।। पंकज कुमार सिंह ।।
जमुई : सुल्तानगंज से बाबाधाम जाने वाली मार्ग में और सुधार की आवश्यकता है. इस मार्ग से गुजरने वाले कांवरियों के लिए अच्छी सड़क, रोशनी, शौचालय तथा ठहरने के स्थान में काफी कमी है.
हालांकि पहले की अपेक्षा कुछ सुधार हुआ है. उक्त बातें कृ ष्णा रानी माता बम ने जमुई स्थित शिल्पा विवाह भवन में बुधवार को पत्रकारों से रूबरू होते हुए कही. कृ ष्णा बम ने बताया कि अपने शुभेच्छु सुबोध जी के आमंत्रण पर जमुई आयी थी. उन्होंने कहा कि सावन में द्वादश ज्योर्तिलिंग के दर्शन व पूजन के लिए देश –विदेश से भक्त देवघर आते है.
हम चाहते है विश्व प्रसिद्ध श्रवणी मेला में जो भक्त शामिल होते है वे यहां की व्यवस्था को देखकर एक अच्छा संदेश लेकर जायें. जिससे अपने प्रदेश का नाम रोशन हो. अपनी भक्ति यात्रा के बारे में संक्षिप्त जानकारी देते हुए बताया कि मैं 33 वर्षों से सावन की प्रत्येक सोमवारी को डाक बम के रूप में सुल्तानगंज से जल भरकर बाबा बैद्यनाथ धाम जलाभिषेक आ रही हूं. अपनी निवास स्थान मुजफ्फरपुर से 11 बार लगातार साइकिल से मां वैष्णोदेवी मंदिर की दर्शन व पूजन की हूं.
मुजफ्फरपुर से एक बार कामाख्या धाम साइकिल से पूजन को गयी हूं. वर्ष 1988 में 30 दिन में हरिद्वार से जल भरकर बाबा बैद्यनाथ धाम 1500 किलोमीटर की दूरी तय कर पूजन किया था. वर्ष 1989 में गंगोत्री से जल भरकर सेतु बांध रामेश्वरम 4500 किलोमीटर की दूरी 45 दिन में तय कर पूजा की थी.
नवरात्रि के अवसर पर वर्ष 1990 से 99 तक सीना पर कलश स्थापित कर मां भगवती की पूजा –अर्चना की है. एक बार सुल्तानगंज से बाबा बैद्यनाथ धाम की यात्रा दंडवत देकर 27 दिनों में पहुंची थी. कै लाश मानसरोवर की यात्रा कर कैलाशपति का दर्शन करना चाहती हूं. जबतक बाबा की प्रेरणा मिलती रहेगी तबतक अपना यह यात्रा जारी रखूंगी. बाबा की कृपा से भक्ति की इस यात्रा में पति सहित पूरे परिवार का सहयोग मिलता रहा है.
वर्तमान में कांवरियां मार्ग में कांवरियां भक्तों के साथ परेशानी पैदा कर रहे लोगों से मैंअपील करती हूं कि बाबा के दर्शन को जा रहे भक्तों के लिए लोग मदद कर सकते है तो अवश्य करें, लेकिन व्यवधान पैदा न करें. मौके पर संतोष जी, मनोज कुमार उर्फ पॉली जी, सूर्यदेव भगत, रौशन कुमार केशरी, पवन कुमार सिंह, डमडम कुमार आदि मौजूद थे .
* कृष्णा बम हुईं पत्रकारों के रूबरू
* बाबाधाम के रास्ते में सुविधाओं के अभाव से दिखीं खिन्न
* 33 वषों से प्रत्येक सोमवार को जल लेकर जाती हैं देवघर