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वीआइपी सुरक्षा में लगे थे पुलिसकर्मी, भगवान भरोसे थी लाखों की भीड़

पटना: गांधी मैदान की ताजा घटना पटना के जिला व पुलिस प्रशासन की लापरवाही का कोई पहला मामला नहीं है. अभी दो साल ही हुए हैं, जब बिहार के सबसे बड़े लोकपर्व छठ के दौरान राजधानी के अदालत घाट पर मची इसी तरह की भगदड़ में कुल 24 लोगों की जान चली गयी थी. तब […]

पटना: गांधी मैदान की ताजा घटना पटना के जिला व पुलिस प्रशासन की लापरवाही का कोई पहला मामला नहीं है. अभी दो साल ही हुए हैं, जब बिहार के सबसे बड़े लोकपर्व छठ के दौरान राजधानी के अदालत घाट पर मची इसी तरह की भगदड़ में कुल 24 लोगों की जान चली गयी थी. तब भी भगदड़ का कारण बिजली का तार गिरने की अफवाह ही थी. लेकिन, तब भी पटना पुलिस के अधिकारियों व जवानों की प्राथमिकता में आम लोगों की सुरक्षा नहीं छठ में गंगा घाट पर अर्ध देने वीआइपी की सुरक्षा ही शामिल थी. कुछ इसी तरह का वाकया शुक्रवार को मची भगदड़ में भी सामने आया.

अधर्म पर धर्म के विजयोत्सव का जश्न मनानेवालों में मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और उनके मंत्रिमंडल के कई अन्य सहयोगी भी शामिल थे. पुलिस प्रशासन का पूरा ध्यान केवल इन्हीं वीआइपी की सुरक्षा पर था. दशहरा से ठीक पहले डीजीपी पीके ठाकुर ने दशहरा और दुर्गापूजा के मौके पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम के दावे किये थे. उन्होंने तब कहा था भीड़-भाड़ वाले सभी इलाकों में सशस्त्र पुलिस बल के साथ सादे लिबास में खुफिया शाखा के अधिकारियों व जवानों की तैनाती की गयी है. गांधी मैदान में रावण वध के दौरान यह तैनाती थी भी लेकिन सभी का ध्यान केवल मुख्यमंत्री और अन्य वीआइपी की सुरक्षा पर था.

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि रावण वध का कार्यक्रम समाप्त होने के बाद सभी पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री के काफिले को सुरक्षित गांधी मैदान से बाहर निकालने में लग गये. प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो इस भगदड़ का एक कारण भीड़ में मौजूद गुंडा तत्वों की सक्रियता भी थी. जब कार्यक्रम समाप्त होने के बाद भीड़ चारों तरफ बने गेट से बाहर निकलने लगी तब वहां सुरक्षा के कोई प्रबंध नहीं थे. इसी बीच तार गिरने की अफवाह और पीछे से गुंडा तत्वों द्वारा महिलाओं से छेड़खानी शुरू हो गयी. दरियापुर गोला निवासी शंकर यादव ने बताया कि जब वे अपने परिवार के साथ दक्षिणी गेट से बाहर निकल रहे थे तभी किसी ने पीछे से एक जोरदार धक्का दिया. इस धक्के के चपेट में आकर कई महिलाएं और बच्चे नीचे जमीन पर गिर पड़े. फिर बिजली के तार गिरने की अफवाह उड़ी और पीछे से आ रही भीड़ सभी को रौंदते हुए आगे बढ़ने लगी. इसकी चपेट में आकर उनका भाई पप्पू कुमार (22) भी गिर पड़ा जिसे काफी गंभीर अवस्था में पीएमसीएच में भरती कराया गया है.

16 घंटे बाद पीएमसीएच पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री, हंगामा
स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह घटना के 16 घंटे बाद पीएमसीएच पहुंचे, तो लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. लोगों ने मंत्री के खिलाफ नारेबाजी की और उनका रास्ता भी रोका. लोगों के इस गुस्से को देख श्री सिंह अपने समर्थकों को लेकर गाड़ी में बैठ कर निकलने लगे. इसी बीच मीडिया ने जब घायलों के बारे में उनसे पूछा, तो वह कुछ भी बताने में असमर्थ दिखे और उनके पास मृतकों व घायलों की सूची नहीं थी. इसके बाद मीडिया के लोगों ने जब उनसे पूछा कि घटना के इतने समय बाद आप पीएमसीएच पहुंचे, तो उन्होंने बस इतना कहा, विपक्ष अपना काम कर रहा है, हम अपना काम कर रहे हैं. चिकित्सक इलाज कर रहे हैं.

गांधी मैदान के सभी गेट थे खुले : डीएम
डीएम मनीष कुमार वर्मा ने कहा कि गांधी मैदान के सभी गेट खुले हुए थे. यह सीसीटीवी फुटेज से साबित होता है. एसएसपी मनु महाराज ने सीसीटीवी के फुटेज को खंगाला, तो गेट बंद नहीं पाया गया है. फुटेज में भगदड़ की स्थिति भी नहीं दिख रही है. इसके साथ ही कोई पुलिसकर्मी लाठीचार्ज करते नहीं देखा गया है. डीएम ने कहा कि आम लोगों द्वारा आरोप लगाया जा रहा है कि विद्युत तार टूटने की अफवाह फैली. यह कैसे और कहां से फैली, इसकी तहकीकात की जा रही है. राज्य सरकार द्वारा घटना की जांच के लिए उच्चस्तरीय जांच कमेटी बनायी गयी है, जो हर बिंदु को देख रही है. जब तक जांच रिपोर्ट नहीं आती, तब तक स्पष्ट कारण नहीं बताया जा सकता है. डीएम ने एक सवाल के जवाब में कहा कि यह सही है कि शुक्रवार को मेरे बेटे का जन्मदिन था. गांधी मैदान में कार्यक्रम खत्म होते ही घर जा रहे थे, लेकिन घटना की जानकारी मिलते ही बीच रास्ते से लौट आये. गांधी मैदान का जायजा लेकर पीएमसीएच में पूरी रात गुजारी है.

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