राजीव कुमार
देश में भ्रष्ट प्रथा के विरूद्व चुनाव याचिका दायर करने के मुख्य उदाहरण के तौर पर अशोक चव्हाण के विरूद्व 2009 चुनावों के दौरान समाचार विज्ञापनों पर हुए खर्च को कम आंकने के आरोप के आधार पर याचिका दायर की गयी थी.
निर्वाचन आयोग की ओर से उमलेश यादव को गलत चुनाव खर्च दायर करने के विरूद्व अयोग्य ठहराया गया. इंदिरा गांधी के विरूद्व भ्रष्ट चुनावी प्रथाओं में हिस्सा लेने के लिए चुनाव याचिका दायर हुई थ, जिस कारण 6 साल के लिए उन्हें चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं मिली थी. पी चिदम्बरम के विरूद्व भ्रष्ट प्रथाओं में हिस्सा लेने के लिए और वोटों की हेरा-फेरी करने के आधार पर चुनाव याचिका दायर की गयी थी.
ये देश में भ्रष्ट प्रथा के चंद उदाहरण हैं. नियमानुसार चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को अपने चुनाव व्यय का विवरण देना आवश्यक है. ये खर्च उस चुनाव से संबंधित है, जिस चुनाव में उम्मीदवार खड़े थे.
उम्मीदवार को अपने चुनाव व्यय का विवरण, चुनाव परिणाम से 30 दिनों के अंदर जिला निर्वाचन पदाधिकारी के पास प्रस्तुत करना अनिवार्य है. यह विवरण नामांकन के दिन से परिणाम की घोषणा के दिन तक उम्मीदवार और उसके एजेंट द्वारा किये हुए चुनाव खर्च की सही प्रतिलिपि देनी होती है.
यदि किसी उम्मीदवार ने अपना चुनाव खर्च दायर नहीं किया है तो उसे निर्वाचन आयोग तीन साल के लिए चुनाव लड़ने के अयोग्य ठहरा सकता है. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुभाग 10 ‘ए’ में इस प्रावधान का वर्णन किया गया है. उम्मीदवार द्वारा खर्च को वास्तविक चुनाव खर्च से कम दिखाना एक भ्रष्ट प्रथा है और इस आधार पर चुनाव याचिका दायर की जा सकती है.
उम्मीदवार को चुनाव खर्च की अधिकतम सीमा से ज्यादा खर्च करने की अनुमति नहीं है. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुभाग 123(6) के तहत चुनाव खर्च की अधिकतम सीमा से ज्यादा खर्च करना भ्रष्ट प्रथा है. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुभाग 81 (1) के अनुसार किसी निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव यचिका केवल उस निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता दायर कर सकते हैं.
मतदाता वह है जो उस चुनाव में मतदान करने का हकदार है. जिस चुनाव में संबंधित याचिका दायर की जा रही है. चाहे चुनाव याचिका कर्ता ने मतदान किया हो या नहीं. यदि कोई नागरिक यह साबित करता है कि किसी उम्मीदवार ने अपना चुनाव खर्च वास्तविक चुनाव खर्च से कम दिखाया है या अपने चुनाव खर्च को कम आंका है, तो उम्मीदवार के विरूद्व चुनाव याचिका दायर हो सकती है.
चुनाव परिणाम की घोषणा से 45 दिनों के अंदर चुनाव यायिका दायर की जा सकती है. यह याचिका उस राज्य के उच्च न्यायालय में दायर करनी होती है. जिस राज्य के चुनाव से संबंधित मामले होते हैं.