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जीत के लिए थावे में कर रहे अनुष्ठान

अवधेश कुमार राजन, गोपालगंजनवरात्र में शक्तिपीठ थावे में भारी भीड़ उमड़ती है. यहां दूर-दराज से लोग आकर मन्नतें मांगते हैं. इस बार चुनावी माहौल में यहां का नजारा बदला-बदला है. आम लोगों के साथ-साथ नेताओं और उनके समर्थकों की भी भीड़ उमड़ रही है. कई नेताओं ने तो बाजाप्ता यहां अनुष्ठान का भी आयोजन कर […]

अवधेश कुमार राजन, गोपालगंज
नवरात्र में शक्तिपीठ थावे में भारी भीड़ उमड़ती है. यहां दूर-दराज से लोग आकर मन्नतें मांगते हैं. इस बार चुनावी माहौल में यहां का नजारा बदला-बदला है. आम लोगों के साथ-साथ नेताओं और उनके समर्थकों की भी भीड़ उमड़ रही है. कई नेताओं ने तो बाजाप्ता यहां अनुष्ठान का भी आयोजन कर रखा है. थावे में प्राचीन मंदिर है और इसके भक्तों की तादाद बहुत है.

ऐसी मान्यता है कि मां के दरबार में सबकी मुरादें पूरी होती हैं. यहां हिंदू हो या मुसलमान, सभी माथा टेकते नजर आ रहे हैं. सबकी मन्नत एक ही तरह की है – चुनाव में जीत हो जाये. गोपालगंज से राजद के प्रत्याशी रेयाजुल हक राजू ने मां के दरबार में पहुंच कर न सिर्फ मां की आराधना की, बल्कि माथा टेक कर मन्नत भी मांगी है. उन्होंने बजाप्ता वैदिक मंत्रों से पूजा भी करायी.

जिले के अधिकतर प्रत्याशियों ने यहां पूजा पाठ के बाद नामांकन किया था. बैकुंठपुर से भाजपा के प्रत्याशी मिथिलेश तिवारी अनुष्ठान का संकल्प करा कर मां के दर्शन करने के बाद नामांकन करने पहुंचे थे. भोरे विस क्षेत्र से कांग्रेस के प्रत्याशी अनिल कुमार ने भी मां के दरबार में माथा टेका है.

शनिवार को राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की बेटी मीसा भारती भी यहां आयी थीं. मंदिर के पुजारी हरेंद्र पांडेय पहले से ही यहां राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के लिए अनुष्ठान कर रहे हैं. कुचायकोट से लोजपा प्रत्याशी काली पांडेय का भी अनुष्ठान चल रहा है.

बरौली के भाजपा प्रत्याशी रामप्रवेश राय, कुचायकोट के जदयू प्रत्याशी अमरेंद्र कुमार उर्फ पप्पू पांडेय ने मां से आशीर्वाद लेने के बाद ही नामांकन किया है. मां के दरबार में प्रतिदिन आधा दर्जन प्रत्याशी पहुंच रहे हैं. मंदिर के मुख्य पुजारी सुरेश पांडेय बताते हैं कि इस बार नवरात्र में बड़ी संख्या में नेता, प्रत्याशी और उनके समर्थक यहां पहुंच रहे हैं. हर नेता या उनके समर्थक मां के दरबार में जीत के लिए ही मन्नत मांगते हैं.

थावे, मां सिंहासनी मंदिर का इतिहास 11 वीं सदी के चेरो वंश से जुड़ा है. ऐसी किवंदती है कि राजा द्वारा तंग करने पर मां अपने भक्त रहषु के लिए आयी थीं और चेरो वंश का राजा भस्म हो गया. पहले मंदिर हथुआ राज के अधीन था. वर्ष 2011 में तत्कालीन डीएम कुलदीप नारायण की पहल पर बिहार धार्मिक न्यास पर्षद ने इसका अधिग्रहण किया.

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