रांची: मंत्री योगेंद्र साव द्वारा उग्रवादी संगठन बनाने के मामले की जांच सीआइडी ने शुरू कर दी है. जांच की जिम्मेवारी सीआइडी के एसपी डॉ एम तमिल वानन को मिली है.
एसपी ने झारखंड टाइगर ग्रुप के सरगना राजकुमार गुप्ता से पूछताछ की है. सीआइडी के एसपी ने राजकुमार गुप्ता के स्वीकारोक्ति बयान की प्रति भी हासिल कर ली है.
मिली जानकारी के अनुसार सीआइडी के अधिकारी सोमवार को हजारीबाग न्यायालय में दर्ज राजकुमार गुप्ता के बयान को भी देखेंगे. इसके बाद इस मामले की रिपोर्ट सरकार को दी जायेगी. उल्लेखनीय है कि उग्रवादी राजकुमार गुप्ता ने कहा है कि कृषि मंत्री योगेंद्र साव ने झारखंड टाइगर ग्रुप नामक उग्रवादी संगठन का गठन कराया था. संगठन को चलाने के लिए हथियार और बाइक खरीदने के लिए मंत्री ने ही 75 हजार रुपये दिये थे. राजकुमार गुप्ता ने अपने बयान में यह भी खुलासा किया है कि योगेंद्र साव ने टंडवा के उप-प्रमुख व पिपरवार के कोयला ट्रांसपोर्टर बबलू मुंडा की हत्या के लिए कहा था.
मंत्री ने उससे कहा था कि हत्या के बाद उसे पांच लाख रुपये दिये जायेंगे. इधर, मंत्री योगेंद्र साव ने इन खबरों को गलत बताया है. उन्होंने कहा है कि चतरा, हजारीबाग और रामगढ़ की पुलिस उन्हें फंसाने का काम कर रही है. मीडिया में खबरें आने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पूरे मामले पर रिपोर्ट मांगी थी, जिसके बाद सीआइडी को मामले की जांच कर रिपोर्ट देने को कहा गया है.
माओवादियों से रहा है योगेंद्र साव का संबंध
योगेंद्र साव का संबंध माओवादियों से भी रहा है. वर्ष 2004 में हजारीबाग पुलिस ने माओवादी कमांडर कुलदीप गंझू को गिरफ्तार किया था. उसने पुलिस को दिये गये स्वीकारोक्ति बयान में योगेंद्र साव का नाम लिया था. उसने कहा था कि बड़कागांव के योगेंद्र साव माओवादियों की मदद करते हैं. इससे पहले वर्ष 2003 में एमसीसीआइ के कमांडर नृपेंद्र गंझू से भी योगेंद्र साव के संबंध होने की बात सामने आयी थी. एक निजी कंपनी से नृपेंद्र गंझू को लेवी दिलाने के मामले में भी योगेंद्र साव का नाम सामने आया था.