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बिजनेस में झूठे वादे कभी न करें
दक्षा वैदकर तनु का जन्मदिन 14 मई को आता है. उसकी इच्छा थी कि वह जन्मदिन पर नयी ड्रेस में ही ऑफिस जाये इसलिए उनके बहुत ही प्यारा लाल रंग का सूट का कपड़ा खरीदा. वह जानती थी कि आजकल बूटिक में शादियों के कपड़ों की भीड़ होगी इसलिए उसने जन्मदिन के बहुत दिन पहले […]
दक्षा वैदकर
तनु का जन्मदिन 14 मई को आता है. उसकी इच्छा थी कि वह जन्मदिन पर नयी ड्रेस में ही ऑफिस जाये इसलिए उनके बहुत ही प्यारा लाल रंग का सूट का कपड़ा खरीदा. वह जानती थी कि आजकल बूटिक में शादियों के कपड़ों की भीड़ होगी इसलिए उसने जन्मदिन के बहुत दिन पहले यानी 25 अप्रैल को ही इसे सिलाई के लिए देना तय किया. वह बोरिंग रोड के पास स्थित हरिहर चैम्पर के बूटिक में गयी.
बूटिक की मालकिन से उसने पूछा कि अगर मैं आज सूट आपको देती हूं, तो आप कब तक इसे तैयार कर देंगी? मालकिन ने कहा 4 मई तक. तनु खुश हो गयी. सूट जन्मदिन के दस दिन पहले मिलनेवाला था.
उसने माप दे दिया. 4 मई की शाम वह सूट लेने पहुंची. रसीद दी, लेकिन बूटिक के लोगों को काफी देर तलाशने के बाद भी उसका सूट नहीं मिला. एक कारीगर ने कहा कि सूट तैयार हो गया है, बस अभी मिल नहीं रहा है. मालकिन ने दो दिन बाद दोबारा आने को कह दिया. तनु ने भी बुङो हामी भर दी, यह सोच कर कि जन्मदिन को काफी दिन है. इसके बाद वह अपने काम में व्यस्त हो गयी. आखिरकार वह 13 मई की शाम बूटिक पहुंची.
इस बार मालकिन ने फिर रसीद अपने हाथ में ली और पूरे बूटिक में उसके सूट को तलाशा. फिर कहा, वो अभी सिलाई के लिए गया हुआ है. कल आना. इस बार तनु को थोड़ा गुस्सा आया. वह बोली, कल मेरा जन्मदिन है. मुङो वह सूट पहनना था. मालकिन ने कहा, अपना पता और फोन नंबर दे दो, हमारा आदमी आपके घर आकर सूट आज दे देगा. तनु ने फिर भरोसा किया. आखिरकार उस रात भी कोई सूट लेकर नहीं आया.
वह दूसरे दिन फिर बूटिक गयी. सूट अभी भी पूरी तरह तैयार नहीं था, ना ही दुपट्टे में पीको हुआ था. 10 मिनट इंतजार करने के बाद उसे सूट व दुपट्टा मिला. तनु ने कहा कि आपने तय तारीख के इतने दिन बाद मुङो सूट दिया है. वह भी इतने चक्कर लगाने के बाद. अब आप सिलाई के कम पैसे लें. मालकिन बिफर पड़ी. तनु से झगड़ने लगी. यह तक कह दिया कि हमारे बूटिक में तो इसी तरह काम होता है, आप दूसरा बूटिक तलाश लें.
बात पते की..
कई दुकानदार ऐसे होते हैं जो बड़े ग्राहकों को तो तवज्जो देते हैं, लेकिन छोटे ग्राहको को नहीं. उनका यह तरीका धीरे-धीरे उनकी छवि खराब करता है.
यदि आप कोई काम वक्त पर नहीं कर सकते हैं, तो साफ कह दें. किसी को झूठी तसल्ली न दें. यही प्रोफेशनल तरीका है और सही भी है.
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