।। दक्षा वैदकर ।।
एक सेठ था. वह दिन-रात काम-धंधा बढ़ाने में लगा रहता था. उसे शहर का सबसे अमीर आदमी बनना था. धीरे-धीरे वह नगर सेठ बन गया. इस कामयाबी की खुशी में उसने एक शानदार घर बनवाया.
गृह प्रवेश के दिन उसने एक बहुत बड़ी पार्टी दी और जब सारे मेहमान चले गये, तो वह अपने कमरे में सोने के लिए गया. जैसे ही वह बिस्तर पर लेटा, एक आवाज उसके कानों में पड़ी, ‘मैं तुम्हारी आत्मा हूं और अब मैं तुम्हारा शरीर छोड़ कर जा रही हूं.’ सेठ घबरा के बोला, ‘अरे तुम ऐसा नहीं कर सकती.
तुम्हारे बिना तो मैं तो मर ही जाऊंगा. देखो मैंने कितनी बड़ी कामयाबी हासिल की है. तुम्हारे लिए करोड़ों रुपयों का घर बनवाया है. इतनी सारी सुख-सुविधाएं सिर्फ तुम्हारे लिए ही तो हैं. यहां से मत जाओ.’
आत्मा बोली, ‘मेरा घर तो तुम्हारा स्वस्थ शरीर था, पर करोड़ों कमाने के चक्कर में तुमने इस अमूल्य शरीर का ही नाश कर डाला. तुम्हें ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, थायरॉइड, मोटापा, कमर दर्द आदि बीमारियों ने घेर लिया है. तुम ठीक से चल नहीं पाते. रात को तुम्हे नींद नहीं आती. तुम्हारा दिल भी कमजोर हो चुका है. तनाव की वजह से ना जाने और कितनी बीमारियों का घर बन चुका है तुम्हारा शरीर.
तुम ही बताओ, क्या तुम ऐसे किसी घर में रहना चाहोगे, जहां चारों तरफ कमजोर दिवारें हो, गंदगी हो, जिसकी छत टपक रही हो, जिसके खिड़की दरवाजे टूटे हों, नहीं रहना चाहोगे ना!
.. इसलिए मैं भी ऐसी जगह नहीं रह सकती.
..और ऐसा कहते हुए आत्मा सेठ के शरीर से निकल गयी. इस तरह सेठ की मृत्यु हो गयी.
मित्रों, हम में से कई लोग काम में इतने खो जाते हैं कि अपनी सेहत को भी दांव पर लगा देते हैं. ऐसा नहीं है कि आप अपनी मंजिल पर मत पहुंचिये, पर जो भी करिये स्वास्थ्य को सबसे ऊपर रखिये, नहीं तो सेठ की तरह मंजिल पा लेने के बाद भी अपनी सफलता का लुत्फ नहीं उठा पायेंगे.
बात पते की..
– हद से ज्यादा काम करना भी ठीक नहीं है. समय पर ऑफिस जाएं और समय पर ऑफिस से निकल जाएं. तभी आप खुश रह सकेंगे.
– आखिर हम इतने रुपये किसके लिए कमा रहे हैं? खुद के लिए न.. जब आप ही इन रुपयों का उपयोग करने लायक नहीं बचेंगे, तो क्या फायदा.