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नया ट्रेंड: बधाई हो! मिठाई खाइए, तलाक हो गया

बधाई हो! मिठाई खाइए और मुंह मीठा कीजिए. आखिरकार लंबी प्रक्रिया के बाद शादी के बंधन से मुक्ति मिली है. तलाक के लिए बधाई. कुछ ऐसी ही बातें अब कोर्ट में सुनने और देखने को मिल रही हैं. यहां लोग रिश्ते टूटने पर एक-दूसरे को मिठाई बांटते नजर आते हैं. बदलती जीवनशैली अब रिश्तों पर […]

बधाई हो! मिठाई खाइए और मुंह मीठा कीजिए. आखिरकार लंबी प्रक्रिया के बाद शादी के बंधन से मुक्ति मिली है. तलाक के लिए बधाई. कुछ ऐसी ही बातें अब कोर्ट में सुनने और देखने को मिल रही हैं. यहां लोग रिश्ते टूटने पर एक-दूसरे को मिठाई बांटते नजर आते हैं. बदलती जीवनशैली अब रिश्तों पर भारी पड़ रही है. पति-पत्नी के सात जन्मों के रिश्ते महज चंद मिनटों के निर्णय में टूट रहे हैं.

अनुपम कुमारी, पटना

ये तो मात्र उदाहरण हैं. सिविल कोर्ट व महिला हेल्पलाइन के आंकड़ों के अनुसार प्रतिवर्ष तलाक के मामलों में वृद्धि हो रही है. पति-पत्नी छोटी-छोटी बातों पर जीवन भर के लिए रिश्ते तोड़ रहे हैं. महिला हेल्पलाइन के अनुसार पति-पत्नी दोनों की ओर से तलाक के मामले दर्ज किये जा रहे हैं.

सिविल कोर्ट में ज्यादा मामला
पटना कोर्ट में इस वर्ष जनवरी से लेकर अगस्त तक में मैट्रिमोनियल डिस्प्यूट के कुल 735 मामले दर्ज हुए हैं. इनमें से 219 मामलों का निष्पादन हुआ है. इसी तरह महिला हेल्पलाइन में दर्ज कुल 304 मामलों में से 25 तलाक के लिए दर्ज किये गये.

समझौता के लिए नहीं होते तैयार
सिविल कोर्ट की अधिवक्ता सीमा ने बताया कि कोर्ट में मैट्रिमोनियल के जो मामले दर्ज किये जाते हैं, उनमें रेस्टिच्यूयनल (आपसी सहमति से) और डाइवोर्स के केस होते हैं. ज्यादातर मामले डाइवोर्स के दर्ज हो रहे हैं. पहले काउंसेलिंग से मैट्रिमोनियल डिस्प्यूट सुलझाने की बात होती थी. अब लोग समझौता करने को तैयार नहीं होते हैं.

केस वन

कंकड़बाग निवासी नेहा (परिवर्तित नाम) का बीते शनिवार को तलाक हुआ. वह खुश नजर आ रही थी. नेहा और उसके परिवारवाले एक-दूसरे को मिठाइयां खिला रहे थे. उसकी शादी के दो वर्ष हुए थे. छोटी-छोटी बातों पर तकरार होने से तंग नेहा ने पिछले वर्ष तलाक के लिए आवेदन किया था. तलाक के पेचीदा प्रॉसेस से वह परेशान थीं. जब तलाक मिला, तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा.

केस टू

बिहटा निवासी सुमन (परिवर्तित नाम) की शादी के छह साल बीत चुके थे. वह नौकरी करना चाहती थी, इसलिए वह शिक्षिका बन गयी. उसके पति को यह नागवार गुजरा. बात इतनी बढ़ी कि मामला तलाक तक पहुंच गया. छह महीनों बाद बीते हफ्ते कोर्ट की मुहर लग गयी. खुशी में दोनों ओर से मिठाई बंटी.

एक्सपर्ट व्यू

संयुक्त परिवार का टूटना भी बड़ा कारण

पहले लड़के ही कामकाजी होते थे और लड़कियां शादी के बाद घर संभालती थीं. लेकिन अब लड़कियां हर क्षेत्र में लड़कों के समान आगे बढ़ रही हैं. वे कैरियर को ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए रिश्ते तक से समझौता नहीं करना चाहती हैं. वहीं पहले संयुक्त परिवार का प्रचलन था. घर के बड़े-बुजुर्गो द्वारा रिश्ते की अहमियत के बारे में सीख दी जाती थी. अब यह परंपरा समाप्त हो चुकी हैं. इससे समाज में रिश्तों के प्रति आकर्षण में कमी आयी है. रेणु रंजन, समाजशास्त्री

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