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फ्लिट नहीं, गंबुसिया से होगा मच्छरों का सफाया

आसनसोल: आसनसोल रेल मंडल के विभिन्न क्षेत्रों में मच्छरों के सफाया करने के लिए प्रदूषण फैलाने वाले फ्लिट (कीट नाशक) नहीं, गंबुसिया मछली का प्रयोग किया जा रहा है. वरिष्ठ मंडल स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एस भट्टाचार्य के अनुसार अभी तक इस प्रयोग का काफी उत्साहवर्धक परिणाम मिले हैं. इसलिए मंडल के अधिक से अधिक स्थानों […]

आसनसोल: आसनसोल रेल मंडल के विभिन्न क्षेत्रों में मच्छरों के सफाया करने के लिए प्रदूषण फैलाने वाले फ्लिट (कीट नाशक) नहीं, गंबुसिया मछली का प्रयोग किया जा रहा है. वरिष्ठ मंडल स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एस भट्टाचार्य के अनुसार अभी तक इस प्रयोग का काफी उत्साहवर्धक परिणाम मिले हैं. इसलिए मंडल के अधिक से अधिक स्थानों पर इसका प्रयोग किया जा रहा है. मंडल रेल प्रबंधक एसएस गेहलोत ने मंगलवार को तालाब का निरीक्षण कर इसकी समीक्षा की.

क्या है गंबुसिया
यह मुख्यत: मीठे पानी में रहने वाली चार से सात सेंटीमीटर की छोटी मछली है. इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि अंडे नहीं देती, बल्कि बच्चे को जन्म देती है. यह मछली दो माह में व्ययस्क हो जाती है और प्रजनन के 16 से 28 दिनों के भीतर बच्चे को जन्म देती है. इसकी नौ प्रजाति होती है, जिनमें कुछेक समुद्र के खारे पानी में भी पायी जाती है. इसका मुख्य आहार छोटे कीट के साथ मच्छरों के लार्वा है, इस कारण इसे मस्किटो फिश भी कहा जाता है.

पर्यावरण के लिए घातक
नाली, छोटे-छोटे गड्ढे आदि मच्छरों के पनपने का मुख्य स्नेत है. घर के आसपास पानी का जमाव होने से इनसी संख्या बढ़ती है. ब्लिचिंग पाउडर, कीट नाशक आदि का छिड़काव कर पानी में रहने वाले मच्छर के अंडे व लार्वा को नष्ट किया जाता है. ब्लिचिंग पाउडर व कीट नाशक का उपयोग पर्यावरण के लिए प्रतिकूल है. गंबुसिया का कोई साइड इफेक्ट नहीं है. यह पानी में रहने वाले कीट-मकोड़ों के साथ ही उनके अंडे व लार्वा को पूरी तरह से चट कर जाती हैं.

विभिन्न क्षेत्रों में हो रहा है प्रयोग
आसनसोल रेल मंडल के आसनसोल, मधुपुर, अंडाल, पानागढ़ आदि क्षेत्रों में गंबुसिया का प्रयोग किया जा रहा है. रेलवे स्टेशन व कॉलोनियों की नालियों के साथ साथ गड्ढों में गंबुसिया मच्छली डाली गयी हैं. इसके बेहतर परिणाम आ रहे हैं. इससे रेल प्रशासन काफी उत्साहित है और इसका प्रयोग अन्य स्थानों में करने का प्रयास जारी है.

डीआरएम ने दिये सुझाव
सीनियर डीएमओ डॉ भट्टाचार्य के अनुसार डीआरएम श्री गेहलोत पर्यावरण प्रेमी हैं और हमेशा इस दिशा में प्रयासरत रहते हैं. उन्होंने ही कीट नाशक का प्रयोग कम करने के लिए गंबुसिया पालने का सुझाव दिया था. कोलकाता से गंबुसिया मच्छली के बीज मंगा कर आसनसोल में पालन किया जा रहा है.

डीआरएम ने किया निरीक्षण
डीआरएम श्री गेहलोत ने मंगलवार को विभिन्न स्थलों का निरीक्षण किया. उन्होंने डाली गयी मछलियों की जानकारी ली. समीक्षा में उन्होंने रिजल्ट को संतोषजनक बताया. उन्होंने कहा कि इस संबंध में हर स्तर पर सचेतनता की जरूरत है.

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