आज की दौड़-भाग भरी जिंदगी में अच्छी नींद न आने की समस्याएं दिन-व-दिन विकराल रूप धारण करती जा रही हैं. इसके कारण लोगों को कई अन्य बीमारियों से भी दो-चार होना पड़ता है. नींद का हमारी सेहत और व्यवहार से गहरा संबंध होता है.
आपकी सुबह जल्दी उठने के साथ होती है या फिर दस बजे के पहले आपकी नींद नहीं टूटती. ऐसे सवालों को जान-समझ कर हम अपनी सेहत से जुड़ी कई अन्य समस्याओं का हल निकाल सकते हैं. दरअसल हम अनियमित निद्रा का शिकार होते हुए भी इसे सेहत के लिए बुरा नहीं मानते और इसके प्रभाव को नहीं समझ पाते. नींद के प्रभाव को लेकर हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में एक शोध किया गया. इसमें लोगों के व्यक्तित्व और नींद के दौरान उनके शरीर की हरकतों आदि पर अध्ययन किया गया. शोध के मुताबिक नींद का हमारी सेहत के साथ-साथ व्यवहार से भी गहरा संबंध है.
कितना फायदेमंद है सुबह उठना
इंग्लैंड के लॉहबर्ग यूनिवर्सिटी स्लीप रिसर्च सेंटर के मुताबिक एकदम तड़के सुबह नींद से जागनेवालों को मानसिक रोग जैसे अवसाद का खतरा हो सकता है. सेंटर की रिसर्च टीम के जिम हॉर्न ने कहा कि अक्सर ऐसा होता है कि लोगों की जब उम्र बढ़ती है तो वे सुबह तड़के उठने लगते हैं. तड़के चार बजे जागनेवाले लोगों को अवसाद की शिकायत होने की संभावना रहती है. अवसाद के कारण कभी-कभी उनका व्यवहार चिड़चिड़ा हो जाता है. नियमित दिनचर्या के कारण दूसरे की अनियमितता पर वे झल्लाने लगते हैं.
उधर, र्से विश्वविद्यालय की शोध टीम ने रिपोर्ट दी है कि तड़के सुबह नींद से जागनेवाले लोगों में बहुत जल्द थकान की शिकायत आने लगती है. डॉ सिमोन ऑर्कर कहते हैं कि जिन्हें रात होते ही बहुत जल्दी नींद आ जाती है, जब उनके जीन्स चेक किया गया तो पता चला कि वे सुबह इसलिए अच्छा काम करते हैं, क्योंकि वे जल्दी थक जाते हैं. थकान की वजह से रात को जल्दी सो भी जाते हैं.
देर-सबेर जगना-सोना
देर-सबेर जगने का मतलब अनियमित दिनचर्या, और अनियमित दिनचर्या सेहत के लिए सबसे ज्यादा नुकसानदायक होता है. इसी सिलसिले में शोधकर्ता जिम हॉर्न ने बताया है कि जो लोग समय से नहीं उठते, वे नाश्ते से चूक जाते हैं और उनमें मोटापे की समस्या पैदा हो जाती है. वहीं तड़के सुबह उठने वाले लोग समय से नाश्ता करते हैं, जिससे उनकी सेहत सही रहती है और उनका वजन भी संतुलित रहता है. यही नहीं एक शोध में यह भी कहा गया है कि देर से सोनेवाले लोग कुछ ज्यादा ही खर्राटे लेते हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया के शोधकर्ताओं के मुताबिक देर से सोने से गुड कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) अपेक्षाकृत कम हो जाता है, जिससे सोते समय सांस लेने में दिक्कत होती है. सांस लेने की इस दिक्कत से ही खर्राटे पैदा होते हैं. खर्राटे के बीच उसकी नींद बार-बार टूटती है, वह चौंक जाता है, इससे उसके व्यवहार में एक प्रकार का डर पैदा हो जाता है.
नींद का असर याद्दाश्त पर
देर से सोने का अर्थ है कि कभी-कभी आपको एकदम सुबह उठना पड़ जाता है, जिससे आपकी नींद पूरी नहीं हो पाती. ऐसे में सबसे ज्यादा खतरा याद्दाश्त कमजोर होने का रहता है. शोध भी इस बात की ओर इशारा करते हैं कि देर से सोने और तड़के उठ जाने वाले लोगों की याद्दाश्त कमजोर होती है. दरअसल, विज्ञान की मानें तो हमारी नींद के दौरान हमारा मस्तिष्क खुद को रीसेट करता है और जब नींद पूरी नहीं होती तो वह रीसेट करने में असमर्थ हो जाता है.