दक्षा वैदकर
राहुल कक्षा 11 वीं में पढ़ता है. उसका चार दोस्तों का ग्रुप है. राहुल को छोड़ कर हर दोस्त की एक गर्लफ्रेंड है. किसी की स्कूल में साथ में पढ़ती है, तो किसी की गर्लफ्रेंड उसकी कॉलोनी में रहती है. तीनों दोस्त कई-कई घंटे गर्लफ्रेंड से बातें करते हैं.
मैसेज करते हैं. अपनी गर्लफ्रेंड से हुई हर निजी बात दोस्तों को बताते हैं, हंसते हैं, एक-दूसरे को मैसेज पढ़ कर सुनाते हैं. बीती मुलाकात के किस्से बढ़ा-चढ़ा कर बताते हैं.
दोस्तों की इस बातचीत में राहुल कुछ बोल नहीं पाता था, क्योंकि उसकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी. दोस्तों ने इस बात को लेकर उसका मजाक उड़ाया, तो उसने भी कोई लड़की तलाशने की सोची. उसकी क्लास में एक सीधी-सादी लड़की पूनम थी.
दोस्तों ने कहा कि उसकी थोड़ी तारीफ कर दो, इसी तरह शुरुआत होती है. वह उसके पीछे लग गया. कभी रास्ते में रोक कर ग्रीटिंग कार्ड देता, तो कभी गुलाब का फूल.
‘हां’ बोलो, वरना मर जाऊंगा.. तुम्हारे बिना जी नहीं सकता.. जैसे डायलॉग बोल कर लड़की को उसने भावुक किया और गर्लफ्रेंड बना लिया. अब उसके पास भी दोस्तों को सुनाने के लिए मजेदार किस्से होते. एक दिन राहुल ने पूनम के साथ कुछ निजी तसवीरें खींची और दोस्तों को दिखायी.
दोस्तों ने मौका देख कर वह फोटो अपने मोबाइल में ले ली. देखते ही देखते वह फोटो स्कूल में सभी के पास पहुंच गयी. पूनम को जब इस बात को पता चला, तो वह भीतर से टूट गयी. माता-पिता के डर से उसने हाथ की नस काट ली.
भगवान का शुक्र था कि वह बच गयी, लेकिन उसके परिवार वालों को सब पता चल गया. उन्होंने उसकी पढ़ाई बंद करवा दी. अब वह घर पर ही रहती है. वहीं राहुल ने दूसरी गर्लफ्रेंड बना ली है.
सरकारी स्कूल में घटी यह एक सच्ची घटना है. ऐसे केसेज लाखों की संख्या में हैं. कम उम्र में दोस्तों के बीच धाक जमाने के लिए प्यार का नकली नाटक करना इन दिनों किशोरों में फैशन-सा बन गया है.
वे यह नहीं सोचते कि पढ़ाई की उम्र में पढ़ाई छोड़ कर वे यह सब जो कर रहे हैं, उससे उनकी खुद की और किसी मासूम की जिंदगी बरबाद हो सकती है.
बात पते की..
प्यार होने में और दोस्तों से कंपीटीशन करने के लिए गर्लफ्रेड बनाने में अंतर होता है. मजाक में ऐसे किसी के दिल के साथ खेलना गुनाह है.
हर चीज की एक उम्र होती है. यह उम्र सिर्फ पढ़ाई की है. ज्ञान की कमी की वजह से जब हम कुछ गलती कर बैठते हैं, तो जीवन बर्बाद हो जाता है.