दक्षा वैदकर
किसी गांव में शंकर नाम का बुजुर्ग रहता था. उसकी उम्र 80 साल थी, पर वो 40 के व्यक्ति से भी स्वस्थ लगता था. लोग उसकी सेहत का रहस्य जानना चाहते थे, पर वो कभी कुछ नहीं बोलता था. एक दिन राजा को भी उसके बारे में पता चला.
राजा ने गुप्तचरों से शंकर पर नजर रखने को कहा. अगले दिन गुप्तचरों ने देखा कि शंकर सुबह उठ कर कहीं जा रहा है, वे भी उसके पीछे लग गये. शंकर तेजी से चलता चला जा रहा था, मीलों चलने के बाद वो एक पहाड़ी पर चढ़ने लगा और अचानक से गायब हो गया. गुप्तचर वहीं रुक कर उसका इंतजार करने लगे. कुछ देर बाद वह लौटा. उसने मुट्ठी में कुछ फल पकड़ रखे थे और उन्हें खाता हुआ चला जा रहा था. गुप्तचरों ने अंदाजा लगाया कि हो न हो, शंकर इन्हीं फलों को खाकर इतना स्वस्थ है.
उन्होंने राजा को बताया. राजा ने उन फलों का पता लगाने का आदेश दिया, पर बहुत प्रयास के बाद भी कोई असाधारण फल वहां नहीं दिखा. अंतत: राजा ने शंकर को दरबार में हाजिर होने का हुक्म दिया. राजा बोला- शंकर, इस उम्र में भी तुम्हारी इतनी अच्छी सेहत देख कर हम प्रसन्न हैं. बताओ, तुम्हारी सेहत का रहस्य क्या है?
शंकर कुछ सोचने के बाद बोला- महाराज, मैं रोज पहाड़ी पर जा कर एक रहस्यमयी फल खाता हूं, वही मेरी सेहत का राज है. ठीक है, चलो हमें भी वह फल दिखाओ, राजा बोला. सभी लोग पहाड़ी की ओर चल दिये.
वहां पहुंच कर शंकर उन्हें एक बेर के पेड़ के फलों को दिखाते हुए बोला-हुजूर, यही वो फल है, जिसे मैं रोज खाता हूं.
राजा क्रोधित होते हुए बोला-तुम हमें मूर्ख समझते हो. यह फल हजारों लोग खाते हैं, पर सभी तुम्हारी तरह सेहतमंद क्यों नहीं हैं? शंकर विनम्रता से बोला- महाराज, हर दिन हजारों लोग जो फल खाते हैं, वो बेर का फल होता है, पर मैं जो फल खाता हूं, वो सिर्फ बेर का फल नहीं, बल्कि मेरी मेहनत का फल होता है.
इसे खाने के लिए मैं रोज सुबह 10 मील पैदल चलता हूं. इससे मेरे शरीर की अच्छी वजिर्श हो जाती है और सुबह की स्वच्छ हवा मेरे लिए जड़ी-बूटियों का काम करती है. बस यही मेरी सेहत का रहस्य है.
बात पते की..
– यह जरूरी नहीं कि स्वस्थ रहने के लिए हम जिम ज्वॉइन करें, रुपये बर्बाद करें. सुबह की लंबी सैर आपको कई बीमारियों से दूर रखती है.
– जितना ज्यादा हो सके, अपने जीवन को प्रकृति से जोड़ें. सुबह जल्दी उठें और स्वच्छ हवा का आनंद लें. आज अगर यह नहीं करेंगे, तो पछतायेंगे.