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काम के आधार पर चुनेंगे उम्मीदवार

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक जोड़-तोड़ और आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है. राजनीतिक दल अलग-अलग कार्यक्रमों के माध्यम से जनता के बीच पहुंचने लगे हैं. दूसरी तरफ, टिकट की आस में नेताओं की भी दौड़ शुरू हुई है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर बिहार के लोग उम्मीदवार चयन को […]

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक जोड़-तोड़ और आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है. राजनीतिक दल अलग-अलग कार्यक्रमों के माध्यम से जनता के बीच पहुंचने लगे हैं.

दूसरी तरफ, टिकट की आस में नेताओं की भी दौड़ शुरू हुई है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर बिहार के लोग उम्मीदवार चयन को लेकर क्या सोच रहे हैं. वे पार्टी के आधार पर वोट करेंगे या उम्मीदवार को उसके व्यक्तित्व और उसके कामकाज के आधार पर परखेंगे. प्रभात खबर ने सर्वे के माध्यम से इस सवाल को लोगों के सामने रखा था. जो नतीजे आये हैं, वे बिहारी मानस में आये बदलाव को रेखांकित करते हैं. ज्यादातर लोगों की राय में वे उम्मीदवारा का चयन इस आधार पर करेंगे कि उसका कामकाज कैसा रहा है. प्रभात खबर सर्वे के नतीजे पर आधारित विश्लेषणात्मक रिपोर्ट की कड़ी में आज पढ़िए दूसरी किस्त.

बिहार विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों के चयन में ज्यादातर लोग उनके काम-काज को तरजीह देंगे. 41.26 फीसदी राय इस पक्ष में है कि इस बार चुनाव में वोट का आधार उम्मीदवारों का काम होगा.

प्रभात खबर ने एक सर्वे के माध्यम से यह जानने की कोशिश की थी कि आखिर लोग किस आधार पर उम्मीदवार चुनेंगे. सबसे ज्यादा उम्मीदवार के पूर्व के कामों के पक्ष में राय उभरी, जबकि पार्टी के आधार पर उम्मीदवार का चयन करने के पक्ष में 26.5 फीसदी राय आयी, जो वरीयता में दूसरे नंबर पर है.

अमूमन यह सवाल हर चुनाव में मतदाताओं के बीच बहस का मुद्दा बनता है. मतदाताओं के सामने कई सारे विकल्प होते हैं. राजनीतिक दल अपना एजेंडा लेकर सामने होते हैं, तो उम्मीदवार का व्यक्तित्व और उसकी छवि भी सामने होती है. ऐसे में उलझन शुरू होती है कि पार्टी को तरजीह दें या उम्मीदवार को. जाति-धर्म दुहाई देकर वोट मांगने वाले भी सामने होते हैं.

प्रभात खबर के सर्वे ने सबसे पहले तो बिहार के बारे में फैले इस पूर्वाग्रह को ध्वस्त किया है कि यहां चुनाव में जातीय गोलबंदी हावी होती है या जाति की जटिलता में फंसे लोग जाति के आधार पर वोट डालते हैं. सर्वे में जाति-धर्म के आधार पर उम्मीदवार के चयन के बारे में सिर्फ 5.8 फीसदी राय उभरी है. इससे इस बात को बदल मिलता है कि अब मतदाता अलग तरीके से सोचने-समझने लगे हैं. सर्वे का यह नतीजा उन दलों व नेताओं के लिए भी एक एक सबक है, जो टिकट देने में क्षेत्र के जातीय और सामाजिक समीकरण को तबज्जो देते हैं.

करीब 22 फीसदी लोगों ने कहा कि वे मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के आधार पर अपना प्रत्याशी चुनेंगे. यदि पार्टी और मुख्यमंत्री पद का अधार दोनों को जोड़ा जाये, तो इसके पक्ष में 48.5 फीसदी राय बनती है. फिर यह उम्मीदवार के पूर्व के कामकाज के आधार की तुलना में कहीं ज्यादा होगा.

सर्वे के नतीजे में एक संदेश यह भी छुपा है कि लोगों के पास उम्मीदवार के चयन का कोई-न-कोई तार्किक आधार है. यानी लोग उम्मीदवार चयन को लेकर सचेत हैं और अपना प्रतिनिधि चुनने को लेकर उनके पास कोई आधार है. इसे इस रूप में समझा जा सकता है कि सिर्फ 1.9 फीसदी लोगों ने उम्मीदवार के चयन के बारे में कोई कारण नहीं बताया. इसके अलावा सिर्फ 2.7 फीसदी लोगों ने उम्मीदवार चयन के आधार के कोई और कारण बताये, जो सर्वे की प्रश्नावली में शामिल नहीं था. ऐसी राय जाहिर करनेवालों में ज्यादातर ने कहा कि वे ईमानदार छवि को चुनेंगे.

सर्वे के बारे में : प्रभात खबर की ओर से यह सर्वे जुलाई के तीसरे सप्ताह में राज्य के सभी 534 प्रखंडों में 4373 लोगों के बीच कराया गया था. इसमें इस बात का ख्याल रखा गया था कि महिलाओं, युवा मतदाताओं समेत अन्य की समान भागीदारी हो. सर्वे के लिए प्रभात खबर ने प्रखंडों तक फैले अपने नेटवर्क का इस्तेमाल किया.

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