बहुत पहले लंदन के छोटे-से कसबे में एक अनाथ बच्चोंरहता था. वह अखबार बेच कर किसी तरह अपना गुजारा करता था. कुछ समय बाद वह एक जिल्दसाज की दुकान पर जिल्द चढ़ाने का काम करने लगा. उस बालक को पढ़ने का बहुत शौक था. वह पुस्तकों पर जिल्द चढ़ाते के दौरान महत्वपूर्ण बातें व जानकारियां पढ़ता रहता था. एक दिन काम के दौरान उसकी नजर एक बिजली से संबंधित किसी लेख पर पड़ी.
वह लेख उसे बहुत ही रुचि कर लगा. उसने दुकान मालिक से एक दिन के लिए वह किताब मांग ली. रात भर में उस लेख के साथ ही पूरी किताब भी पढ़ डाली. उस किताब का बो पर गहरा प्रभाव पड़ा. इसके बाद उसकी प्रयोग करने की जिज्ञासा बढ़ गयी. धीरे-धीरे वह अध्ययन व परीक्षण के लिए विद्युत संबंधी छोटी-मोटी चीजें इधर-उधर से जुटाने लगा. बच्चे की इस बारे में रुचि देख कर एक ग्राहक उससे बहुत प्रभावित हुआ.
ग्राहक खुद भी विज्ञान में गहरी दिलचस्पी रखता था. एक दिन वह बालक को अपने साथ भौतिकशास्त्र के प्रसिद्ध विद्वान डेवी का भाषण सुनाने ले गया. बालक ने डेवी की बातें ध्यान से सुनीं और उन्हें नोट भी किया. इसके बाद बालक ने उनके भाषण की समीक्षा करते हुए अपने कुछ परार्मश लिख कर डेवी के पास भेज दिये.
डेवी को बालक की सलाह बहुत पसंद आयी. उन्होंने उसे अपने यंत्र व्यविस्थत करने के लिए अपने पास रख लिया. बालक उनके साथ रहने लगा. वह उनके सहयोगी और नौकर दोनों की भूमिका निप्रभाता रहा. वह दिन भर कामों में व्यस्त रहता, रात को अध्ययन करता. पढ़ाई के साथ उसकी जानने की जिज्ञासा बढ़ती जाती. वह भौतिकी के क्षेत्र में खास कर विद्युत के क्षेत्र में बहुत कुछ करना चाहता था. आखिरकार अपनी मेहनत और संकल्प से उसने सपना पूरा किया. वह एक महान वैज्ञानिक बन गया. आज दुनिया उस बो को ‘माइकल फैराडे’ के नाम से जानती है.