।। दक्षा वैदकर ।।
किसी की एक लाइन है- ‘मुझे उस वक्त प्यार करें, जब मैं उस प्यार के सबसे कम लायक हूं. क्योंकि यही वह समय है, जब मुङो सबसे ज्यादा प्यार की जरूरत है.’ जब कोई अपना हमारे साथ गलत करता है, तो हमारा प्यार उस इनसान के लिए ब्लॉक हो जाता है. हम उससे नफरत करने लगते हैं. बच्चों के साथ यह परिस्थिति कई बार आती है. बेटा या बेटी ने कोई गलती कर दी, तो हम कहते हैं कि ‘निकल जाओ घर से, फिर कभी अपनी शक्ल मत दिखाना, क्या हमने इसी दिन के लिए तुम्हें पैदा किया था. आज से तुम हमारे लिए मर गये.’ एक छोटा-सा बच्च अनजाने में गलती से गिलास तोड़ देता है. वह डर से थर-थर कांप रहा होता है और हम उसे जाकर थप्पड़ मार देते हैं. क्या आपका ऐसा व्यवहार ठीक है?
दिल्ली का एक केस है. जैसा कि आजकल देखा जा रहा है, छोटे बच्चों में प्रेम-प्रसंग तेजी से बढ़ रहा है. सातवीं कक्षा की एक बच्ची जब अपने घर आयी, तो उसके चेहरे पर कुछ निशान थे. मां-बाप को उसके निशान देख कर उसके प्रेम-प्रसंग का पता चला. उन्होंने लड़की को खूब मारा और गंदे शब्द कहे, जो यहां लिखे भी नहीं जा सकते. अब मां-बाप का विश्वास उस बच्ची से उठ गया. वे दोनों वर्किग थे. इसलिए अब वे अपनी बच्ची को ऑफिस जाने के पहले कमरे में बंद कर के जाते. कई दिनों तक ऐसे ही चलता रहा. पहले तो उन्होंने सोचा कि स्कूल ही न भेजें, लेकिन बाद में भेजने लगे.
वह भी ढेर सारी पाबंदियों के साथ. बच्ची की गलती स्कूल के प्रिंसिपल को पता चली. उन्होंने भी उसके मां-बाप से कह दिया कि बच्ची स्कूल में नहीं पढ़ सकती. इससे हमारे दूसरे बच्चे बिगड़ सकते हैं. मां-बाप की नफरत बच्ची के प्रति और बढ़ गयी. इधर बच्ची अपराधबोध, डर की वजह से डिप्रेशन में चली गयी. कम बोलने लगी. उसकी पढ़ाई पर बुरा असर पड़ने लगा. उसका चेहरा उतर गया. जब वह बच्ची एक काउंसेलर के पास ले जायी गयी, तो यह मामला समझ आया कि मां-बाप का आपस में ही संबंध ठीक नहीं है. बच्ची ने उनके बीच हमेशा लड़ाई ही देखी है. इसलिए उसने बाहर से मिले प्यार को अपनाया, भले ही वह किसी भी रूप में उसे मिला. काउंसेलर ने मां-बाप को समझाया कि वर्तमान समय में बच्ची को केवल और केवल प्यार की जरूरत है.
बात पते की..
-उन लोगों को तलाशना बंद करें, जो आपकी बात को हमेशा सही ठहराते हों. उन लोगों को तलाशें, जो सच का साथ दें. भले ही आप रूठ ही जायें.
-स्टॉप जस्टिफिकेशन. खुद को सही और दूसरों को गलत ठहराना बंद करें. जब भी गुस्सा आये, खुद को बोलने से रोकें. स्थिति को पहले समङों.