन
अमेरिकी कन्वेंशन ने 25 मई, 1787 को पहली बैठक की और अपना कार्य 17 सितंबर, 1787 अर्थात चार महीनों के भीतर पूरा कर लिया.
कनाडा का संविधान
कनाडा की संविधान सभा की पहली बैठक 10 अक्तूबर, 1864 को हुई और दो वर्ष पांच महीने का समय लेकर मार्च, 1867 में संविधान कानून बनकर तैयार हो गया.
ऑस्ट्रेलिया का संविधान
ऑस्ट्रेलिया की संविधान सभा मार्च, 1891 में बैठी और नौ वर्ष की मशक्कत के बाद नौ जुलाई, 1900 को संविधान कानून बन गया.
दक्षिण अफ्रीका का संविधान
दक्षिण अफ्रीका की सभा की पहली बैठक अक्तूबर, 1908 में हुई और 20 सितंबर, 1909 को संविधान कानून बन गया.
भारत का संविधान
भारतीय संविधान दो वर्ष, 11 माह, 18 दिन में बनकर तैयार हुआ. इस अवधि में कुल 166 दिन बैठकें हुईं. इस दौरान तकरीबन 60 देशों के संविधान का अध्ययन किया गया.
नोट: मूल रूप से स्वीकृत भारतीय संविधान में 22 भाग, 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थीं, जबकि अमेरिकी संविधान में केवल सात अनुच्छेद हैं, भारतीय संविधान में करीब 100 बार संशोधन किया जा चुका है और इसका आकार लगातार बढ़ता गया है.