।। दक्षा वैदकर ।।
हमने यह तो बहुत सुना है कि किसी को बुरे व कठोर शब्द न कहें. ऐसी कोई बात न कहें कि सामनेवाले को दुख पहुंचे, लेकिन यह शायद ही सुना होगा कि है हमें खुद को भी कठोर बातें नहीं कहनी चाहिए. अपने बारे में भी हमेशा अच्छा ही सोचना चाहिए. खुद से प्यार करना चाहिए.
आज यह बात इसलिए, क्योंकि फेसबुक पर किसी मित्र ने मुझसे कहा कि आप खुद की ढेर सारी तसवीरें डालती हैं. प्रोफाइल फोटो भी अक्सर बदलती रहती हैं. आपको खुद से बहुत प्यार है न? मैंने जब जवाब दिया कि भला मुझे खुद से प्यार क्यों न हो. आपने ‘जब वी मेट’ फिल्म का करीना कपूर का डायलॉग भी सुना होगा कि ‘मैं खुद की फेवरेट हूं’. मैं भी इसी फंडे पर चलती हूं. उस मित्र ने जवाब दिया, ‘आप में ऐसी कोई कमी नहीं हैं इसलिए आप खुद से प्यार करती हैं, लेकिन मेरे साथ ऐसा नहीं है. मैं थोड़ा आलसी हूं. कई बार बेवकूफी भरे निर्णय ले लेता हूं. लोग मुझे उल्लू बना कर चले जाते हैं और मैं गधे जैसे बैठा रहता हूं.’
इस मित्र की बात सुन मुझे बहुत आश्चर्य हुआ कि कोई खुद को इतनी गालियां कैसे दे सकता है? वह खुद को इतने कठोर शब्द कैसे कह सकता है? आप एक उदाहरण लें. एक बच्च दौड़ में भाग लेता है और गिर जाता है. उसके पास एक शिक्षक आते हैं और कहते हैं, ‘तुम्हें ठीक से दौड़ना भी नहीं आता. इतनी छोटी–सी रेस भी तुम जीत नहीं सकते? तुम अपनी जिंदगी में कभी कुछ नहीं कर सकोगे.’ उस बच्चे के साथ क्या होगा? वह उठेगा ही नहीं और दौड़ छोड़ देगा.
वहीं अगर कोई दूसरा शिक्षक आता और कहता, ‘कोई बात नहीं. तुम दोबारा उठो और दौड़ो. मुझे पूरा यकीन है कि तुम अच्छे से दौड़ोगे. तुम्हारे अंदर काबिलीयत है. तुम यह रेस जीत सकते हो.’ बच्चा उठेगा और दौड़ेगा. हो सकता है कि वह रेस जीत भी जाये.
सोचनेवाली बात है कि जब हमारी चंद लाइनें दूसरों को इतना प्रभावित कर सकती हैं, तो जो बातें हम दिन–रात खुद को बोलते हैं, वे हमें कितना प्रभावित करती होंगी? सवाल रोचक है, इस पर सोचें. कभी खुद के साथ कठोर भाषा का प्रयोग न करें. जब भी कोई चीज गलत करें, यह न कहें कि मैं गलत था. यह कहें कि मुझे इस बात की जानकारी नहीं थी. अब जानकारी हो गयी है, तो अब गलती नहीं होगी.
– बात पते की
* यह कहना कि मैं गधा, उल्लू, बेवकूफ हूं. कोई भी मुझे धोखा दे सकता है. मुझे लोगों को पहचानना नहीं आता. दरअसल यह खुद को श्रप देने जैसा है.
* दूसरों को मोटिवेट करने के साथ ही, खुद को मोटिवेट करना सीखें. खुद से प्यार करें. अपनी गलतियों पर खुद को कठोर शब्द कह कर सजा न दें.