दक्षा वैदकर
बीती रात मैं ऑफिस में किसी काम से थोड़ा ज्यादा देर तक रुक गयी थी. अपने सेक्शन के हॉल में मैं अकेली बैठी थी और ऐसी जगह पर थी कि किसी को आसानी से नजर नहीं आती. दूसरे सेक्शन के साथियों को इस बात की जानकारी नहीं थी. उन्हें लगा कि सभी कर्मचारियों की तरह मैं भी घर जा चुकी हूं. उनमें से एक साथी कर्मचारी कॉरिडोर में आया और रस्सी कूदने लगा. कॉरिडोर से धम्म-धम्म की आवाजें सुन कर मेरा ध्यान उस ओर गया और मैंने भी झांक कर देखा.
जब वह साथी रस्सी कूद-कूद कर थक गया और रिलेक्स हो गया, तो उसका ध्यान मुझ पर गया और वह सकपका कर चला गया. बाद में मैंने अन्य साथियों से पता किया, तो मुङो मालूम हुआ कि उस सेक्शन के अधिकांश कर्मचारी देर रात काम से मुक्त हो जाने के बाद मूड फ्रेश करने के लिए बारी-बारी से रस्सी कूदते हैं. इस तरह उनका ऑफिस का सारा टेंशन गायब हो जाता है. वे अपने बचपन को याद कर लेते हैं, थोड़ा खिलखिला कर हंस लेते हैं और सेहत भी बना लेते हैं. एक साथी ने बताया कि सिर्फ पांच मिनट की इस छोटी-सी एक्टिविटी से हमें बहुत सारी खुशियां मिल जाती हैं. ठंड के दिन में पसीना निकलने लगता है, तो उसका अलग ही आनंद होता है. इतना ही नहीं, रस्सी कूदने के बाद नींद भी बड़ी अच्छी आती है.
दोस्तों, यह बात भले ही आपको छोटी लगे, लेकिन इसमें बहुत बड़ा संदेश छिपा है. ये साथी हमें सीख देते हैं कि अगर हम चाहें, तो किसी भी परिस्थिति में खुश रहने का तरीका खोज सकते हैं. ये सिखाते हैं कि भले ही हम सुबह से रात तक लगातार ऑफिस में काम करते हैं, बॉस से डांट सुनते हैं, लोगों को खुद भी डांटते हैं, चिड़चिड़ करते हैं, कई बार ठीक से खाना नहीं खा पाते, तनाव में रहते हैं और थक जाते हैं, लेकिन इन सब के बावजूद हम अपनी खुशी के लिए ऐसा एक काम जरूर करते हैं, जो हमें ऊर्जा से भर देता है. हमारी दिनभर की थकान मिटा देता है. हमें यह महसूस कराता है कि हां, हम जी रहे हैं. खुशी-खुशी जी रहे हैं और जीवन इस खुशी का ही नाम है.
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in
बात पते की..
अगर आपको भी लगता है कि आपका जीवन रुक-सा गया है, आप रोज एक जैसा ही काम कर रहे हैं, तो कोई मजेदार हॉबी डेवलप करें.
हर व्यक्ति को किसी न किसी चीज का शौक होता ही है. आपको कौन-सी चीज खुशी देती है, उस चीज के लिए थोड़ा-सा वक्त जरूर निकालें.
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