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सामाजिक कार्यो में भी महिलाएं आगे

कोलकाता: सोशल इंटरप्रिन्योरशिप ऑफ द इयर (एसइओआर) इंडिया अवार्ड 2013 के लिए नामित प्रतिभागियों की अंतिम सूची की घोषणा हो गयी है. सामाजिक कार्यो के लिए दिये जानेवाले इस अवार्ड में इस बार सभी फाइनलिस्ट महिला हैं. इनमें मान देसाई फाउंडेशन की संस्थापक चेतना विजय सिन्हा, ऑपरेशन आशा की संस्थापक डॉ शैली बत्र, युवा परिवर्तन […]

कोलकाता: सोशल इंटरप्रिन्योरशिप ऑफ द इयर (एसइओआर) इंडिया अवार्ड 2013 के लिए नामित प्रतिभागियों की अंतिम सूची की घोषणा हो गयी है. सामाजिक कार्यो के लिए दिये जानेवाले इस अवार्ड में इस बार सभी फाइनलिस्ट महिला हैं. इनमें मान देसाई फाउंडेशन की संस्थापक चेतना विजय सिन्हा, ऑपरेशन आशा की संस्थापक डॉ शैली बत्र, युवा परिवर्तन खेरवाड़ी सोशल एसोसिएशन की संस्थापक मृणालिनी खेर हैं.

जुबली भारतीय फाउंडेशन के विवेक प्रकाश ने बताया कि इस वर्ष एसइओवाइ इंडिया अवार्ड के लिए कुल 209 आवेदन मिले थे, जिनमें से पांच स्तरीय चुनाव के बाद केवल चार प्रतिभागियों को ही फाइनल के लिए चुना गया. इसके विजेता की घोषणा 11 नवंबर को नयी दिल्ली में की जायेगी. स्वाब फाउंडेशन फॉर सोशल इंटरप्रिन्योरशिप के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पहली बार ऐसा है, जब किसी राष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक उद्यमशीलता के लिए दिये जानेवाले अवार्ड में फाइनलिस्ट सभी महिलाएं होंगी.

महिलाओं के लिए चेतना
चेतना विजय सिन्हा, जिन्होंने महाराष्ट्र के अत्यंत पिछड़े महास्वद गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए देसी महिला बैंक की स्थापना की. उन्हें व्यापार के लिए धन मुहैया करके आत्मनिर्भर बनाया. चेतना विजय सिन्हा ने इस बैंक की शुरुआत अपने मान देसाई फाउंडेशन के माध्यम से की थी. इस संस्था की वह संस्थापक सदस्य हैं.

युवाओं का सहारा मृणालिनी
मृणालिनी खेर और किशोर खेर ने बेरोजगारों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए युवा परिवर्तन खेरवाड़ी सोशल एसोसिएशन की स्थापना की. उन्होंने दिन रात मेहनत कर के झोपड़ियों में रहनेवाले बीपीएल परिवारों को रोजगार मूलक ट्रेनिंग दी. युवा परिवर्तन खेरवाड़ी सोशल एसोसिएशन के माध्यम से मृणालिनी खेर ने देश के एक लाख से ज्यादा युवाओं को रोजगार के लिए ट्रेनिंग दी है.

टीबी पीड़ितों के लिए ऑपरेशन आशा
ऑपरेशन आशा की संस्थापक डॉ शैली बत्र को भी इस अवार्ड के लिए नामित किया गया है. वह अपनी संस्था ऑपरेशन आशा के माध्यम से गरीब टीबी रोगियों के लिए काम करती हैं. उन्होंने देश में 234 टीबी ट्रीटमेंट सेंटर खोले हैं, जहां स्थानीय बेरोजगार युवकों को काम दिया जाता है. संस्था भारत के साथ विदेशों में भी टीबी रोगियों के इलाज के लिए कार्य करती हैं. पिछले आठ वर्षो में संस्था ने छह बिलियन से ज्यादा टीबी रोगियों का इलाज करवाया है.

बेल बजाओ अभियान की मल्लिकाप्रतिभागियों में नामित मल्लिका दत्त अपनी संस्था ब्रेकथ्रू ट्रस्ट के माध्यम से समाज में व्याप्त लिंग भेद जनित हिंसा के प्रति बदलाव लाने के लिए कार्य कर रही हैं. वह 15 वर्षो से यह कार्य कर रही हैं. उन्होंने लिंग भेद जनित हिंसा के खिलाफ बेल बजाओ अभियान चलाया, जो काफी चर्चित रहा. इस कार्य के लिए उन्हें कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है. पांच राज्यों में एक लाख से अधिक लोगों को वो ट्रेनिंग भी दे चुकी हैं. वह भारत के अलावा ब्राजील, साउथ एशिया, साउथ अफ्रीका के देशों में भी जागरूकता अभियान चला चुकी हैं.

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