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भारत, जार्डन आतंकवाद के खिलाफ लडेंगे : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी

अम्मान : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और जार्डन के शाह अब्दुल्ला के बीच शनिवार को हुई बातचीत के दौरान भारत और जार्डन आतंकवाद के विरुद्ध और रक्षा क्षेत्र में सहयोग करने पर सहमत हुए. जार्डन अशांत पश्चिम एशिया क्षेत्र में आतंकवाद के खिलाफ लडाई में अग्रणी देश है. जार्डन, फलस्तीन और इस्राइल की छह दिवसीय यात्रा […]

अम्मान : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और जार्डन के शाह अब्दुल्ला के बीच शनिवार को हुई बातचीत के दौरान भारत और जार्डन आतंकवाद के विरुद्ध और रक्षा क्षेत्र में सहयोग करने पर सहमत हुए. जार्डन अशांत पश्चिम एशिया क्षेत्र में आतंकवाद के खिलाफ लडाई में अग्रणी देश है. जार्डन, फलस्तीन और इस्राइल की छह दिवसीय यात्रा पर आज यहां पहुंचे प्रणब मुखर्जी ने जार्डन के शाह से आतंकवाद, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों और द्विपक्षीय व्यापार बढाने सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की. दोनों नेता इस बात पर सहमत हुए कि आतंकवाद के विरुद्ध और रक्षा के क्षेत्र में आपसी सहयोग को और बढाया जाए और इसके लिए एक व्यवस्था बनायी जाए.

जार्डन की दो दिवसीय यात्रा के कल पहले दिन राष्ट्रपति मुखर्जी ने शाह को बताया कि भारत उनके देश को 10 करोड डालर की रिण सुविधा प्रदान करेगा और इसकी रुपरेखा जल्द ही तैयार की जायेगी. दोनों नेताओं ने विश्व के सबसे बडे सल्फिउरिक एसिड संयंत्र का आभासी उद्घाटन किया. यह संयंत्र यहां से 325 किलोमीटर दूर एशिदिया में 86 करोड डालर की लागत से स्थापित हुआ है. भारत के एक प्रवक्ता ने बाद में बताया कि राष्ट्रपति के यहां पहुंचने के कुछ ही देर बाद उनके सम्मान में भोज देने वाले जार्डन के शाह ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी स्थायी सदस्यता की भारत की दावेदारी का समर्थन किया. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में सुधारों के प्रति भारत के दृष्टिकोण से भी सहमति जतायी. आईएसआईएस द्वारा बंधक बनाये गए 39 भारतीयों के विषय पर प्रवक्ता ने कहा कि भारत इस बारे में क्षेत्र के विभिन्न देशों के साथ सतत सम्पर्क में है. प्रणब मुखर्जी ने जार्डन के शाह की संयुक्त राष्ट्र में दी गई इस बात का समर्थन किया कि आतंकवाद और उग्रवाद किसी धर्म का सम्मान नहीं करते. उन्होंने कहा कि यह सही समय पर दी गई चेतावनी है क्योंकि ये बुराई दुनिया की बुनियादी सुरक्षा के लिए खतरा बन गई है.

शाह अब्दुल्ला ने महारानी रानिया के साथ जल्द से जल्द भारत यात्रा के राष्ट्रपति मुखर्जी के निमंत्रण को स्वीकार किया. राष्ट्रपति ने शाह के साथ बातचीत में भारत की बढती अर्थव्यवस्था के बारे में बताया लेकिन साथ ही इस बात का भी उल्लेख किया कि देश की आबादी के एक बडे वर्ग को गरीबी से उबारना है. इसके लिए भारत को अगले 10 वर्षो में न्यूनतम 8 प्रतिशत की वृद्धि दर से आगे बढना होगा. राष्ट्रपति मुखर्जी और शाह के बीच हुई बातचीत अधिकतर समय आपसी व्यापार एवं निवेश को बढावा देने पर केंद्रित रही. जार्डन की लगभग 20 कपडा मिले भारतीयों की हैं जिन्होंने उनमें लगभग 30 करोड डालर निवेश किया है. जार्डन भारत से और अधिक निवेश चाहता है और टाटा समूह के प्रतिनिधि निवेश अवसरों पर गौर करने के लिए सोमवार को यहां आ रहे हैं. बताया जाता है कि महिन्द्रा समूह भी जार्डन में निवेश का इच्छुक है. राष्ट्रपति ने शाह को बताया कि भारत के रक्षा क्षेत्र में निवेश की संभावनाएं हैं. भारत के रक्षा क्षेत्र में आटोमेटिक रुट से 49 प्रतिशत तक निवेश किया जा सकता है और मामले दर मामले के आधार पर यह 100 प्रतिशत तक भी हो सकता है. मुखर्जी के साथ केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत और विभिन्न दलों के छह सांसद भी यहां आए हैं. राष्ट्रपति ने शाह को भारत की बहुदलीय लोकतांत्रिक व्यवस्था के बारे में बताया और यह भी कि कैसे सभी दल देश को मजबूत करने में योगदान करते हैं.

सामरिक रुप से महत्वपूर्ण क्षेत्र में स्थित जार्डन के अल हुसैनी महल में भारतीय राष्ट्रपति का भव्य स्वागत किया गया. मुखर्जी को हवाई अड्डे से सीधे महल ले जाया गया. प्रतिनिधि स्तरीय वार्ता से पहले जार्डन के शाह के साथ प्रणब मुखर्जी की आधे घंटे की अलग से मुलाकात भी हुई. शाह वहां के राष्ट्रपति भी हैं और उनके पास देश की सारी शक्तियां केंद्रित हैं. अपनी यात्रा पर जाने से पहले राष्ट्रपति ने इन तीन देशों की अपनी यात्रा को ‘ऐतिहासिक’ बताया था. हाल के सप्ताहों में इस्राइल और फलस्तीन के बीच जारी हिंसा में काफी लोग हताहत हुए हैं और इसके चलते राष्ट्रपति को कुछ ऐतिहासिक स्थलों पर जाने के अपने कार्यक्रम में कटौती करनी पडी. उनकी सुरक्षा व्यवस्था भी बढायी गई है. जार्डन के साथ राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद पिछले 65 वर्षो में इस देश की यात्रा पर आने वाले मुखर्जी पहले भारतीय राष्ट्रपति हैं. 1988 में राजीव गांधी प्रधानमंत्री के रुप में जार्डन गए थे. राष्ट्रपति के इस देश में प्रवास के दौरान भारत दोनों देशों के बीच व्यापार को बढाने के अवसरों को तलाशेगा. जार्डन इस क्षेत्र में भारतीय कंपनियों के परिचालन शुरु करने के रुप में आधार का काम कर सकता है. मुखर्जी जार्डन विश्वविद्यालय जायेंगे और वहां छात्रों एवं अध्यापकों को संबोधित करेंगे. वह अम्मान में भारतीय समुदाय और फ्रेंड्स आफ इंडिया के लिए भारतीय राजदूत द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भी हिस्सा लेंगे.

अपनी यात्रा से पूर्व राष्ट्रपति ने कहा था कि भारत, जार्डन के साथ सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को और बढाना चाहता है. उन्होंने कहा था, ‘‘ हम सीरिया और पश्चिम एशिया शांति प्रक्रिया सहित क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर समान विचार और सोच रखते हैं.’ मुखर्जी ने कहा था, ‘‘हम धार्मिक कट्टरवाद और उग्रवाद के साथ ही आतंकवाद के सभी स्वरुपों को पुरजोर तरीके से खारिज करते हैं.’ जार्डन के साथ द्विपक्षीय व्यापार बढाने के बारे में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि इसे वर्तमान 2 अरब डालर से बढाकर साल 2025 तक 5 अरब डालर करने का लक्ष्य पाने का प्रयास किया जायेगा. उन्होंने कहा, ‘‘भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत हम जार्डन के कारोबारियों को भारत में उपलब्ध अपार सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए आमंत्रित करते हैं.’ उन्होंने कहा कि भारत, जार्डन को एक महत्वपूर्ण साझेदार के रुप में देखता है क्योंकि सामरिक क्षेत्र में स्थित होने के कारण भारतीय कंपनियां यहां से क्षेत्रीय बाजारों तक पहुंच बना सकती हैं. राष्ट्रपति के अनुसार, ‘‘2013 के बाद से कारोबारी झुकाव भारत के पक्ष में है लेकिन भारत अभी भी रॉक फास्फेट, पोटाश और तैयार उर्वरकों के लिए बडा आयातक बना हुआ है.’

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