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प्रेग्नेंसी में दिल को रखें दुरुस्त

गर्भावस्था में दिल और रक्तसंचार प्रणाली दोनों प्रभावित होते हैं. इसके कारण हृदय रोग का खतरा भी होता है. यदि थोड़ी सावधानी बरती जाये, तो हृदय रोग होने के बावजूद गर्भवती स्वस्थ रह सकती है. गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में खून का आयतन 50-60 फीसदी बढ़ जाता है, यह गर्भवती के गर्भ में […]

गर्भावस्था में दिल और रक्तसंचार प्रणाली दोनों प्रभावित होते हैं. इसके कारण हृदय रोग का खतरा भी होता है. यदि थोड़ी सावधानी बरती जाये, तो हृदय रोग होने के बावजूद गर्भवती स्वस्थ रह सकती है.

गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में खून का आयतन 50-60 फीसदी बढ़ जाता है, यह गर्भवती के गर्भ में पल रहे शिशु के पोषण के लिए होता है. इस दौरान दिल की धड़कन भी 30-50 } बढ़ जाती है. इन बदलावों से अन्य अंगों पर भी प्रभाव पड़ता है, जैसे- थोड़ा काम करने से कमजोरी लगना, चक्कर आना आदि. यदि सावधानी न बरती जाये तो निम्न समस्याएं हो सकती हैं-

हार्ट रिदम इश्यू : इसमें धड़कन का पैटर्न बदल जाता है.

हार्ट वाल्व इश्यू : यदि महिला को पहले से ही कृत्रिम हार्ट वाल्व लगे हैं, तो प्रेग्नेंसी ज्यादा गंभीर हो जाती है. इस अवस्था के दौरान हाइबीपी का होना भी आम है. इंडोकार्नाइटिस का खतरा भी बढ़ता है. ऐसे में विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है.

कॉन्जेस्टिव हार्ट फेल्योर : शरीर में खून का वॉल्यूम बढ़ जाने से कॉन्जेस्टिव हार्ट फेल्योर का खतरा भी बढ़ जाता है.

कॉन्जेन्टिल हार्ट डिफेक्ट : गर्भावस्था में हृदय रोग से गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है. उसे भी हार्ट डिजीज होने की आशंका होती है.प्रेग्नेंसीमें हृदय रोग की दवाई लेने से भी गर्भस्थ शिशु पर बुरा प्रभाव पड़ता है. गर्भावस्था में या पहले कोई हृदय रोग हो, तो चिकित्सक की सलाह से ही दवाई लें.

पहले करा लें दिल की जांच
प्रेग्नेंसी की प्लानिंग करने से पहले हृदय की जांच करा लें. प्रेग्नेंसी में दवाइयों का सेवन हानिकारक है इसलिए प्लान करने से पहले चिकित्सक से सलाह कर ट्रीटमेंट करा लें. प्रेग्नेंसी के दौरान भी गर्भवती का वेट और बीपी बढ़ेगा. अत: इस दौरान बीपी और वेट मापते रहें और चिकित्सक की सलाह से परहेज व ट्रीटमेंट लेते रहें. रूटीन में अल्ट्रासाऊंड कराते रहें, इससे शिशु की जानकारी मिलती रहेगी.

डॉ अर्चना बच्चन

सीनियर गायनेकोलॉजिस्ट

मैक्स अस्पताल, दिल्ली

इनका रखें ध्यान

प्रेग्नेंसी के दौरान और पहले रेग्यूलर चैकअप कराएं.

यदि कोई समस्या आती है या शरीर में कोई बदलाव नजर आता है, तो तुरंत चिकित्सक की सलाह लें.

दवाओं का सेवन समय से करें.

भारी काम न करें और ज्यादा-से-ज्यादा आराम करने का प्रयास करें.

वजन को रेग्यूलर मापते रहें. इसी से पता चलता है कि बच्चे का गर्भ में विकास किस स्तर पर हो रहा है.

तनाव न लें, हमेशा खुश रहने का प्रयास करें.

प्रस्तुति : कुलदीप तोमर

कराएं ये टेस्ट

दिल की जांच के लिए करा सकते है ये दो टेस्ट

इकोकार्डियोग्राम-इस टेस्ट में साउंड वेव्स की मदद से दिल की जांच की जाती है.

इलैक्ट्रोकार्डियोग्राम- इसमें दिल की इलैक्ट्रिक्ल एक्टिविटी से जांच की जाती है.

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