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प्रभात खबर, धनबाद संस्करण के प्रकाशन के 16 वर्ष पूरे, आपका अखबार आपकी ताकत

अनुराग कश्यप ‘‘नया सफर है, पुराने चिराग गुल कर दो.’’ साहिर लुधियानवी साहिर लुधियानवी की यह पंक्ति क्यों? क्योंकि अलग झारखंड राज्य गठन के डेढ़ दशक और धनबाद नगर निगम को अस्तित्व में आये पांच वर्ष से अधिक समय गुजर चुके हैं. नये राज्य से लेकर नगर निगम तक से जो उम्मीदें थीं, वह पूरी […]

अनुराग कश्यप
‘‘नया सफर है, पुराने चिराग गुल कर दो.’’
साहिर लुधियानवी
साहिर लुधियानवी की यह पंक्ति क्यों? क्योंकि अलग झारखंड राज्य गठन के डेढ़ दशक और धनबाद नगर निगम को अस्तित्व में आये पांच वर्ष से अधिक समय गुजर चुके हैं. नये राज्य से लेकर नगर निगम तक से जो उम्मीदें थीं, वह पूरी नहीं हो पायी. ऐसे में ‘निराश’ हो जाना मानवीय स्वभाव है. तो फिर साहिर लुधियानवी की बातें उम्मीद जगाती हैं.
कारण छह माह पूर्व ‘झारखंड की राज सत्ता’ का नया सफर शुरू हुआ और महीने भर पूर्व धनबाद और चास में नयी ‘शहर सरकार’ (नगर निगम) का. ऐसे में पुराने चिराग गुल कर देना ही उचित है. आज बुधवार, 15 जुलाई, 2015 से प्रभात खबर के धनबाद संस्करण (धनबाद, बोकारो व गिरिडीह जिलों के लिए प्रकाशित) का भी नया सफर शुरू हो रहा है. प्रभात खबर का धनबाद संस्करण अपने प्रकाशन के 16 वर्ष पूरे कर 17वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है. 15 जुलाई, 1999 प्रभात खबर के धनबाद संस्करण का प्रकाशन शुरू हुआ था.
15 जुलाई, 1999 से 15 जुलाई, 2015 के बीच का समय अब अतीत की काल कोठरी में कैद हो चुका है. अनंत-असीम-अपार संभावनाओं के साथ भविष्य का दस्तक है. बीत चुके अतीत और सामने खड़े भविष्य के बीच प्रभात खबर का धनबाद संस्करण आज 16वां प्रकाशन दिवस मना रहा है.
अपने प्रकाशन के 16 वर्ष पूरे करने के बाद प्रभात खबर, आप पाठकों का सच्च साथी है या नहीं, यह फैसला करने का अधिकार सिर्फ और सिर्फ आप पाठकों का है. हां, हम सिर्फ यह बता पाने की स्थिति में हैं कि आप पाठकों का प्यार-विश्वास ही है कि आज धनबाद, बोकारो व गिरिडीह में प्रभात खबर की मजबूत पकड़ है. जनसरोकार से जुड़ी खबरों और उनकी विश्वसनीयता को लेकर प्रभात खबर की अलग पहचान है. हमारे पाठक किसी भी गंभीर परिस्थिति में नाउम्मीद न हों, इस दिशा में हमारी निरंतर कोशिश रही है. हमारी मान्यता है कि प्रभात खबर, पाठकों का अखबार है.
हमारी कोशिश रही है कि प्रभात खबर, पाठकों की ताकत बने. खुद से अपनी पीठ थपथपाने की बात नहीं, मगर 1999 में जब प्रभात खबर का प्रकाशन शुरू हुआ, उसके बाद से आज तक का दौर बेहद चुनौतीपूर्ण रहा है. विश्व व्यापी व देश व्यापी आर्थिक मंदी का दौर. तेज रफ्तार से बढ़ती महंगाई का दौर. इस कठिन दौर में प्रभात खबर पूरी ईमानदारी से पाठकों की भावनाओं के साथ खड़ा रहने की कोशिश में जुटा रहा है.
‘सत्यम ब्रांड पूंजीवाद’ के प्रभाव-दबाव और ‘फील गुड’ व ‘शाइनिंग इंडिया’ की शहरी खुशफहमियों से इतर प्रभात खबर की कोशिश सच की जमीन पर खड़ा रहने की रही है. पूर्वाग्रहों से मुक्त और निष्पक्षता-साफगोई से भरी पत्रकारिता हमारी वह ताकत है, जिससे आप पाठकों का प्यार व भरोसा मिला. और आप पाठकों का प्यार व भरोसा ही पूंजी रही. वह पूंजी, जिसकी ताकत से बीते एक दशक से अधिक वर्षो के दौरान बड़ी पूंजी के बड़े-बड़े अखबारों के उतरने के बावजूद धनबाद, बोकारो व गिरिडीह में प्रभात खबर पूरी मजबूती के साथ टिका रहा है.
बात पुरानी, मगर सटीक है कि जीतता कछुआ ही है, लेकिन तभी जब कछुआ भी खरगोश की तरह सो नहीं जाये. हम तेज कदमों से चल कर सोनेवाले नहीं, जगे रह कर निरंतर चलनेवाले हैं. इसी के साथ एक बार फिर दोहराना चाहूंगा कि आप पाठकों का स्नेह-विश्वास ही हमारी पूंजी है. आप पाठकों का सुझाव ही हमारा मार्गदर्शन. आपका प्रभात खबर और बेहतर हो, इसके लिए आपके बहुमूल्य सुझावों के हम आकांक्षी हैं.
अंतत: तीनों जिलों के उन समाचार पत्र विक्रेता बंधुओं-भाइयों के प्रति आभार, जो बरसात-सरदी-गरमी में अलग-अलग तरह की प्राकृतिक चुनौतियों-परेशानियों को ङोलते हुए हमारे पाठकों तक अखबार पहुंचाते हैं. विज्ञापनदाताओं के प्रति आभार, जिनसे बड़ी पूंजी के मुकाबले खड़ा होने की आर्थिक ऊर्जा मिलती रही है. धनबाद-बोकारो-गिरिडीह के शहरी क्षेत्रों से लेकर दूरदराज के इलाकों तक फैली प्रभात खबर की पूरी टीम को बधाई.

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