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जमीन पर नहीं उतरीं योजनाएं
विधायक बदलते रहे, पर मुद्दे, जस के तस सतीश शर्मा तोरपा : तोरपा विधानसभा क्षेत्र से क्षेत्रीय दलों के साथ राष्ट्रीय दलों के भी विधायक बने. झारखंड निर्माण के बाद यहां पर दो बार भाजपा के कोचे मुंडा, जबकि एक बार झाममो के पौलूस सुरीन को लोगों ने विधायक के रूप में चुना. इस विधानसभा […]
विधायक बदलते रहे, पर मुद्दे, जस के तस
सतीश शर्मा
तोरपा : तोरपा विधानसभा क्षेत्र से क्षेत्रीय दलों के साथ राष्ट्रीय दलों के भी विधायक बने. झारखंड निर्माण के बाद यहां पर दो बार भाजपा के कोचे मुंडा, जबकि एक बार झाममो के पौलूस सुरीन को लोगों ने विधायक के रूप में चुना.
इस विधानसभा क्षेत्र में समस्याओं का अंबार है. बेरोजगारी का आलम यह है कि यहां के युवक-युवतियां काम के तलाश में पलायन कर रहे हैं. विकास के लिए यहां कई योजनाएं बनीं, लेकिन कोई भी योजना धरातल पर नहीं उतर पाया. 70 के दशक में यहां 710 मेगावाट की जल विद्युत परियोजना प्रस्तावित हुई. स्थानीय लोगों के विरोध व जमीन उपलब्ध नहीं होने के कारण यह परियोजना बंद कर दी गयी. राज्य निर्माण के बाद मित्तल स्टील व पावर प्लांट बनाने की योजना बनायी गयी, लेकिन जमीन नहीं मिलने के कारण इन योजनाओं से भी हाथ धोना पड़ा.
दोनों परियोजना के बन जाने से यहां करीब एक लाख लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार से जुड़ जाते. इसी प्रकार तोरपा में कृषि विज्ञान केंद्र प्रस्तावित है. यहां किसानों को नयी तकनीक की जानकारी देकर कृषि को विकसित करने की योजना है. तामझाम से कृषि विज्ञान केंद्र का शिलान्यास हुआ था, लेकिन यहां काम शुरू नहीं हो पाया. तोरपा प्रखंड के चंद्रपुर में आइटीआइ शुरू करने के लिए भवन का शिलान्यास भी किया गया, परंतु इस पर भी काम शुरू नहीं हो पाया. क्षेत्र में टूटी सड़कें, अस्पताल में चिकित्सकों की कमी, विद्यालयों में शिक्षकों की कमी भी यहां की स्थिति बयां करती हैं.
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