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गंभीर रोगों में ओडेमा खतरनाक

ओडेमा को ड्रॉप्सी के नाम से जाना जाता है. यह एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें कुछ खास ऊतकों में असामान्य रूप से तरल पदार्थो का जमाव होता है. ओडेमा तब होता है, जब सुक्ष्म रक्त वाहिकाओं (कैपिलरी) से तरल पदार्थ रिसने लगता है. यह आसपास के ऊतकों में जमा होने लगता है. वाहिकाओं से […]

ओडेमा को ड्रॉप्सी के नाम से जाना जाता है. यह एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें कुछ खास ऊतकों में असामान्य रूप से तरल पदार्थो का जमाव होता है. ओडेमा तब होता है, जब सुक्ष्म रक्त वाहिकाओं (कैपिलरी) से तरल पदार्थ रिसने लगता है. यह आसपास के ऊतकों में जमा होने लगता है. वाहिकाओं से तरल पदार्थ तब रिसते हैं, जब रक्त नलिकाओं के भीतर बहुत ज्यादा प्रेशर बनता है या फिर बाहर से भी नलिकाओं पर प्रेशर बनता है. कई बार रक्त वाहिकाओं के भीतर संतुलन की स्थिति नहीं रह पाती. ओडेमा के बारे में खास बात यह होती है कि यह किसी खास अंग के ऊतकों को ही प्रभावित करता है.

ओडेमा के प्रकार
ओडेमा कई तरह के हो सकते हैं. जैसे पेरिफेरल ओडेमा. यह पैरों और एड़ी में होता है. हृदय के दाहिने हिस्से के कमजोर होने से यह होता है. इसी तरह सेरेब्रल ओडेमा से मस्तिष्क प्रभावित होता है. जबकि पल्मनरी ओडेमा से फेफड़ा प्रभावित होता है. यह फेफड़ों में प्रेशर बनने के कारण होता है. मैकुलर ओडेमा से आंखों में सूजन होती है. एक अन्य तरह का ओडेमा भी है, जिसे आइडोपैथिक ओडेमा भी कहते हैं. इस ओडेमा के होने के कारणों के बारे में डॉक्टरों की कोई एक राय नहीं है.

कुछ सामान्य कारण

गर्भावस्था

गर्भनिरोधिक दवाइयों का इस्तेमाल

कुपोषण

-रक्त का थक्का जमना

-असामान्य वृद्धि या सिस्ट

-लंबे समय तक बैठे या खड़े रहना

-खाने में बहुत अधिक नमक लेना

-थाइरॉयड के रोगी

-थाइमिन की कमी

-गर्म पर्यावरण

-ऊंची जगहों पर रहने

-कुछ खास तरह की दवाइयों का इस्तेमाल

-कुछ गंभीर बीमारियों के कारण होने वाला ओडेमा

-सिरोसिस

-एक्यूट हेपेटिक फेल्योर

-हेपेटिक वेन थ्रोंबोसिस

-क्रॉनिक लिम्फेटिक ऑबस्ट्रक्शन

-हर्ट फेल्योर

-सीकेडी (क्रॉनिक किडनी डिजीज)

-क्रॉनिक वेनस इनसफियंसी (इस स्थिति में पैरों की नसें कमजोर हो जाती हैं या फिर क्षतिग्रस्त हो जाती हैं)

-क्या हो सकता है ओडेमा से

-रक्त संचालन में कमी

-शरीर में अकड़न

-मांसपेशियों और जोड़ों में कठोरता आना

-त्वचा का रूखा होना

-त्वचा पर छोटे-छोटे घाव बनना

-बार-बार इंफेक्शन होना

-सूजन वाली जगह पर दर्द होना

-चलने में परेशानी होना

-क्या करें

-हल्के व्यायाम करें

-खाने में नमक की मात्र कम करें

-रिफाइन भोजन का इस्तेमाल कम करें

-खाने में एंटी ऑक्सीडेंट्स जैसे चेरी और टमाटर नियमित रूप से खायें

-कद्दू, प्याज, हरे बीन, पत्तीदार साग, अंगूर, अन्नानास जरूर खायें

-शराब और तंबाकू का सेवन न करें

-रेड मीट कम करें या फिर इसे न खायें

-दूध या दूध से बने सामान कम लें

-पल्मनेरी ओडेमा से पीड़ित लोगों को तकिये के सहारे सिर को ऊंचा उठा कर सोना चाहिए

-जबकि पेरीफेरल ओडेमा से पीड़ित लोगों को पैरों को उठा कर रखने से आराम होता है.

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