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मुजफ्फरपुर का मुद्दा : नीलगाय-वनैया सूअरों के आतंक से छोड़ रहे खेती

मुजफ्फरपुर : नीलगाय-वनैया सुअर के भय से मुजफ्फरपुर के कई प्रखंडों में किसान खेती छोड़ रहे हैं. इनमें औराई, कटरा, सकरा व साहेबगंज प्रमुख हैं. यहां के सैकड़ों किसान अब तक खेती से तौबा कर चुके हैं. दोनों जानवर फसल को बरबाद कर देते हैं, जिससे करोड़ों का आर्थिक नुकसान हो रहा है. इसकी भरपाई […]

मुजफ्फरपुर : नीलगाय-वनैया सुअर के भय से मुजफ्फरपुर के कई प्रखंडों में किसान खेती छोड़ रहे हैं. इनमें औराई, कटरा, सकरा व साहेबगंज प्रमुख हैं. यहां के सैकड़ों किसान अब तक खेती से तौबा कर चुके हैं.
दोनों जानवर फसल को बरबाद कर देते हैं, जिससे करोड़ों का आर्थिक नुकसान हो रहा है. इसकी भरपाई नहीं हो पाती है. किसान संगठनों ने वन विभाग व जिला प्रशासन से इन जानवरों से निजात दिलाने की मांग की. लेकिन सब बेकार हो गया. किसानों के आंदोलन पर किसी ने ध्यान नहीं दिया. किसान इसे चुनाव में मुद्दा बनाने की तैयारी कर रहे हैं.
आम-लीची तक को नहीं छोड़ते
खरीफ की खेती में धान की जड़ को वनैया सूअर खोद कर बरबाद कर रहे हैं, जहां धान की जड़ गीली जमीन में है, वहां पौधों को जड़ से काट कर गिरा रहे हैं. आलू, केला, ओल, बैगन, भिंडी, ओल, कद्दू को नुकसान कर रहे हैं. नील गाय धान, मक्का, मसाला, दलहन में मूंग-उड़द और अरहर को भी खा जाते हैं. आम-लीची के छोटे-छोटे पौधों को भी ये जानवर खा जाता हैं. ऐसे में किसानों के पास बचाव का कोई उपाय नहीं रहता है.
बनेगा किसानों का प्रमुख मुद्दा
किसान संघर्ष मोरचा के संयोजक वीरेंद्र राय बताते हैं कि नील गाय- वनैया सूअर किसानों के लिए नासूर बन चुके हैं. इस वर्ष तीन बार किसानों ने धरना दिया. डीएम को मांग पत्र सौंपा, लेकिन किसी ने किसानों को इनके आतंक से मुक्त नहीं कराया. अब किसान खेती ही छोड़ रहे हैं.
आखिर नुकसान की भरपाई कौन करेगा. इस बार चुनाव में जो भी नेता वोट के लिए आयेंगे, सबसे पहले दोनों जानवरों से किसानों को निजात दिलाने की मांग करेंगे.
काम न आया संघर्ष
राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह मुजफ्फरपुर- वैशाली को वनैया सूअर-नील गाय से मुक्त कराने के लिए आंदोलन करते आ रहे हैं. इनका कहना है कि नील गाय बकरी प्रजाति का जानवर है.
नील गाय का थन बकरी जैसे हैं. साल में दो बार बच्चा देती है. एक साथ कई बच्चा देती है. इसलिए यह गाय नहीं हो सकती है. यही हाल वनैया सुअर का है. यह हिंसक पशु की श्रेणी में है. रघुवंश प्रसाद सिंह ने जिला प्रशासन से कई बार जानवरों से क्षेत्र को मुक्त कराने के लिए धरना और प्रदर्शन किया, लेकिन कोई बदलाव नहीं हुआ.
औराई के छह पंचायत वनैया सुअर से प्रभावित हैं. इनमें अतरार, अमनौर, बभनगामा, नया गांव, भरथुआ, धनशय़ामपुर, रतवारा पश्चिमी, महुवारा बुजुर्ग हैं. यहां मक्का की खेती अधिक क्षेत्रफल में होती है. गेहूं भी बोया जाता है.
मक्का को वनैया सुअर और गेहूं का नीलगाय नुकसान पहुंचाते हैं. कई बार प्रखंड मुख्यालयों में किसानों ने धरना दिया. फायदा नहीं मिला. लोगों ने आहत होकर खेती छोड़ दी. यहां इस वर्ष एक दर्जन लोग वनैया सुअर के हमले में घायल हो चुके हैं.
व्यापारियों ने किया किनारा
साहेबगंज प्रखंड के दियारा क्षेत्र में तरबूज, ककड़ी, लालमी की व्यावसायिक खेती करते थे. यहां सीवान, छपरा और गोपालगंज के सौ से अधिक व्यापारी खेती करते थे. वनैया सुअर- नील गाय का आतंक कम था, तब इन फसलों से आमदनी अच्छी होती थी. वनैया सुअर-नील गाय की संख्या में वृद्धि हुई.
इन नकदी फसलों से घाटा होने लगा. व्यवसायियों ने मुंह फेर लिया. इसके साथ ही, धान, मूंग-उड़द, मक्का, गन्ना की फसलों को भी शिकार बना रहे हैं. बंगरा निजामत, पहाड़पुर मनोरथ, माधोपुर हजारी, राजेपुर, परसौनी रइसी, साहेबगंज-सरैया, हुस्सेपुर रत्ती पंचायत में दोनों जानवरों का प्रकोप काफी अधिक है.
बंदरा में स्कूली छात्र पर किया हमला
बंदरा के हत्था, मुन्नी, बैंगरी, तेपरी, मतलुपुर, बंदरा, नूनफरा, बरगांव, सिमरा में वनैया सूअर का प्रकोप काफी है. यहां कंद फसलों नुकसान पहुंचाते हैं. खरीफ में मक्का, धान, ओल को नुकसान पहुंचा रहे है.
रबी में गोभी, आलू, धनिया को नुकसान पहुंचायेंगे. इतना ही नहीं, प्राथमिक विद्यालय करसैला के छात्र दीपक कुमार को हमला कर घायल कर दिया था. लोगों ने लाठी-डंडा से वनैया सूअर को भगाया, तब दीपक की जान बची. इसके साथ ही, सकरा में गोपालपुर, रघुवरपुर, सकरा वाजिद, बोचहां में झपहां, बोरबारा, पटियासा, कुढ़नी में खरौना, तारसन, बछुमन, केरमा, चढुंआ, छाजन, छाजन मोहिनी में नील गाय का प्रकोप काफी बढ़ा है. सरैया, मीनापुर, मोतीपुर में भी नीलगाय का आतंक है.

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