धनबाद:इंदुमति की कहानी तीन राज्यों से जुड़ी है. इसकी शुरुआत तो आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा से हुई है लेकिन इसने बिहार के वैशाली होकर धनबाद तक का सफर तय किया है. विजयवाड़ा ( आंध्रप्रदेश) के जयंतपुरम कस्बे की इंदुमति को आप सही अर्थो में ऑलराउंडर कह सकते हैं. आइएसएम में बीटेक इनवायरमेंट साइंस की स्टूडेंट इंदुमति स्कूली बच्चों के लिए योग, ड्रामा, पेटिंग व डांस की क्लास चलाती है. इसके लिए न तो वह कोई फीस लेती है, न ही इससे उनकी पढ़ाई में बाधा होती है. वे आइएसएम छात्रों की संस्था कर्तव्य से भी जुड़ी हुई हैं. उन्होंने छात्राओं के पहले बैंड द गार्डियन नॉट की भी शुरुआत की.
इंदुमति की शुरुआत जवाहर नवोदय विद्यालय से हुई है. पांच भाई-बहनों में से एक इंदुमति के माता-पिता तो बहुत पढ़े- लिखे नहीं है लेकिन शिक्षा के प्रति उनके जुनून ने इंदुमति को आइएसएम तक पहुंचा दिया. इंदुमति का ध्येय वाक्य है- अर्न टू लर्न, लीव टू सर्व ( सीखने के लिए कमायें लेकिन सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहें) . इंदुमति ने नवोदय विद्यालय के एक्सचेंज कार्यक्रम के तहत बिहार के वैशाली जिले में भी शिक्षा हासिल की है.
छठी कक्षा से ही योग से नाता
योग से इंदुमति का नाता छठी कक्षा से ही जुड़ गया. ग्यारह-बारह साल तक उन्होंने इसमें महारत हासिल कर ली. इंदुमति के माता- पिता अजरुन- सुभद्रा ने तो जैसे अपनी बिटिया को पंख दिये. उन्होंने उसे संगीत भी सिखाया. इंदु ड्रम भी बहुत अच्छा बजाती हैं. वे एथलेटिक्स में भी आइएसएम की चैंपियन हैं. इंदुमति की संस्था कर्तव्य न सिर्फ आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए स्कूल चला रही है बल्कि उनके कौशल विकास ( स्कील डेवलपमेंट) पर भी फोकस किया है.
कभी क्लास बंक नहीं किया
इतनी सारी गतिविधियों में शामिल होने के बावजूद इंदुमति ने कभी कोई क्लास मिस नहीं की. योग के संबंध में उनकी सीधी धारणा है कि देश में स्वास्थ्य संबंधी काफी समस्या है. इसका समाधान योग ही है. इनवायरमेंट साइंस की छात्र होने की वजह से प्रकृति के पांच तत्वों में उनका पूरा विश्वास है. वे कहती है- अगर आप योग को मनोरंजक (इंटरेस्टिंग) बनायेंगे तो इसे स्वीकर करना ज्यादा आसान होगा. मैं बच्चों के साथ यही तो करती हूं. अभी उनकी क्लास में चालीस बच्चे आते हैं. वे कहती हैं- खेल-कूद के जरिये एक कल्चर पैदा होता है. यह आपको कभी भी दिग्भ्रमित नहीं होने देता. उन्होंने अभी हाल ही में योग पर एक दिन का सेमिनार भी किया. इसमें सौ बच्चों ने हिस्सा लिया था.
संस्था कर्तव्य से भी जुड़ी रोल मॉडल है इंदुमति
आइएसएम के खेल अधिकारी जेके आचार्या की नजर में इंदुमति आज के छात्रों के लिए एक रोल मॉडल हैं. वे कहते है- इंदुमति ने आइएसएम में जिस परंपरा की शुरुआत की है, उसे आगे ले जाना नये छात्रों के लिए एक चुनौती है. ऐसा बहुत कम ही देखने को मिलता है कि किसी छात्र का पढ़ाई के साथ-साथ खेल-कूद में इतनी अभिरुचि हो.