।। दक्षा वैदकर।।
अगर आपको पता चले कि जो तोहफा आप सामनेवाले को उसके जन्मदिन पर दे रहे हैं, वही तोहफा आपको आपके जन्मदिन पर वापस मिलनेवाला है, तो क्या आप सामनेवाले को बुरा तोहफा देंगे? आप उसे अच्छा तोहफा ही देंगे, ताकि आपके हाथ में भी अच्छा तोहफा आये. हमारा जीवन भी कुछ ऐसा ही है. हम जो कर्म करते हैं, वही हमारे पास लौट कर आते हैं. इस बात को आप जितना जल्दी जान लें, बेहतर होगा. हम में से कई लोगों को यही लगता है कि कोई भी क्रिया या शब्द ही हमारे कर्म होते हैं. लेकिन सच्चई तो यह है कि हमारे द्वारा सोची गयी अच्छी और बुरी बातें भी कर्म में ही आती हैं. जो विचार हम सामनेवाले के लिए सोचते हैं, वही घूम कर हमारे पास आते हैं. हम यदि दूसरे के लिए बुरा सोचेंगे, तो सामनेवाला भी हमारे लिए बुरा ही सोचेगा.
आपके साथ ऐसा कभी न कभी जरूर हुआ होगा कि आपने किसी इनसान का कुछ नहीं बिगाड़ा, लेकिन वह फिर भी आपके साथ बुरा करता जाता है. आप रिश्तों को संभालने की कोशिश करते हैं, लेकिन वे संभलते ही नहीं हैं. जब हम इन सुधार की कोशिशों से हार जाते हैं, तब हम भी बदले में उस इनसान के साथ और बुरा करने लगते हैं. हम यहीं पर गलती करते हैं. यहां आपको जान लेना चाहिए कि आपने भले ही इस जन्म में उस इनसान यानी कि उस आत्मा का कुछ नहीं बिगाड़ा, लेकिन आपने पिछले जन्म में जरूर उस आत्मा के साथ इतना ही बुरा कुछ किया है. जान-बूझ कर भले ही नहीं किया हो, लेकिन अनजाने में जरूर किया होगा. यही वजह है कि इस जनम में आप उस इनसान के साथ अपने कर्मो को भोगते हैं. जब आप इस ज्ञान को अपने साथ लेकर चलते हैं, तो आप अपने साथ बुरा करनेवाले हर इनसान को माफ करने में बहुत आसानी महसूस करेंगे.
आप यह जान चुके होंगे कि जो भी आपको मिल रहा है, वह आपके ही कर्मो के खाते से निकला है. अब अगला स्टेप क्या है? क्योंकि आप अपने पुराने कर्मो को नहीं बदल सकते, बेहतर है कि आप उस आत्मा के साथ इस जनम में कोई बुरा व्यवहार न करें, वरना इस जनम के कर्मो का फल आप अगले जनम में भोगेंगे.
बात पते की..
-कभी भी किसी के बारे में बुरा न सोचें. सामनेवाला आपको चोट पहुंचाये, तो माफ करें और उसे बदले में सकारात्मक ऊर्जा ही दें.
-बीते समय की गलतियों पर पछताने से अब कोई फायदा नहीं. बस कोशिश करें कि मौजूदा समय में किसी को नुकसान न पहुंचायें.