दक्षा वैदकर
निखिल ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी के बजाय खुद का बिजनेस शुरू करने की इच्छा घरवालों को बतायी. उन्हें भी कोई एतराज नहीं था. निखिल और उसके दोस्तों को खाने-पीने का बहुत शौक था, तो उसने अपने दो दोस्तों के साथ एक रेस्टोरेंट खोल लिया. शुरुआत में वे तीनों काफी उत्साहित नजर आये, लेकिन धीरे-धीरे उन्हें काम में कम मजा आने लगा. दोस्तों ने कहा, यह तो बहुत फालतू बिजनेस है. लोग भी बहुत कम आ रहे हैं और नुकसान भी हो रहा है. कर्मचारियों को भी बिना काम के सैलेरी देनी पड़ रही है.
एक दोस्त ने सलाह दी, रेस्टोरेंट से बेहतर है कि हम कोई और बिजनेस करें. क्यों न हम लोग साड़ियों की दुकान खोल लें. मेरे चाचा गुजरात में रहते हैं. हम उनसे थोक में साड़ियां मंगवायेंगे और यहां महंगे दामों में बेचेंगे. बहुत प्रॉफिट होगा. तीनों ने रेस्टोरेंट बंद करना तय कर लिया. देखते ही देखते रेस्टोरेंट बंद हो गया और साड़ियों की दुकान खुल गयी. सभी दोस्त बहुत खुश थे.
कुछ दिनों तक वे उत्साह से काम करते नजर आये, लेकिन 10-15 दिन बाद उन्हें इस काम में भी बोरियत लगने लगी. ग्राहक आते, साड़ियां देखते, लेकिन बिना खरीदे चले जाते. वे फिर निराश हो गये. अब वे कोई और बिजनेस शुरू करने की सोचने लगे. जब निखिल के परिवारवालों को यह पता चला, तो उन्होंने विदेश में रहनेवाले उनके चाचा को बुलवाया. वे भी बिजनेस करते थे.
उन्होंने निखिल और उनके दोस्तों को पास बैठाया और कहा, अगर मैं किसी बीज को बो कर, हर हफ्ते उसे निकाल कर नयी-नयी जमीनों पर बोता रहूं, तो क्या होगा? निखिल ने जवाब दिया-वह ढंग से फलेगा-फूलेगा नहीं. चाचा ने कहा, बिजनेस भी उस बीज की ही तरह है. उसे समय दिये जाने की जरुरत है.
जिस तरह हम बीज बोते ही एकदम से पौधे उगने और उस पर फल लग आने की अपेक्षा नहीं रख सकते, उसी तरह बिजनेस से भी तुरंत प्रॉफिट की उम्मीद मत रखो. उसे जमने दो. किसी भी बिजनेस को शुरू होने में कम-से-कम एक साल का वक्त दो. अर्पित को चाचा का इशारा समझ आ गया था.
बात पते की..
बिजनेस शुरू करने के पहले अच्छी तरह प्लानिंग करें. नुकसान के लिए भी पहले से तैयार रहें. वहीं बिजनेस करें, जिससे आप बोर कभी न हों.
कोई भी बिजनेस तुरंत हिट नहीं हो जाता. उसे अच्छा-खासा वक्त देना होता है. लोगों तक जानकारी पहुंचाने में महीनों लग जाते हैं. संयम रखें.