एक कर्मचारी ने पिछले दिनों अपना डिपार्टमेंट बदल लिया. जब उसके दोस्त ने वजह पूछी, तो उसने बताया ‘हमारे डिपार्टमेंट का एक आदमी सुबह-शाम हमारी कंपनी की बुराई किया करता था. चाहे मैनेजमेंट कुछ भी कर ले, वह उसमें बुराई ढूंढ़ ही लेता था.
वह सुपरवाइजर से लेकर मालिक तक हर एक के बारे में नकारात्मक सोच रखता था और नकारात्मक बातें करता था. हम जो माल बेचते, वह उसकी नजर में घटिया था. उसे हमारी कंपनी की हर नीति, हर चीज, हर व्यक्ति में कहीं न कहीं, कोई न कोई खामी दिखती थी. हर सुबह जब मैं काम पर आता, तो वह जली-कटी बातें सुनाया करता. जिसकी वजह से मैं तनावग्रस्त रहने लगा था. इसलिए मैंने अपना डिपार्टमेंट ही बदल दिया. इससे बहुत फर्क पड़ा. अब मैं उन लोगों के साथ हूं जो दोनों पहलुओं पर अपने विचार कर सकते हैं.
दोस्तों, हो सकता है कि आप भी ऐसे ही माहौल में रहते हों. दरअसल हर ऑफिस में कुछ सकारात्मक, तो कुछ नकारात्मक लोग होते ही हैं. कुछ इसलिए काम करते हैं क्योंकि काम करना उनकी मजबूरी है और कुछ इसलिए क्योंकि वे महत्वाकांक्षी हैं और आगे बढ़ना चाहते हैं. कुछ बॉस के हर काम में बुराई निकालते हैं, तो कुछ यह महसूस करते हैं कि अच्छा लीडर बनने से पहले, अच्छा अनुयायी बनना ज्यादा जरूरी है.
हम कैसा सोचते हैं, यह हमारे समूह से तय होता है. याद रहे, हर समूह में ऐसे लोग होंगे, जिन्हें अपनी योग्यता का एहसास होगा और वे आपकी राह में बाधा पहुंचायेंगे, आपको प्रगति करने नहीं देंगे. कई महत्वाकांक्षी लोगों की हंसी उड़ायी जाती है. उन्हें धमाकाया भी जाता है और सिर्फ इसलिए क्योंकि वे लोग ज्यादा सफल होते हैं और ज्यादा काम करते हैं.
यह बात आप समझ लें कि कुछ लोग ईर्ष्या की वजह से आपको नीचा दिखाना चाहते हैं और वे ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि आप सफलता की सीढ़ी पर ऊपर की तरफ चढ़ना चाहते हैं. यह फैक्टरियों में अकसर होता है, जहां अन्य कर्मचारी ऐसे व्यक्ति से चिढ़ते हैं, जो उत्पादन बढ़ाना चाहता है. यह मिलिट्री में होता है, जहां लोग उस युवा सिपाही की हंसी उड़ाते हैं, जो ऑफिसर्स स्कूल में जाना चाहता है.
– बात पते की
* लोग आपका तब तक मजाक उड़ायेंगे, जब तक कि आप निष्कर्ष पर नहीं पहुंच जाते कि प्रतिभाशाली होने में समझदारी नहीं है. इस बात को समझें.
* नकारात्मक लोगों की बातों पर ध्यान न दें, उनसे जितना हो सके दूर रहें. अपने काम पर फोकस करें और उस पर उन बातों का असर न होने दें.