द्वितीय चरण- अनिमेष प्रेक्षा (त्राटक)ऐसी कोई भी वस्तु चुन लीजिये जिसकी ओर आप लगातार देखना पसंद करते हैं. उस वस्तु पर से न तो दृष्टि हटाइये और न ही अपने मन को इधर-उधर भटकने दीजिए.तृतीय चरण- शरीर प्रेक्षा (शरीर का मानस दर्शन)बंद आंखों से शरीर को इतनी स्पष्टता से देखिये, जितनी खुली आंखों से देखते हैं. शरीर को ध्यान में बैठा दीजिये. शरीर के निम्न, मध्य था ऊपरी अंगों को देखिये. बहुत स्पष्ट रूप से देखिये. अपने आसन तथा चेहरे के भावों को भी देखिये.चतुर्थ चरण- वर्तमान की प्रेक्षा (वर्तमान की सजगता)ठीक ढंग से यह ज्ञात कीजिये कि इस क्षण आपके शरीर में क्या अनुभव हो रहा है. क्या आपको कोई दर्द, व्यथा अथवा कोई संवेदना हो रही है. इस समय आपके मन में कौन से विचार आ रहे हैं. भावनात्मक दृष्टि से आपको कैसा लग रहा है. आपकी चित्तवृत्ति कैसी है.
प्रवचन:: मन को एकाग्र करें
द्वितीय चरण- अनिमेष प्रेक्षा (त्राटक)ऐसी कोई भी वस्तु चुन लीजिये जिसकी ओर आप लगातार देखना पसंद करते हैं. उस वस्तु पर से न तो दृष्टि हटाइये और न ही अपने मन को इधर-उधर भटकने दीजिए.तृतीय चरण- शरीर प्रेक्षा (शरीर का मानस दर्शन)बंद आंखों से शरीर को इतनी स्पष्टता से देखिये, जितनी खुली आंखों से देखते […]
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