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ईरान और प्रमुख राष्ट्रों के बीच ऐतिहासिक परमाणु समझौता, सस्‍ता होगा क्रूड आयल

वियना : ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने और बदले में तेहरान को प्रतिबंधों से छूट देने के लक्ष्य से दुनिया के कुछ प्रमुख देशों और ईरान के बीच आज परमाणु समझौता हो गया. राजनयिकों ने इसकी जानकारी दी है. तेहरान के चिर प्रतिद्वंद्वी इस्राइल ने तत्काल इस समझौते को लेकर निशाना साधा. […]

वियना : ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने और बदले में तेहरान को प्रतिबंधों से छूट देने के लक्ष्य से दुनिया के कुछ प्रमुख देशों और ईरान के बीच आज परमाणु समझौता हो गया. राजनयिकों ने इसकी जानकारी दी है. तेहरान के चिर प्रतिद्वंद्वी इस्राइल ने तत्काल इस समझौते को लेकर निशाना साधा. इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे ‘दुनिया के लिए ऐतिहासिक गलती’ करार दिया. दोनों पक्षों के बीच 18वें दिन की मैराथन बातचीत के बाद यह सफलता मिली.

ईरान और तथाकथित पी5 प्लस वन (अमेरिका, रुस, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी) के बीच यह समझौता हुआ है. बातचीत से संबंधित एक राजनयिक ने बताया, ‘समझौता हो गया है.’ वियना में इस समझौते के क्रियान्वयन के उपाय को लेकर ईरान तथा विश्व की प्रमुख देशों के बीच आखिरी मंत्री स्तरीय बातचीत चल रही है. एक ईरानी वार्ताकार ने कहा कि लंबे समय से चल रही बातचीत अब सफलतापूर्वक निष्कर्ष तक पहुंच गई है.

संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था के प्रमुख ने कहा कि उन्होंने कहा कि ईरान के साथ एक प्रारुप पर हस्ताक्षर किये हैं ताकि तेहरान के परमाणु हथियार विकसित करने के निलंबित प्रयासों की जांच की जा सके. अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आइएइए) के प्रमुख युकिया अमानो ने कहा कि उनका लक्ष्य आइएइए की जांच पर 15 दिसंबर तक एक रिपोर्ट जारी करना है.

ईरान पर लगी पाबंदियां धीरे-धीरे हटाये जायेंगे

माना जा रहा है कि इस ऐतिहासिक समझौते से ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर काफी अंकुश लगेगा और संयुक्त राष्ट्र की निगरानी के कारण परमाणु हथियार बनाने के अभियान असंभव हो जाएगा तथा इसको लेकर आसानी से पता लगाया जा सकेगा. बदले में ईरान के तेल निर्यात तथा अर्थव्यवस्था पर लगाई गई पाबंदियों को धीरे-धीरे हटा लिया जाएगा. इसके हटने से ईरान तेल निर्यात का बढावा देगा और धीरे-धीरे निर्यात की मात्रा बढ़ेगी.

जिससे अधिकांश आयातक देशों को लाभ हो सकता है. क्रुड आयल कीकीमतें घटने से खुदरा पेट्रोलियम पदाथों की कीमतें भी घटेंगी जिससे महंगाई नियंत्रण में रहेगा. आइएइए ने उन आरोपों की जांच की मांग की थी जिनमें कहा गया था कि 2003 तक ईरान का परमाणु कार्यक्रम ‘संभवत: सैन्य आयामों’ वाला था और उसने परमाणु बम बनाने के लिए अनुसंधान किये. ईरान ने हमेशा इन आरोपों को खारिज किया.

इस मामले जांच पिछले साल से अवरुद्ध हैं. ईरान में साल 2013 में हसन रुहानी के राष्ट्रपति बनने के बाद राजनयिक प्रयासों को बल मिला. उसी साल नवंबर में अंतरिम समझौते पर सहमति बनी, लेकिन साल 2014 में समझौता करने की दो समयसीमा में चूक हुई. इसी साल अप्रैल में संबंधित पक्षों ने समझौते की मुख्य रुपरेखा पर सहमति जताई जिसका मकसद 30 जून तक समझौते को अंतिम रुप देना था. इस समय सीमा को दो बार बढाया गया था.

अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी और दूसरे संबंधित देशों के विदेश मंत्री देर रात तक वियना में एकत्र हुए थे. चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कल यहां पहुंचने के बाद कहा, ‘बातचीत को समाधान तक ले जाने के लिए विदेश मंत्री एकत्र हुए हैं. हमारा मानना है कि आगे विलंब नहीं होगा.’ इस परमाणु वार्ता का उद्देश्य ऐसे समझौते तक पहुंचना था जिससे ईरान की परमाणु गतिविधियों पर लगाम लगे और उसके लिए परमाणु बम का विकास करना बेहद मुश्किल हो जाए.

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