बेंगलुरु : एचआइवी–एड्स पीड़ितों के लिए काम करनेवाली एक गैरसरकारी संस्था (एनजीओ) ने राजस्थान में एचआइवी पीड़ितों को उत्पीड़न से बचाने और उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए समुदाय आधारित संगठन बनाने की परियोजना शुरू की है. मैसूर स्थित यह संस्था यौनकर्मियों द्वारा संचालित एशिया प्रशांत क्षेत्र का पहला एनजीओ है.
इस एनजीओ की निदेशक भाग्यलक्ष्मी ने कहा, ‘अशोदया अकादमी राजस्थान में कुछ जगहों पर यौनकर्मियों में कौशल एवं क्षमता विकास में मुख्य भूमिका निभाती है. इसने अधिकारों की उनकी लड़ाई में उन्हें थोड़ी बहुत सफलता भी दिलाई है.’ इस परियोजना को शुरू करने से जुड़े अपने अनुभवों को साझा करते हुए भाग्यलक्ष्मी ने बताया कि अपनी समस्या पर खुले तौर पर चर्चा करने को लेकर यौनकर्मियों में संकोच था और ऐसे में उनके एनजीओ के लिए समुदाय आधारित संगठन (सीबीओ) बनाना आसान नहीं था.
इस अकादमी की एक अन्य पदाधिकारी, वित्तीय निदेशक मंजुला रमैया ने कहा, ‘हमने वहां काम कर रहे कुछ एनजीओ से संपर्क किया, जिन्होंने राज्य में सीबीओ के गठन के लिए उन्हें (यौनकर्मी) आगे लाने में हमारी मदद की.मंजुला ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत, राजस्थान से इस समुदाय के चुनिंदा लोगों को संपर्क यात्र पर मैसूर लाया गया, जिसके बाद उनके राज्य में ही उन्हें सहायता दी गयी. इस एनजीओ की बोर्ड सदस्य और पेशे से यौनकर्मी रही हेमा बताती हैं कि इस पेशे में उसके शुरुआती दिन मानसिक एवं शारीरिक उत्पीड़न से भरे हुए थे, जब उसकी रोजाना की कमाई तक छीन ली जाती थी.
समुदाय के सदस्य जब प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल हुए, तो मैंने उन्हें इन समस्याओं से निबटने के अपने अनुभव बताये. चूंकि, वे लोग भी ऐसी ही समस्याओं से जूझ रहे थे, ऐसे में उन्हें भी इन मुश्किलों का सामना करने की हिम्मत मिली. एक अन्य यौनकर्मी और इस एनजीओ के सदस्य अकरम ने कहा कि हालात में थोड़ा सुधार तो हुआ है, लेकिन इस समुदाय के लोगों की स्थिति सुधारने के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है.